Krishna Janmashtami 18 August 2022 | श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत एवं पूजा की सम्पूर्ण विधि |shri krishna puja|Janmashtami | by sarkaricity
श्री कृष्ण जनमाष्टमी क्या है?
श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म में एक प्रमुख पर्व के रूप में मनाया जाता है. जिसके आने से पहले ही उसकी तैयारियाँ जौर- सौर से आरम्भ हो जाती है. पूरे भारत में ही नही बल्कि देश- विदेशों में भी ईस त्योहार का उत्साह देखने योग्य होता है. चारो ओर का वातावरण भगवान श्री कृष्ण के रंग में डूबा हुआ होता है. भगवान श्री कृष्ण के इस त्योहार को पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है.
श्री कृष्ण जनमाष्टमी क्यों मनाया जाता है ?
पौराणिक धर्म ग्रंथो के अनुसार इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु ने पृथ्वी को पापियों से मुक्त कराने हेतु श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिये थे. भाद्रपद माह की कृष्णपक्ष के अष्टमी को मध्यरात्रि रोहिणी नक्षत्र में देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. जन्माष्टमी को सभी सम्प्रदाय के लोग अपने अनुसार अलग-अलग ढंग से मनाते है. यह त्योहार विभिन्न जगहों पर विभिन्न रूपों में मनाया जाता है. कहीं रंगों की होली तो कहीं फूलों तो कहीं दहीं- हांडी फोड़ने का जोश होता है .
कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत करने की विधि
जन्माष्टमी के दिन हम सभी अलग-अलग ढंग से अपने – अपने घरों में या मंदिरों में पूजा अर्चना करते है तथा व्रत भी रखते है . लेकिन कई ऐसी बातें है जिसकी वजह से हमें उस व्रत का पूर्ण फल नही मिल पाता है. इसलिए नीचे पूजा करने का कुछ विधि बताया गया है जिसे आप पूजा करते वक्त ध्यान में रखें तो आपका पूजा -पाठ पूर्ण रूप से सफल हो पायेगा और जन्माष्टमी के व्रत का पूर्ण फल मिल पायेगा. इतना ही नही बल्कि जो भी मनोकामना के साथ आप भगवान श्री कृष्ण जी का व्रत रखेंगे वो निश्चित रूप से पूर्ण होगा.
1. सर्वप्रथम व्रत की पूर्व रात्रि को घर में प्रेम से रहना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा कम मात्रा में भोजन करनी चाहिए.
2. ब्रह्ममुहूर्त में जगना चाहिए. आधिक सूर्य उदय से पहले जग जाना चाहिए. जागकर प्रातः काल सबसे पहले स्नान आदि से निवृत हो जाना चाहिए. ये सब कार्य अति शीघ्र कर लेनी चाहिए.
3. स्नान करने के बाद सर्वप्रथम पृथ्वी को नमन करना चाहिए पृथ्वी को नमन करके सूर्य को नामस्कार करना चाहिए तथा सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए और अपने इष्ट को नमन करना चाहिए.
4. इसके बाद पूर्वमुखी या उत्तरमुखी होकर फल, जल एवं कुस का आसन लेकर एक स्थान पर बैठना चाहिए.
5. फिर एक संकल्प करना चाहिए कि हे भगवान आज हम ये व्रत करेंगे और आप हमारे ऊपर कृपा करें ताकि हम इस व्रत को सफलतापूर्वक पूर्ण कर सके .
6. फिर अगर आप मंदिर में पूजा करना चाहते है तो मंदिर में जाकर उचित ढंग से पूजा पाठ सम्पन्न करेंगे.
7. अगर आप घर में पूजा करना चाहते है तो अपने घर में मौजूद भगवान श्री कृष्ण के मूर्ति या छवि को तिल व जल से या फिर दूध से स्नान करके नए वस्त्र पहनाकर, उनका कुल श्रृंगार कर एवं उसके स्थान को पानी से अच्छी तरह से साफ करके सजा लेना है और उन्हें वहां विराजमान करना है.
8. सुबह का पूजा आपको सब दिन के तरह ही करना है जैसे आप अपने घरों में करते है . कृष्ण भगवान को फूल चढ़ाना और फूल में तुलसी का फूल अवश्य ही चढ़ाना है तथा दीये जलाना है साथ ही साथ ‘ओम नमः भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप भी करना है आप चाहे तो हरे राम हरे कृष्ण का भी जाप कर सकते है .
9. फिर आपको भगवान को भोग समर्पित करना है आप चाहे तो माखन मिश्री का भोग समर्पित कर सकते है लेकिन ध्यान रहे आप जो भी भोग समर्पित करते है उसमें तुलसी अवश्य डाले. ईस प्रकार आपको सुबह की पूजा समाप्त करना है.
10. कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत दिन में केवल एक बार पानी पिया जाता है. लेकिन आप अपने स्वास्थ के अनुसार चाय या कॉफी ले सकते है.
11. अब शाम के समय लगभग 7 या 8 बजे जब आप चाहे पुनः सुबह के विधि अनुसार पूजा कर ले . लेकिन कुछ लोग भगवान श्री कृष्ण का जन्म करवाते पर आप नही करवाना चाहते है बस पूजा पाठ करके भगवान की मूर्ति या छवि को लाल या पिले कपड़े से ढक दे.
12. अब आपको भगवान के जन्म के समय रात्रि 12 बजे भजन या पाठ गाकर उस कपड़े को हटा लेना है तथा भोग लगाकर पूजा सम्पन्न कर लेना है .
यही कुछ नियम है जिसे कृष्णा जन्माष्टमी के व्रत के समय ध्यान रखा जाता है. और पूजा – अर्चना की जाती है .
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