नमस्ते, SarkariCity के ऑफिसियल वेबसाइट पर आपका स्वागत है ।
इस पेज पर आपको bihar board के कक्षा 10 के संस्कृत पाठ्य पुस्तक पियूषम् भाग – 2 के chapter-2 अलसकथा के महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ एवं गैर- वस्तुनिष्ठ तथा पुस्तक के सभी प्रश्नों के उत्तर जानेंगे । यहां आपको बोर्ड परीक्षा 2022 के दृष्टिकोण से संभावित प्रश्न तथा उत्तर जानने को मिलेंगे ।
अयं पाठः ………………………………… नीतिकाराः आलस्यं रिपुरूपं मन्यन्ते।
अर्थ- यह पाठ विद्यापति रचित कथा ग्रन्थ “पुरुष परीक्षा” नामक ग्रन्थ का अंश विशेष है। पुरुष परीक्षा सरल संस्कृत भाषा में कथा रूप से विभिन्न मानव गुणों के महत्व का वर्णन किया गया है और दोषों को दूर करने की शिक्षा दी गयी है। विद्यापति लोकप्रिय मैथिली कवि थे और अनेक संस्कृत ग्रन्थों के निर्माता भी विद्यापति थे। उनकी विशेषता संस्कृत विषय में भी बहुत है। प्रस्तुत पाठ में आलस्य दोष है। इसे साबित करने के लिए व्यंग्यात्मक कथा प्रस्तुत किया गया है। नीतिकार लोग आलस्य को शत्रु रूप मानते हैं।
आसीत् मिथिलायां वीरेश्वरो नाम ………………………………… दापयति। यतः-
अर्थ- मिथिला में वीरेश्वर नामक मंत्री थे। वे स्वभाव से दानशील और कारुणिक स्वभाव वाले थे। वे सभी दीन-दुःखियों और अनाथों को प्रतिदिन अच्छा भोजन दिलाते थे। उसी बीच में आलसी को भी अन्न, वस्त्र दिला देता था। क्योंकि
निर्गतीनां ………………………………… वद्विना।।
अर्थ- दुर्गति वालों में से सबसे पहला स्थान आलसी का ही पेट की भूख क्या नहीं करवा सकता है।
ततोऽलसपुरुषाणां ………………………………… वर्तुलीबभूवः यतः-
अर्थ- इसके बाद आलसी व्यक्ति को वहाँ खूब धन लाभ सुनकर बहुत से तोंद बढ़े लोग जमा हो गये। क्योंकि
स्थितिः सौकर्यमूला हि ………………………………… धावन्ति जन्तवः॥
अर्थ- सुविधाजनक स्थिति को देखकर सभी लोग उसे प्राप्त करना चाहते हैं। क्योंकि स्व जाति के सुख को देखकर कौन जीव उसकी ओर नहीं दौड़ता है।
पश्चादलसानां सुखं दृष्ट्वा ………………………………… दापयित्वा निरूपयामासुः।
अर्थ- बाद में आलसियों के सुख देखकर कुछ धूर्त लोग भी बनावटी आलस्य को दिखाकर भोजन प्राप्त करते थे। उसके बाद आलसी के घर बहुत द्रव्य खर्च होते देखकर राज पुरुषों के द्वारा विचार किया गया। यदि अक्षम बुद्धि और करुणा से केवल आलसी लोग को मालिक वस्तु देते हैं। कपट से अनालसी भी ग्रहण करते हैं, यह हमारा आलस्य है। यदि ऐसा है तो आलसी लोगों की परीक्षा करता हूँ। ऐसा विचार कर सोये हुए आलसियों के घर में वह पुरुष आग लगाकर बैठ गये।
ततो गृहलग्नं प्रवृद्धमग्निं दृष्ट्वा धूर्ताः ………………………………… तूष्णीं कथं न तिष्ठथ ?
अर्थ- इसके बाद घर में लगे आग को बढ़ते देखकर सीभी धूर्त लोग भाग गये। इसके बाद कुछ आलसी लोग भी भाग गये। चार व्यक्ति वहीं सोये थे तथा परस्पर वर्तालाप कर रहे थे। एक ने कपड़े से मुख ढक कर बोला-अरे हल्ला कैसा? दूसरे ने कहा। लगता है कि इस घर में आग लग गयी है। तीसरे ने कहा कोई भी ऐसा धार्मिक नहीं है जो इस समय पानी से भीगें वस्त्रों से या चटाई से हमलोगों को ढक दे। चौथे ने कहा अरे, गपक्करों कितनी बातें करोगे? चुपचाप क्यों नहीं रहते हो?
ततश्चतुर्णामपि तेषामेवं परस्परालापं श्रुत्वा ………………………………… तैर्नियोगिभिः पठितम्-
अर्थ- इसके बाद चारो उसी प्रकार का परस्पर बहस सुनकर और बढ़ते हुए आग को अपने ऊपर गिरते देखकर राजपुरुषों ने उसे मर जाने के भय से चारो आलसियों के केश खीचते हुए घर से बाहर निकाल दिया। बाद में उन सबों को देखकर राजपुरुषों के द्वारा पढ़ा गया।
पतिरेव गतिः स्त्रीणां बालानां ………………………………… कारुणिकं बिना॥
अर्थ- स्त्रियों की गति पति से है। बच्चों की गति माता से है! आलसियों की गति संसार में कहीं नहीं है। दयावानों के सिवा
पश्यात्तेषु चतुर्बलसेषु ततोऽप्यधिकतर वस्तु’मन्त्री दापयामास् ।
अर्थ- देखो इन चारों आलसियों में अधिक से अधिक वस्तु मन्त्री के द्वारा दिलाया गया।
अलसः – आलसी,
कारुणिकः – दयालु,
दुर्गतेभ्यः – गरीबो को,
प्रत्यहम् – प्रतिदिन,
रिपुः – शत्रु,
जाढरेण – पेट से,
तत्रेष्टलाभम् – वहाँ पर इच्छित वस्तु का लाभ,
तुन्दपरिमृजास्तत्र – तोंद बढ़ा हुआ,
सौकर्यमूला – सुविधाजनक,
सजातीनाम् — अपने जातियों का,
कृत्रिममालस्यम् – बनावटी आलस्य,
बहुद्रव्यव्ययम् – अधिक धन का व्यय,
परामृष्टम् – विचार किया,
बुद्घया – बुद्धि से,
प्रमादः – आलस्य,
प्रसुप्तः – सोया हुआ,
वहिनम् – आग को,
दापयति – दिलाता है,
प्रवृद्धम् – फैला हुआ,
ईषत – थोड़ा,
पलायिता – भाग गये,
जलाद्रैः – जल से भींगा,
कटैः वा – चटाई से,
प्रावृणोति – ढकता है,
तूष्णीम् – चुपचाप,
अलापम् – वार्ता,
आकृष्य – खींचकर,
आलोक्य – देखकर। ।
विद्यापतिरासीत् – विद्यपतिः + आसीत्,
व्यंग्यात्मिका – व्यंग्य + आत्मिका,
दुर्गतेभ्योऽनार्थेभ्यश्च – दुर्गतेभ्यः + अनाथेभ्यः + च,
प्रत्यहमिच्छाभेजनम् – प्रत्यहम् + इच्छा + भोजनम्,
लसेभ्योऽप्यन्नवस्त्रे – लसेभ्यः + अपि + अन्नवस्त्रे,
जाढरेणाऽपि – जाठरेणा + अपि,
ततोऽलसपुरुषाणाम् – ततः + अलसपुरुषाणाम्,
पश्चादलसानां – पश्चात् + अलसानां,
तदन्तरमलसशालायाम् – तत् + अन्तरम् + अलसशालायाम्,
परामृष्टम्यदक्षमबुद्धया – परामृष्टम् + यत् + अक्षमबुद्धया,
तदालसपुरुषाणाम् – तत् + अलसपुरुषाणां,
पश्चादरीषदलसा – पश्चात् + इषत् + अलसा,
अग्निर्लग्नोऽस्ति’– अग्निः + लग्नः + अस्ति,
तृतीयेनोक्तम् – तृतीयेन + उक्तम्,
जलादैवासोभिः – जलादै + वासोभिः,
ततश्चतुर्णामपि – ततः + चतुणाम् + अपि,
ततोऽप्यधिकतरं – ततः + अपि + अधिकतरं,
कारुणिकश्च – कारुणिकः + च,
तन्मध्ये – तत् + मध्ये,
तन्नियोगिपुरुषैः – तत् + नियोगिपुरुषैः,
किञ्चिन्न – किञ्चित् + न,
काचिल्लोके – काचित् + लोक,
तत्तेष्टलाभं – तत्र + इष्टलाभम्,
निर्मातापि – निर्माताः + अपि। ,
अक्षमबुद्धया – बुद्धया अक्षमः (तृतीया तत्फुष),
मैथिलीकवि: – मैथिलीभाषयाः कविः (षष्ठी तत्पुरुष) ,
नीतिकारा: – नीत्याः रचनाकाराः (षष्ठी तत्पुरुष),
कारुणिक – करुणायाः युक्तम् (पञ्चमी तत्पुरुष) ,
पुरुषपरीक्षा – पुरुषस्य परीक्षा (षष्ठी तत्पुरुष),
मानवगुणाना – मानवस्य गुणानां (षष्ठी तत्पुरुष),
विद्यापतिः – विद्यायाः पति (षष्ठी तत्पुरुष,
जलाद्रैः – जलेन आद्रैः (तृतीया तत्पुरुष),
नियोगिपुरुषैः – नियोगिना पुरुषैः (तृतीया तत्पुरुष),
बहुद्रव्यव्ययं – बहुद्रव्यानां व्ययं (षष्ठी तत्पुरुष) ,
वीरेश्वरः – वीरस्य ईश्वरः (षष्ठी तत्पुरुष),
अयं कथा कस्मात् ग्रन्थात् उद्धृतोऽस्ति ?
उत्तर- अयं कथा पुरुषापरीक्षा ग्रन्थात् उद्धृतोऽस्ति।
अस्य कथायां कस्य महत्वम् वर्णितम् अस्ति ?
उत्तर- अस्य कथायां मानवगुणानां महत्वम् वर्णितम् अस्ति।
अस्य कथायाः रचनाकारः कः ?
उत्तर- अस्य कथायाः रचनाकार: विद्यापतिः।
अयं कथा किं शिक्षा ददाति ?
उत्तर- अयं कथा मानवस्यदोषान् निवरणाय शिक्षां ददाति
विद्यापतिः कः आसीत् ?
उत्तर- विद्यापतिः मैथिलीकतिः आसीत्।
अस्मिन् कथायां कस्य दोषस्य वर्णनम् अस्ति ?
उत्तर- अस्मिन् कथायां अलसस्य दोषस्य वर्णनम् अस्ति।
अलसः किम् अस्ति ?
उत्तर- अलसः शत्रु अस्ति।
मिथिलायाः मन्त्री कः आसीत् ?
उत्तर- मिथिलायाः मन्त्री वीरेश्वरः आसीत्।
ततो कं दृष्ट्वा सर्वे धूर्ताः पलायिताः ?
उत्तर- ततो प्रवृद्धम् अग्निं दृष्ट्वा सर्वे धूर्ताः पलायिताः।
अलसशालायां बहुदव्यव्ययं दृष्टवा तन्नियोगिपुरुषैः किं परामृष्टम्
उत्तर- अलसशालायां बहुद्रव्यव्ययं दृष्टवा तन्नियोगि पुरुषै परामृष्टम् यत् – अक्षम बुद्घया करुणया च केवलमलसेभ्यः स्वामी वस्तूनि दापयति, कपटेन अनलसाः अपि – गृहणन्ति इति अस्माकं प्रमादः।
अलसकथा पाठ का कथाकार कौन है तथा उन्होंने किस ग्रन्थ की रचना की ?
उत्तर- अलसकथा पाठ का कथाकार लोकप्रिय मैथिलि कवि विद्यापति है । तथा उन्होंने पुरुषपरीक्षा नामक कथा ग्रन्थ की रचना की ।
अलसकथा पाठ से क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर- अलसकथा पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें जीवन में कभी भी आलस्य नहीं करने चाहिए । क्योंकि आलस्य जीवन का सबसे बड़ा शत्रु होता है । यह जिसके अन्दर अपना निवास स्थली बना लेता है, उसके गति को जर्जर कर उन्हें सदा के लिए निष्क्रिय बना देता है ।
वीरेश्वर के स्वाभाव को बताएँ ।
उत्तर- वीरेश्वर बहुत ही दानशील और कारुणिक स्वाभाव का था । वह अपने देश में किसी को भी दुःखमय या कष्टमय देखना नहीं चाहता था । इसलिए वह अपनी इच्छानुसार सभी दुर्गति पुरुषों, अनाथो व आलसियों को भोजन देने के साथ-साथ कपड़ा भी दान में देता था ।
आलसियों के वार्तालाप को लिखें ।
उत्तर- पहला आलसी पुरुष ने कहा – “यह हल्ला कैसा?” दुसरे ने कहा – “लगता है इस घर में आग लग गयी है।” तीसरे ने कहा – “यहाँ कोई धार्मिक नहीं है,जो पानी से इस आग बुझाए या पानी से भींगे कपड़ो से हमलोगों को ढँक दे ।” चौथे ने कहा – “अरे! वाचाल कितनी बाते करोगे? तुमलोग चुप-चाप नहीं रह सकते हो ।”
आलसियों के गति पर प्रकाश डालें ।
उत्तर- इस संसार में दुर्गति वालों में सबसे पहला स्थान आलसी का है । वस्तुतः आलसियों को गति इस संसार में दयावान पुरुषों के अलावा और किसी से नहीं है ।
मिथिलायां कः मन्त्री आसीत् ?
उत्तर- मिथिलायां वीरेश्वरो नाम मंत्री आसीत्।
वीरेश्वरो नाम मन्त्री केभ्यः स्वरुचि भोजनं दापयतिस्म ?
उत्तर- वीरेश्वरो नाम मंत्री दरिद्रेभ्यः अलसेभ्यश्च स्वरुचि भोजनं दापयतिस्म।
भीषण बुभुक्षया अपि कः किमपि कर्तुं न क्षमते ?
उत्तर- भीषण बुभुक्षया अपि अलस: किमपि कर्तुं न क्षमते।
धूर्ताः किं दृष्ट्वा पलायन् कृतवन्तः ?
उत्तर- धूर्ताः अग्निं प्रवर्धमानं दृष्ट्वा पलायन् कृतवन्तः।
चत्वारः अलसाः कैः बहिष्कृताः ?
उत्तर- चत्वारः अलसाः नियोगि पुरुषैः वहिष्कृताः
आलसानां कः शरणदः ?
उत्तर- आलसानां कारुणिकः शरणदः
जन्तवः केषाम् सुखं दृष्ट्वा धावन्ति ?
उत्तर- जन्तवः स्वजातीनां सुखं दृष्ट्वा धावन्ति।
Chapter :- 1 राम बिनु बिरथे जगि जनमा, जो नर दुख में दुख नहिं मानै
Chapter :- 2 प्रेम अयनि श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारौं
Chapter :- 3 अति सूधो सनेह को मारग है, मो अंसुवानिहिं लै बरसौ
Chapter :- 4 स्वदेशी
Chapter :- 5 भारतमाता
Chapter :- 6 जनतंत्र का जन्म
Chapter :- 7 हिरोशिमा
Chapter :- 8 एक वृक्ष की हत्या
Chapter :- 9 हमारी नींद
Chapter :- 10 अक्षर-ज्ञान
Chapter :- 11 लौटकर आऊँग फिर
Chapter :- 12 मेरे बिना तुम प्रभु
Google pays tribute to Krishnakumar kunnath (KK) with animated doodle on his Bollywood debut anniversary.|krishnakumar… Read More
PM Awas Yojana 2024 | ग्रामीण और शहरी इलाकों के 3 करोड़ लोगों को Pradhan… Read More
Bihar Deled Counselling 2024: Choice Filling, Online Registration, Merit List, Date & Notification | Bihar… Read More
Bihar B.ED Admit Card 2024 जारी – Download Now @biharcetbed-lnmu.in | Bihar B.ED Admit Card… Read More
मैट्रिक - इंटर स्कॉलरशिप 2024 : पैसा मिलने को लेकर नया नोटिस जारी | Check… Read More
Bihar Board 12th Answer Key 2024 Out : Check Now | Bihar Board Inter Answer… Read More
View Comments
SIR PLESAE COMPLETE 10TH SANSKRIT
Very so much