कहानी का अर्थ :-
अस्माकं देशः भारतवर्षमिति कथ्यते। अस्य महिमा………………. कर्तव्यरूपेण वर्तते।
अर्थ:- हमारे देश को भारतवर्ष कहा जाता है। इसकी महिमा सब जगह गायी गयी है। इस पाठ में विष्णुपुराण और भागवत पुराण के प्रथम और द्वितीय सर्ग से पद्य लिया गया है। बचे अन्य पदों का निर्माण कर प्रस्तुत किये गये हैं। भारत के प्रति भक्ति हमारा कर्तव्य है।
पौराणिकी
गयन्ति देवाः किल………………….|
………………. भूयः पुरुषाः सुरत्वात्॥
अन्वयः- देवाः गीतकानि गायन्ति – ते पुरुषाः धन्याः किल (सन्तिवे) स्वर्गापवर्गास्पद मार्ग भूते भारतभूमि भागे! सुरत्वात् भूयः भवन्ति।
अर्थ:- देवतालोग भी जिसका गुण-गान गाते हैं। वे भारतीय अवश्य धन्य हैं। स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने योग्य हे भारत भूमि! आप साधना-स्वरूप हैं। यहाँ के लोग देवतास्वरूप होते हैं।
अहो अमीषां किमकारि………………. स्वयं हरिः।
यैर्जन्म लब्धम्……………… स्पृहा हि नः ॥2॥
अन्वयः- (देवाः गायन्तः कथयन्ति) अहो! अमीषां (एमिः) कि शोभनं अकारि (यत्) नृषु यैः भारताजिरे मुकुन्दसेवौपचिकं जन्म लब्धम्। हि नः (अपि) स्पृहा।
अर्थ:- (देवतालोग भारतभूमि का गुण-गान करते हुए कहते हैं) अहो! ईश्वर के द्वारा कैसा अच्छा काम किया गया? जिससे मनुष्य भारत भूमि पर जन्म पाकर भगवान हरि की सेवा के योग्य बन जाते हैं। हमारी भी इच्छा है (भारत भूमि पर अवतरित होवें)
आधुनिकी इयं निर्मला वत्सला मातृभूमिः, प्रसिद्ध सदा भारतवर्षमेतत्।
विभिन्ना जना धर्मजातिनप्रभेदै, रिहैकत्वभावं वहन्नो वसन्ति।। 3॥
अन्वयः- एतत् भारतवर्ष प्रसिद्धम्, इयं मातृभूमिः सदा निर्मला वत्सला (अस्ति)। इह धर्म जाति न प्रमेदैः विभिन्नाः जनाः एकस्वभावं वहन्तः वसन्ति।
अर्थ:- यह भारतवर्ष प्रसिद्ध है। यह भारतभूमि सदैव पवित्र और ममतामयी है। यहाँ धर्म जाति का भेद किये बिना विभिन्न लोग एकता भाव को धारण करते हुए निवास करते हैं।
विशालास्मदीया………………. शुभा चापगोभिः॥
अन्वयः- अस्मदीया भारतीयधरा विशाला, रम्यरूपा, शुभा भव्यभूतिः (च) एषा सागरैः वनैः पर्वतैः निझरैः वहन्तीभिः आपगामिः (च) सदा सेविता (अस्ति)
अर्थ:- हमारी भारतभूमि विशाल, रमणीय रूप वाली, शुभ स्वरूपा और बहुत सुन्दर ऐश्वर्यवाली है। यह सागरों से, वनों से पर्वतों से, झरनों से तथा बहती हुई नदियों से सदा सेवित हैं।
जगद्गौरवं भारतं शोभनीयं, सदास्माभिरेतत्तथा पूजनीयम्।
भवेद् देशभक्तिः समेषां जनानां, परादर्शरूपा सदावर्जनीया।।
अन्वयः- एतत् भारतं शोभनीयं जगद्गौरवं (च) तथा (इयं) अस्माभिः सदा पूजनीयम्। (अत्रत्यानाम् निवासीनां) समेषा जनानां सदा आवर्जनीया परा आदर्शरूप (च) देश भवि भवेत्
अर्थ:- यह भारत शोभनीय और संसार का गौरव है तथा यह भूमि हमलोगों के द्वारा सदैव पूजनीय है। यहाँ के निवासी सभी लोगों की देश-भक्ति सदैव आकर्षणीय, श्रेष्ठ और आदर्शरूपा होती है।
पदच्छेदाः
- धन्यास्तु – धन्याः + तु,
- किमकारि – किम् + अकारि,
- स्विदुत – स्विद् + उत,
- यैजन्म – यैः + जन्म,
- भारताजिरे – भारतं + अजिरे,
- मुकुन्दसेवौपयिकम् – मुकुन्दसेवा + औपयिकम्,
- धर्म-जाति-प्रभेदैरहैकत्वभावं – धर्म-जाति-प्रभेदैः + इह + एकत्वभावम्,
- विशालास्मदीया – विशाला + अस्मदीया,
- पर्वतैर्निरैर्भव्यभूतिर्वहन्तीभिरेषा – पर्ततैः + निझरैः + भव्यभूतिः + वहन्तीभिः + एषा,
- चापगाभिः – च + आपगाभिः,
- जगद्गौरवम् – जगत् + गौरवम्,
- सदास्माभिरेतत्तथा – सदा + अस्माभिः + एतत् + तथा,
- परादर्शरूपा – परा + आदर्शरूपा,
- सदावर्जनीया – सदा + आवर्जनीया,
- स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते – स्वर्ग + अपवर्ग + आस्पदमार्गभूते
शब्दार्थः
- अकारि – किया गया,
- किल – अवश्य,
- सुरत्वात् – देवत्व के रूप में,
- स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते – हे स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने योग्य साधनास्वरूपा,
- भारताजिरे – भारतभूमि में,
- स्विदुत – अथवा,
- मुकुन्दसेवौपथिकम् – श्री हरि की सेवा के योग्य,
- स्पृहा – इच्छा,
- वत्सला – ममतामयी,
- धर्म-जाति-प्रभैदैः – धर्म और जाति के भेदों से,
- एकत्वभावम् – एकता के भाव को,
- वहन्तः – धारण करते हुए,
- अस्मदीया – हमारी,
- भव्यभूतिः – भव्य ऐवर्य वाली,
- आपगाभिः – नदियों के द्वारा,
- समेषाम् – सभी की,
- परा – श्रेष्ठ,
- आवर्जनीया – आकर्षण योग्य,
- आदर्शरूपा – आदर्शरूप,
- गीतकानि – गीत।
व्याकरणम् :
- गीतकानि – गीतम् एव गीतकम् तानि गीतकानि स्वार्थे कञ् प्रत्ययः,
- स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते – स्वर्गस्य अपवर्गस्य च मार्गभूता (साधनस्वरूपा) सम्बोधने। (षष्ठी तत्पुरुषः),
- अकारि – कृ धातोः कर्मवाच्ये प्रथम पुरुष एकवचने लङ् लकारे त प्रत्यये कृते ‘अकारि’ इति सिद्धम्,
- भारताजिरे – भारतस्य अजिरे -षष्ठी तत्पुरुषः,
- मुकुन्दसेवौपरियकम् – मुकुन्दस्य सेवा इति मुकुन्दसेवा,
- तस्याः – औपयिकम् उपायभूतम् इति मुकुन्दसेवौपथिकम् (षष्ठी तत्पुरुषः),
- वहन्तः – वह + शतृ प्रत्येय वहत् पुल्लिङ्गे प्रथमा बहुवचने वहन्तः,
- सेविता – सेव् + क्त + टाप्,
- भव्यभूतिः – भव्याभूमिः यस्याः सा भव्यभूतिः,
- अस्मदीया – अस्मद् + छ (ईय) + टाप्,
- वहन्तीभिः – वह + शत् इति वहत् + इणेप्ः वहन्ती,
- शोभनीयम् – शुभ् + अनीयर्,
- पूजनीयम् – पूज् + अनीयर्,
- आवर्जनीया – आङ् + वृज् + अनीयर् + टाप,
- देशभक्तिः – देशाय भक्तिः (चतुर्थी तत्पुरुष)
मौखिकः
1. एकपदेन उत्तरं वदत –
(क) के गीतकानि गायन्ति?
उत्तर- देवाः।
(ख) एषां कः प्रसन्नः?
उत्तर- हरिः।
(ग) इयं निर्मला मातृभूमिः कीदृशी अस्ति?
उत्तर- वत्सला।
(घ) अस्मदीया भारतीयाधरा कीदृशी अस्ति?
उत्तर- विशाला।
(ङ) अस्माभिः सदा किं पूजनीयम्?
उत्तर- भारतम्।
लिखितः
2. एकपदेन उत्तरं लिखत –
(क) देवाः कानि गायन्ति?
उत्तर- गीतकानि।
(ख) जनैः कीदृशं जन्म लब्धम्?
उत्तर- मुकुन्दसेवौपयिकम्।
(ग) विशाला धरा का?
उत्तर- भारतीया।
(घ) जगद् गौरवं किं वर्तते?
उत्तर- भारतम्।
(ङ) समेषां जनानां का भवेत्?
उत्तर- देशभक्ति।
पूर्ण वाक्येन उत्तरं लिखत –
(क) अस्माकम् भारतीयाधरा कीदृशी अस्ति?
उत्तर- अस्माकं भारतीयाधरा विशाला रम्यरूपा शुभ् भव्यभूति च अस्ति।
(ख) भारतीयाधरा कैः काभिः च सेविता?
उत्तर- भारतीयाधरा सागरैः वनैः पर्वतैः निर्झरैः वहन्तीभिः आपगामिः च सेविता।
(ग) धर्म-जाति प्रभैदैः विभिन्नाः जनाः किं वहन्तः वसन्ति?
उत्तर- धर्म-जाति न प्रभैदैः विभिन्नाः जनाः एकत्वभावं वहन्तः वसन्ति।
(घ) के वारम्वारं भारते जन्म गृह्णन्ति?
उत्तर- देवाः वारम्बारं भारते जन्म गृहणन्ति।
(ङ) सर्वेषां जनानां देशभक्तिः कीदृशी भवेत्?
उत्तर- सर्वेषां जनानां देशभक्तिः परा आदर्शरूपा च भवेत्।
(च) भारतभूमिः कीदृशी अस्ति?
उत्तर- भारतभूमिः निर्मला वत्सला च अस्ति।
(छ) भारताजिरे जन्म लब्धुं स्पृहा केषाम् अस्ति?
उत्तर- भारताजिरे जन्म लब्धुं स्पृहा देवानां अस्ति।
Objectives (वस्तुनिष्ठ प्रश्न) :-
- किस देश की महिमा सर्वत्र गायी जाती है ? – भारत देश की
- भारत के प्रति हमलोगों की भक्ति किस रूप से है ?- कर्त्तव्य रूप से
- कौन भारत का गुणगान करते है ?- देवगण
- स्वर्ग व मोक्ष दात्री साधनस्वरूपा कौन धरती है ?- भारतीया
- कहाँ जन्म लेने वाले देवत्व या वीरतत्व को प्राप्त करते है ? – भारत में
- भारतमहिमा पाठ के प्रथम पद्य किस पुराण से संकलित है ?- विष्णु
- भारतमहिमा पाठ के द्वितीय पद्य किस पुराण से संकलित है ?- भागवत्
- भारतभूमि पर जन्म लेने वाले किसकी सेवा के योग्य बन जाते है ?- मुकुंद (विष्णु)
- भारतभूमि पर जन्म लेकर कौन प्रसन्न होते है ?- हरि
- भारतभूमि पर जन्म लेकर कौन जाना नहीं चाहते है ?- हरि
- भारतभूमि पर कौन बार-बार जन्म लेना चाहते है ?- हरि
- कौन बहुत प्रसिद्ध देश है ?- भारतवर्ष
- भारतभूमि कैसी मातृभूमि रही है ?- ममतामयी (वत्सला)
- भारतभूमि कैसी भूमि है ?- बड़ी (विशाल)
- भारतदेश में अनेकों धर्म व जाति के लोग किस तरह के भाव रखकर निवास करते है ?- एकता का
- विशाल और रम्यरुपा कौन धरती है ?- भारतीया
- शुभ या भव्य ऐश्वर्य वाली कौन धरती है ?- भारतीया
- सागरों द्वारा,पर्वतों द्वारा और बहती हुई नदियों द्वारा हमेशा से सेवित कौन भूमि है ?- भारतभूमि
- संसार का गौरव और अत्यंत शोभनीय कौन-सा देश है ?- भारत देश
- हमलोगों द्वारा हमेशा से पूजनीय कौन देश है ?- भारत देश
- भारत के रहने वाले लोगों की देशभक्ति कैसी होनी चाहिए ?- आवर्जनीया व परादर्शरूपा
- भारत महिमा पाठ में कितने मंत्र है ?- पञ्च (पाँच)
Short-Answer Type Question (लघु उत्तरीय प्रश्न)
उत्तर- भारतमहिमा पाठ भागवत् पुराण व विष्णु पुराण से संकलित है | तथा इस पाठ में अति प्रसिध्द भारत देश की महिमा का वर्णन है |
2. भारत देश की महिमा का वर्णन करे |
उत्तर- भारत देश को प्राचीन काल से ही इतना महत्त्व दिया गया था कि यहाँ देवगण भी जन्म लेने के लिए तरसते थे | इसकी प्राकृतिक सुषमा अनेक प्रदूषणकारी व विध्वंसक क्रियाओं के बाद भी अनुपम है|
3. देवगण किस देश का गुणगान करते है और क्यों ?
उत्तर- देवगण भारतदेश का गुणगान करते है | क्योकि इस देश का महत्व इतना है कि यहाँ जन्म लेकर लोग देवत्व अथवा वीरतत्व को प्राप्त कर लेते हैं |
4. भारतभूमि कैसी है तथा यह किसके-किसके द्वारा सेवित हैं ?
उत्तर- भारतभूमि बहुत ही बड़ी, सुन्दर रूपवाली व शुभ या भव्य ऐश्वर्य वाली है | यह हमेशा से सागरों द्वारा, पर्वतों द्वारा, झरनों द्वारा व बहती हुई नदियों द्वारा सेवित है |
5. भारत देश में किस प्रकार के लोग रहते हैं तथा उनकी देशभक्ति कैसी होनी चाहिए ?
उत्तर- भारत देश में विभिन्न प्रकार के धर्म व जाति के लोग एकता का भाव रखकर निवास करते हैं | तथा यहाँ के सभी लोगों की देशभक्ति सदा एक आकर्षण योग्य व सबसे बड़ी आदर्शरूप वाली होनी चाहिए |
अन्य अध्याय (Other Chapters)
- Chapter 1 मंगलम
- Chapter 2 पाटलिपुत्रवैभवम
- Chapter 3 अलसकथा
- Chapter 4 संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः
- Chapter 5 भारतमहिमा (भारत की महिमा)
- Chapter 6 भारतीयसंस्काराः (भारतीय संस्कार)
- Chapter 7 नीतिश्लोकाः (नीति के श्लोक)
- Chapter 8 कर्मवीर कथा
- Chapter 9 स्वामी दयानन्दः
- Chapter 10 मन्दाकिनीवर्णनम्
- Chapter 11 व्याघ्रपथिककथा
- Chapter 12 कर्णस्य दानवीरता
- Chapter 13 विश्वशान्तिः
- Chapter 14 शास्त्रकाराः
BSEB Class 10th Hindi काव्य-खंड (पद्य) Solutions
Chapter :- 1 राम बिनु बिरथे जगि जनमा, जो नर दुख में दुख नहिं मानै
Chapter :- 2 प्रेम अयनि श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारौं
Chapter :- 3 अति सूधो सनेह को मारग है, मो अंसुवानिहिं लै बरसौ
Chapter :- 4 स्वदेशी
Chapter :- 5 भारतमाता
Chapter :- 6 जनतंत्र का जन्म
Chapter :- 7 हिरोशिमा
Chapter :- 8 एक वृक्ष की हत्या
Chapter :- 9 हमारी नींद
Chapter :- 10 अक्षर-ज्ञान
Chapter :- 11 लौटकर आऊँग फिर
Chapter :- 12 मेरे बिना तुम प्रभु
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