Bihar board class 10 sanskrit Solution chapter 13 विश्व शान्तिः | Ncert Solution – SarkariCity

Follow Us

Bihar Board Classs 10th Sanskrit Solution Chapter 13 विश्व शान्तिः| 10th Sanskrit NCERT Solution | BSEB 10 Sanskrit Solution | Vishv Shanti |BSEB 10 Chapter 13 sanskrit | Bseb Solution 

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now
इन पोस्ट पर आपको बिहार बोर्ड (BSEB) के कक्षा 10 के संस्कृत पाठ्य पुस्तक का समाधान देखने को मिलेगा | इस पेज में आप 10th संस्कृत पीयूषम भाग -2 के त्रियोदश: पाठः (Chapter-13) विश्व शान्तिः / Vishv Shanti का सभी प्रश्न-उत्तर तथा परीक्षा के दृष्टिकोण तैयार किए गए अन्य कई महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ एवं गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न पढ़ने को मिलेंगे |

कहानी का अर्थ 

पाठेऽस्मिन् संसारे ………………… प्रयासाः क्रियन्ते ।
अर्थ- इस पाठ में संसार में वर्तमान का अशान्ति वातावरण का चित्रण और उसके समाधान के उपाय निरूपित किया गया है। देश में आन्तरिक और बाह्य अशान्ति है। उसकी उपेक्षा कर कोई अपने जीवन को नहीं आगे बढ़ा सकता है। यह अशांति सबों के लिए है यही दुःख का विषय है सभी लोग उस अशान्ति से चिन्तित हैं। संसार में उससे निवारण के उपाय को किया जा रहा है।
 
 
वर्तमान संसारे ……………….. तैरेव मानवतानाशस्य भयम् ।
अर्थ- वर्तमान संसार में प्रायः सभी देशों में उपद्रव या अशान्ति दिखाई पड़ रहा है। कुछ ही जगह शान्त वातावरण है।  कुछ देश की आन्तरिक समस्या को लेकर झगड़ा है, उससे शत्रु देश आनन्दित होकर झगड़ा बढ़ाते है | कुछ अनेक राज्यों में परस्पर शीत युद्ध चल रहा है। वस्तुतः  संसार अशान्ति सागर के किनारों  पर बैठा दिखाई पड़ रहा है और अशान्ति से मानवता – विनाश के कल्पना करते हैं। आज विश्व को नाश करने वाले बहुत से अस्त्रों का आविष्कार हो गया है। उसी से मानवता के नाश का भय है ।  
अशान्ते: कारणं तस्याः …………….. परमार्थ वृतिं जनयेयुः ।
अर्थ- अशान्ति के कारण और उसके निवारण उपायों को सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए। कारण की जानकारी से निवारण के उपाय की भी जानकारी हो जाती है । यह नीति शास्त्र कहता है। वस्तुतः द्वेष और असहिष्णुता (दूसरों की उन्नति अच्छी नहीं लगना) ये दो अशान्ति के कारण हैं एक देश दूसरे देश की उन्नति को देखकर द्वेष करते हैं उस देश की उन्नति को नाश करने का निरन्तर प्रयास करते हैं। द्वेष ही असहिष्णुता को जन्म देता है। इन दोनों दोषों से परस्पर वैर की उत्पत्ति होती है और स्वार्ध वैर को बढ़ाता है। स्वार्थ से प्रेरित होकर लोग अहंकार भाव के कारण दूसरों के धर्म, जाति, सम्पत्ति, क्षेत्र अथवा भाषा को नहीं सहन कर पाते हैं। अपने को ही सबसे अच्छा मानते हैं और इसमें राजनीतिज्ञ लोग विशेष रूप से प्रेरक बनते हैं। सामान्य लोग उस अशान्ति में विश्वास नहीं करते । इसके बाद भी बलपूर्वक उनको प्रेरित किया जाता है। स्वार्थ सम्बन्धित उपदेशों को बलपूर्वक निवारण करना चाहिए। परोपकार के प्रति यदि प्रवृत्ति को जगाना है तो सभी स्वार्थों को त्याग करना चाहिए। इस संसार में महापुरुष विद्वान और चिन्तकों की कमी नहीं है। उन सबों का कर्त्तव्य यह है कि हरक लोगों में, हरेक समाजों में और हरेक देशों में परोपकार के कार्यों की भावना को पैदा करें ।
शुकः उपदेशश्च न ………………….. सत्यमेव उद्घोषयन्ति-
अर्थ-  सूखा उपदेश पर्याप्त नहीं होता है। बल्कि उसको जीवन में कार्यान्वयन करना भी अनिवार्य । कहा भी गया है— क्रिया के बिना ज्ञान भार बन जाता है। देशों के बीच में विवादों के शमन के लिए ही संयुक्त राष्ट्रसंव आदि संस्थाएँ हैं। वे सब समय-समय पर विश्वयुद्ध की आशंका को निवारण करते हैं। भगवान बुद्ध प्राचीन काल में ही वैर से वैर का शमन को असम्भव कहा था। निर्वैर, करुणा और मैत्री भाव से वैर की शान्ति होता है यह सभी मानते हैं। भारतीय नैतिकार लोगों ने सत्य ही कहा है ।
अयं तेजः परो ………………… वसुधैव कुटुम्बकम् !!
अर्थ- यह अपना अथवा यह पराया है। यह गणना छोटे हृदय वाले लोग करते हैं। उदार हृदय वालों के लिए सारी धरती ही कुटुम्ब (परिवार) है।
 
 
पर पीडनम् आत्म नाशाय………………..सूर्योदयो दृश्यते । 
अर्थ- दूसरों को दुःख पहुँचाना अपने नाश के लिए होता है और परोपकार शान्ति का कारण होता है। आज भी दूसरे देश के संकटकाल में अन्य देश सहायता राशि और सामग्री भेजते हैं इससे विश्व शान्ति को सूर्योदय दिखाई पड़ता है।

व्याकरण

शब्दार्थ:-
वा = अथवा
आश्रित्य = सहारा लेकर
मोद मानानि = आनन्दित |
विच्छेदः
अशानिर्वा = अशान्ति : + वा
क्वचिदेव = क्वचित् + एव ।
समास :
महापुरुष: = महान् चासौ पुरुष: (कर्मधारय) इत्यादि पाठ के अनुकूल ।
अशांति = न शान्ति ( नञ समास) ।
प्रकृति-प्रत्यय विभाग:-
आश्रित्य = आ + श्रि + ल्यप्
दृष्ट्वा = दृश् + क्त्वा ।
अभ्यासः

मौखिकः

1.एकपदेन उत्तरं वदत-
(क) शत्रु राज्यानि किं वर्धयन्ति ?
उत्तर – कलहम् ।
(ख) अनेकेषु राज्येषु परस्परं किं प्रचलन्ति ।
उत्तर- शीतयुद्धम् ।
(ग) सर्वं किं त्यजेयुः ।
 उत्तर – स्वार्थम् ।
(घ) वैरेण कस्य शमनम् असम्भवम् ।
उत्तर-वैरस्य ।
(ङ) क्रिया विना किं भारः ।
उत्तर-ज्ञानम् ।
2. निम्नलिखितानि पदानां प्रकृति प्रत्यय विभांग वदत् –
उत्तरं—
नीतिः—नी + क्तिन ।
उक्तम्-वच् + क्त ।
दृष्ट्वा दृश् + क्त्वा ।
शमनम्–शम् + ल्युट् !
आश्रित्य—आ + श्रि + ल्यप् |

लिखितः

1. अधोलिखितान प्रश्नानां उत्तराणि संस्कृत भाषायां लिखत– 
(क) अशान्ति सागरस्य कूल मध्यासीनः कः दृश्यते ?
उत्तरं—अशान्ति सागरस्य कूल मध्यासीनः संसार: दृश्यते ।
( ख ) अद्य विध्वंसकानि कानि आविष्कृतानि सन्ति ?
उत्तर – अद्य विध्वंसकानि अस्त्राणि अविष्कृतानि सन्ति ।
(ग) अशान्ते; कारण द्वयं किम् अस्ति ?
उत्तर- अशान्ते: कारणद्वयं द्वेष: असहिष्णुता च अस्ति ।
(घ) असहिष्णुता कः जनयति ?
उत्तर – असहिष्णुता द्वेषः जनयति ।
(ङ) कः बलपूर्वकं निवारणीयः ।
उत्तरं स्वार्थोपदेश: बलपूर्वक निवारणीयन् ।
2. अधोलिखित् पदानां स्ववाक्येषु संस्कृते प्रयोगं कुरुत-
अयम्- अयम् देश: विशालः अस्ति ।
अशान्ति:- अशान्तिः अद्य सर्वत्र दृश्यते ।
मैत्री—मैत्री परस्परं करणीयम् ।
उत्कर्षम् – परस्य उत्कर्षं दृष्ट्वा जनाः द्वेषं कुर्वन्ति ।
प्रेरक: – राजनीतिज्ञ अशान्ते: प्रेरक भवति ।
परोपकारः – परोपकारः एव शान्ति स्थापनाया: करणं भवति ।
3. सन्धि विच्छेदं कुरुत
उत्तर-
परोपकारः – पर + उपकार: ।
विश्वन्नपि = विश्वसन् + अपि ।
निवारणोपायश्च = निवारण + उपाय: + च ।
उक्तम् – उक्तञ्च = + च ।
भवतीति – भवति + इति ।
जीवनेऽनिवार्यम् = जीवने + अनिवार्यम् ।
वसुधैव = वसुधा + एव ।
 4. अधोलिखितेषु वाक्येषु रेखाङ्कित पदानि अधारी कृत्य प्रश्न निर्माण कुरुत
( क ) कारणे जाते निवारणस्य उपायोऽपि ज्ञायते ।
उत्तर-कस्मिन् ज्ञाते निवारणस्य उपायोऽपि ज्ञायते ?
( ख ) सर्वेषु देशेषु अशान्तिः दृश्यते ।
उत्तर – कुत्र अशान्तिः दृश्यते ।
(ग) स्वार्थ: वैर प्रवर्धयति ।
उत्तर-क: वैरं प्रवर्धयति ।
(घ) राजनीतिज्ञाः अत्र विशेषणं प्रेरका ?
उत्तर- का: अत्र विशेषेण प्रेरका: ?
( ङ ) सामान्यो जनः न तथा विश्वसन्नपि बलेन प्रेरितो जायते ।
उत्तर- कः न तथा विश्वसन्नपि बलेन प्रेरितो जायते ?
5. अधोलिखितानां पदानां प्रकृति-प्रत्यय विभागं कुरुत
उक्तम् = वच् + क्त ।
नीतिः = नी + क्तिन् ।
भार: – भृ + धञ् ।
शमनम् = शम् + ल्युट्
शान्तिः = शम् + कितन् ।
आश्रित्य = आ + श्रि + ल्यप् ।
 
7. अधोलिखितानि वाक्यानि बहुवचने परिवर्तयत
 (क) एकवचन–विद्वान कथयति । 
उत्तर – बहुवचन-विद्वांसः कथयन्ति । 
 
(ख) एकवचन-जन जानाति ।
उत्तर- बहुवचन-जनाः जानन्ति । 
 
(ग) एकवचन-भारतीय: नीतिकारः उद्घोषयति । – 
उत्तर – बहुवचन – भारतीया: नीतिकाराः उद्घोषयन्ति ।
 
(घ) एकवचन-देश: प्रेषयति । 
उत्तर- बहुवचन– देशा: प्रेषयन्ति । 
 
(ङ) एकवचन-सः उत्कृष्टं मन्यते । 
उत्तर बहुवचन–ते उत्कृष्टं मन्यते । 
 
(च) एकवचन–त्वं कुत्र गच्छसि । 
उत्तर–बहुवचन यूयम् कुत्र गच्छथ । 
 
 
8. स्तम्भ द्वये लिखितानां विपरीतार्थक शब्दानां मेलनं कुरुत-
उत्तर :-
स्वार्थ: = परमार्थ
बलम् = निर्बलम्
सामान्यः = विशेष:
‘उत्कर्ष: = अपकर्ष:
द्वेषः = मित्रता 
शीतम् = उष्णम्
विध्वंसम् = निर्माणम्
कोष्ठान्तर्गतानां शब्दानां सहाय्येन ।
रिक्त स्थानानि पूरयत–
 उत्तरं –
(क) अशान्तेः कारणं तस्याः निवारणोपायश्च सावधानतया चिन्तनीयों |
(ख) अवैरेण करुणया मैत्री भावेन च वैरस्य शान्तिः भवति ।
 (ग) अत्र महापुरुषा: बिरलाः सन्ति ।
(घ) शुष्क उपदेश: न पर्याप्तः ।
(ङ) क्वचिदपि शान्तं वातावरणं वर्तते ।
पठित पाठेन विश्व शान्तये…………….दशकं धर्मालक्षणम् । 
अर्थ – पठित पाठ के द्वारा विश्व शांति के लिए जन जागरण करने का प्रयास किया गया से | इस पाठ का संदेश यह है कि शांति के द्वारा ही विश्व कल्याण होगा। किन्तु अनेक कारणों आजकल संसार में अशान्ति का अनुभव किया जा रहा है। द्वेष, असहिष्णुता, अविश्वास असंतोष और स्वार्थ आदि दुगुर्ण बढ़ रहे हैं तो शान्ति कहाँ ? शान्ति भारतीय दर्शन का मूल तत्व है । यह शान्ति धर्ममूलक है । “रक्षित धर्म रक्षा करता है ।” यह प्राचीन सन्देश विश्व के रक्षण के लिए प्रेरित करता है। धर्म के दस लक्षण हैं— धैर्य, क्षमा, दम, अस्तेय (चोरी नहीं करने का भाव) शौच (पवित्र) इन्द्रिय निग्रह, घी (बुद्धि) विद्या, सत्य और अक्रोध । किमपि कुर्याम् । आगच्छन्तु ! वयं अस्तित्व
 

Conclusion

इस पोस्ट में आपने बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के संस्कृत पाठ्य पुस्तक के पाठ (Chapter) – 13 विश्व शान्तिः / Vishv Shanti के लगभग सभी प्रश्न-उत्तर पढ़ा तथा परीक्षा के दृष्टिकोण अन्य कई वस्तुनिष्ठ (Objective) एवं गैर-वस्तुनिष्ठ (Subjective) पढ़ा है | यह पोस्ट आपको कैसा लगा कृपया अपनी राय कमेंट (Comment) में अवश्य दे |

 

अन्य अध्याय (Other Chapters)

  1. Chapter 1 मंगलम
  2. Chapter 2 पाटलिपुत्रवैभवम
  3. Chapter 3 अलसकथा 
  4. Chapter 4 संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः 
  5. Chapter 5 भारतमहिमा (भारत की महिमा)
  6. Chapter 6 भारतीयसंस्काराः (भारतीय संस्कार)
  7. Chapter 7 नीतिश्लोकाः (नीति के श्लोक)
  8. Chapter 8 कर्मवीर कथा 
  9. Chapter 9 स्वामी दयानन्दः
  10. Chapter 10 मन्दाकिनीवर्णनम् 
  11. Chapter 11 व्याघ्रपथिककथा
  12. Chapter 12 कर्णस्य दानवीरता 
  13. Chapter 13 विश्वशान्तिः
  14. Chapter 14 शास्त्रकाराः

BSEB Class 10th Hindi काव्य-खंड (पद्य) Solutions

Chapter :- 1 राम बिनु बिरथे जगि जनमा, जो नर दुख में दुख नहिं मानै
Chapter :- 2 प्रेम अयनि श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारौं
Chapter :- 3 अति सूधो सनेह को मारग है, मो अंसुवानिहिं लै बरसौ
Chapter :- 4 स्वदेशी
Chapter :- 5 भारतमाता
Chapter :- 6 जनतंत्र का जन्म
Chapter :- 7 हिरोशिमा
Chapter :- 8 एक वृक्ष की हत्या
Chapter :- 9 हमारी नींद
Chapter :- 10 अक्षर-ज्ञान
Chapter :- 11 लौटकर आऊँग फिर
Chapter :- 12 मेरे बिना तुम प्रभु

_______________________

Related Posts

Krishnakumar kunnath (KK)

Google pays tribute to Krishnakumar kunnath (KK) with animated doodle on his Bollywood debut anniversary

PM Awas Yojana 2024

PM Awas Yojana 2024 | ग्रामीण और शहरी इलाकों के 3 करोड़ लोगों को Pradhan Mantri Awas की लाभ

Bihar Deled Counselling 2024: Choice Filling, Online Registration, Merit List, Date & Notification

Bihar Deled Counselling 2024: Choice Filling, Online Registration, Merit List, Date & Notification