Bihar Board Class 12th Hindi Book Solution पद्य chapter 7 पुत्र वियोग

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Bihar Board Class 12th Hindi Book Solution पद्य chapter 7 पुत्र वियोग

Hello, इस वेबसाइट के इस पेज पर आपको Bihar Board Class 12th Hindi Book के काव्य खंड के Chapter 7 के सभी पद्य के भावार्थ एवं प्रश्न- उत्तर (Question-Answer) पढने को मिलेंगे साथ ही साथ कवि परिचय एवं आपके परीक्षा के दृष्टिकोण से ओर भी महत्वपूर्ण जानकारियां पढने को मिलेंगे | इस पूरे पेज में क्या-क्या है उसका हेडिंग (Heading) नीचे दिया हुआ है अगर आप चाहे तो अपने जरूरत के अनुसार उस पर क्लिक करके सीधा (Direct) वही पहुंच सकते है |Bihar Board Class 12th Hindi पद्य Solution chapter 7 पुत्र वियोग

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-:कवि परिचय:-

16 अगस्त, सन् 1904 को सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म निहालपुर, इलाहाबाद ( उ० प्र०) में हुआ था । इनकी माता का नाम श्रीमती, धीरज कुँवरी और पिता का नाम ठाकुर रामनाथ सिंह था । सन् 1919 में इनका विवाह ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान से खाँडवा, मध्य प्रदेश में हुआ । लेखिका के पति अंग्रेजी सरकार द्वारा जब्त ‘कुली प्रथा और गुलामी का नशा’ नामक नाटकों के लेखक एक प्रसिद्ध पत्रकार, अच्छे स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस के सक्रिय नेता थे । लेखिका की आरम्भिक शिक्षा क्रास्थवेट गर्ल्स स्कूल, इलाहाबाद में हुई जहाँ इनकं साथ प्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्मा भी थीं । इसके पश्चात् वाराणसी में थियोसोफिकल स्कूल के नौंवी कक्षा के बाद अधूरी शिक्षा छोड़ कर असहयोग आंदोलन में कूद पड़ीं। छात्र जीवन से ही इन्हें काव्य रचना की अभिरुचि थी । आगे चलकर एक अच्छी कवियत्री एवं साहित्यकार के रूप में प्रतिष्ठिा भी पायी ।

लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान अपने जीवनकाल में समाज सेवा, स्वाधीनता संघर्ष में सक्रिय भागीदारी, राजनीति करते हुए अनेक बार कारावास भी गयीं । अन्त में मध्यप्रदेश की एक विधानसभा में एम० एल० ए० बनकर अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन और जागरण में सक्रिय भूमिका निभाते हुए वसंत पंचमी के दिन इस संसार से ” का महापर्व महापर्व ” करके बिदा ली । इनके जीवन का महामंत्र था । स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व होम करना, इतना ही नहीं, मुक्ति बोध ने तो कहा है “समुद्रा जी के साहित्य में अपने युग के मूल उद्वेग, उसके भिन्न-भिन्न रू”, अपनी आभरणहीन शैली में प्रकट हुए हैं।

रचनाएँ – सुभद्रा कुमारी चौहान की निम्नलिखित रचनायें ‘मुकुल’ (कविता संग्रह), ‘त्रिधारा’ (कविता चयन) बिखरे मोती (कहानी संग्रह) सभा के खेल (कहानी संग्रह) प्रमुख ।

कविता का सारांश

अपने पुत्र के असामयिक निधन के बाद माँ द्वारा व्यक्त की हुई उसके अन्तर की व्यथा का इस कविता ” पुत्र वियोग” में सफल निरूपण हुआ है। कवयित्री माँ अपने पुत्र वियोग में अत्यन्त भावुक हो उठती है। उसकी अन्तर्चेतना को पुत्र का अचानक बिछोह झकझोर देता है । प्रस्तुत कविता में पुत्र के अप्रत्याशित रूप से असमय निधन से माँ के हृदय में व्यापक संताप का हृदय विदारक चित्रण है। एक माँ के विषादमय शोक का एक साथ धीरे-धीरे गहराता और क्रमशः ऊपर की ओर आरोहण करता भाव उत्कंठा अर्जित करता जाता है तथा कविता के अन्तिम छंद में पारिवारिक रिश्तों के बीच माँ-बेटे के संबंध को एक विलक्षण आत्म-प्रतीति में स्थायी परिवर्तित करता है । यह माँ की ममता की अभिव्यक्ति का चरमोत्कर्ष

कवयित्री अपने पुत्र के असामयिक निधन से अत्यन्त विकल है। उसे लगता है कि उसका प्रिय खिलौना खो गया है। उसने अपने बेटे के लिए सब प्रकार के कष्ट उठाए, पीड़ाएँ झेलीं । उसे कुछ हो न जाय, इसलिए हमेशा उसे गोद में लिए रहती थी । उसे सुलाने के लिए लोरियाँ गाकर तथा थपकी देकर सुलाया करती थी । मंदिर में पूजा-अर्चना किया, मिन्नतें माँगी, फिर भी वह अपने बेटे को काल के गाल से नहीं बचा सकी । वह विवश है । नियति के आगे किसी का वश नहीं चलता । कवयित्री की एकमात्र इच्छा यही है कि पलभर के लिए भी उसका बेटा उसके पास आ जाए अथवा कोई व्यक्ति उसे लाकर उससे मिला दे । कवयित्री उसे अपने सीने से चिपका लेती तथा उसका सिर सहला- सहलाकर उसे समझाती । कवयित्री की संवेदना उत्कर्ष पर पहुँच जाती है, शोक सागर में डूबती उतराती बिछोह की पीड़ा असहय है । वह बेटा से कहती है कि भविष्य में वह उसे छोड़कर कभी भी नहीं जाए । अपने मृत बेटे को उक्त बातें कहना उसकी असामान्य मनोदशा का परिचायक है । ऐसा प्रतीत होता है जैसे उसने अपनी जीवित सन्तान को उक्त बातें कहीं हों ।

उपरोक्त कविता सुभद्राजी के प्रतिनिधि काव्य संकलन ‘मुकुल’ से ली गई । प्रस्तुत कविता, ‘पुत्र-वियोग’ कवयित्री माँ के द्वारा लिखी गई है तथा निराला की ‘सरोज-स्मृति’ के बाद हिन्दी में एक दूसरा “शोकगीत” है ।

पुत्र के असमय निधन के बाद तड़पते रह गए माँ के हृदय के दारूण शोक की ऐसी सादगी भरी अभिव्यक्ति है जो निवैयक्तिक और सार्वभौम होकर अमिट रूप में काव्यत्व अर्जित कर लेती है। उसमें एक माँ के विषादमय शोक का एक साथ धीरे-धीरे गहराता और ऊपर-ऊपर आरोहण करता हुआ भाव उत्कटता अर्जित करता जाता है तथा कविता के अंतिम छंद में पारिवारिक रिश्तों के बीच माँ-बेटे के संबंध की एक विलक्षण आत्म-प्रतीति में स्थायी परिणति पाता है।

व्याख्या

  1. थपकी दे दे जिसे सुलाया जिसके लिए लोरियाँ गाईं जिसके मुख पर जरा मलिनता देख आँख में रात बिताई ।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग – 2 की “पुत्र वियोग” शीर्षक कविता से उद्धृत हैं। इसकी रचनाकार सुभद्रा कुमारी चौहान हैं। कवयित्री पुत्र विछोह से मर्माहत है, अपनी कारुणिक पीड़ा में उसे विगत की स्मृतियाँ झकझोर देती हैं। कवयित्री अपने पुत्र को थपकी देकर सुलाने का प्रयास करती है। उसे लोरियाँ (गीत) गाकर सुनाती है। उसके मुख पर उदासी देखकर अनेक रातें जागकर व्यतीत करती है । कवयित्री उपरोक्त पद्यांश में अपने सहज स्वाभाविक दायित्वों तथा प्रयासों की चर्चा करते हुए अपनी गहन संवेदना को अभिव्यक्त कर रही है। बच्चे के मचलने पर माँ लोरियाँ गाकर अपने बच्चों को सुलाती है । पुत्र की जरा सी भी अस्वस्थता में रात जागकर बिता देती है । कवयित्री की अधीरता स्पष्ट दीखती है ।

  1. जिसके लिए भूल अपनापन पत्थर को भी देव बनाया कहीं नारियल, दूध बताशे कहीं चढ़ाकर शीश नवाया ।

उत्तर – प्रस्तुत व्याख्येय काव्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक दिगंत भाग – 2 के “पुत्र वियोग” शीर्षक कविता से ली गई हैं। इसकी रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान हैं । कवयित्री अपने वात्सल्य भाव से अभिभूत है; उसकी हार्दिक आकांक्षा अपने पुत्र को स्वस्थ तथा सुखी देखने की है ।

कवयित्री कहती है कि उसने पत्थर की भी पूजा की । पत्थर की प्रतिमा को देवता माना । मंदिरों में जाकर नारियल, दूध तथा बताशे चढ़ाए ।

इन पंक्तियों में कवयित्री के कहने का आशय यह है कि अपने पुत्र के स्वास्थ्य तथा सुख के लिए उसने मन्दिरों में जाकर पूजा-अर्चना की। पत्थर की मूर्तियों को भी भगवान मानकर उनसे मिन्नतें माँगी । मंदिरों में नारियल, दूध, बताशे आदि चढ़ाकर पुत्र के दीर्घ जीवन की कामना की । वह सदा अपने पुत्र को हँसता-खेलता देखना चाहती थी । उसकी प्रसन्नता में ही उसकी खुशी निहित थी । ।

  1. भाई बहिन भूल सकते हैं पिता भले ही तुम्हें भुलावें किन्तु रात-दिन की साथिन माँ कैसे अपना मन समझावे ।

उत्तर – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग – 2 की ‘पुत्र वियोग’ शीर्षक कविता से उद्धृत अंश है। इसकी रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान हैं । इन व्याख्येय पंक्तियों में. कवयित्री ने माँ के हृदय की गहराई में अवस्थित ममता की व्यापकता का चित्रण किया है । अपने बच्चों के प्रति माँ से अधिक अन्य किसी व्यक्ति का लगाव नहीं होता ।

कवयित्री का कथन है कि उसके भाई तथा बहन उसे (उसके पुत्र) भूल जा सकते हैं । उसके पिता भी उसे भुला दे सकते हैं । किन्तु माँ ( कवयित्री) अपने बेटे को कभी नहीं भूल सकती । वह तो सब समय उसके साथ रहनेवाली है । वह उसकी सर्वोतम सहयोगी है । वह रात दिन उसके सुख-दुख का ख्याल रखनेवाली ममतामयी माँ है ।

इस प्रकार कवयित्री – संताप से ग्रसित होकर कहती है कि अपने बेटे को वह कभी नहीं भूल सकती । उसको अपनी नजरों से दूर देखना नहीं चाहती। उसका कहना है कि भाई-बहन भले ही उसको ( बेटा) भुला दें, पिता भी संभव है अपने बेटे को भूल जाएँ किन्तु उसकी ममतामयी माँ का हृदय उसे कभी नहीं भूल सकता। वह ऐसा स्वप्न में भी नहीं कर सकती । उसकी भावुकता मुखरित हो जाती है, “रात दिन की साथिन माँ कैसे अपना मन समझावे ।”

-: लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर :-

प्रश्न 1. सुभद्रा कुमारी चौहान हिन्दी साहित्य में किस भावधारा की कवयित्री हैं ? उनकी काव्य-प्रतिभा का उल्लेख करें ?

उत्तर – सुभद्रा कुमारी चौहान छायावादी काव्यधारा के समानान्तर स्वतंत्र रूप से काव्य रचना करने वाली राष्ट्रीय भावधारा की विशिष्ठ और प्रमुख कवयित्री थीं । उनकी कविता की केन्द्रीय और प्रमुख प्रेरणा यथार्थनिष्ठ राष्ट्रीय भावधारा है। इनकी कविता में स्वतंत्रता आन्दोलन, सांस्कृतिक जागरण, सामाजिक सुधार एवं परिवर्तन की व्यापक चेतना के साथ यह भावधारा उत्तरोत्तर गहरी, एकाग्र और उन्मुख होती गई।

प्रश्न 2. सुभद्रा कुमारी चौहान की कौन-कौन सी प्रमुख कृतिया हैं, उनका उल्लेख करें:

उत्तर – सुभद्रा कुमारी चौहान की मुख्य काव्य कृतियाँ- ‘मुकुल’ ‘त्रिधारा’ आदि हैं । कहानी-संग्रह में विखरे मोती, सभा के खेल चर्चित कृतियाँ हैं। इनकी कृतियों में राष्ट्रीय, नवजागरण, लोकचेतना मानवीय संवेदना स्वतंत्रता के प्रति जागरुकता, सामाजिक सुधार आदि के प्रबल स्वर मुखरित होते हैं। भारतीय आन्दोलन की पहली वीर सत्याग्रही कवयित्री के रूप में सुभद्राजी वंदनीय हैं।

प्रश्न 3. हिन्दी साहित्य सम्मेलन का सेकसरिया पुरस्कार उन्हें ( सुभद्रा कुमारी चौहान) क्यों मिला ?

उत्तर – सुभद्रा कुमारी चौहान की अनमोल कृति ‘मुकुल’ पर 1930 ई० में हिन्दी साहित्य सम्मेलन का महत्वपूर्ण पुरस्कार – ‘सेकसरिया पुरस्कार’ प्रदान किया गया । ‘मुकुल’ सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख काव्य कृति है ।

प्रश्न 4. साहित्य – सेवा के अलावा उनका राजनीतिक जीवन भी अत्यंत ही महत्वपूर्ण था, इस पर प्रकाश डालें ।

उत्तर-सुभद्रा कुमारी चौहान का राजनीतिक जीवन भी अत्यंत ही महत्वपूर्ण था भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया था । वे अनेक बार जेल भी गयी थीं । समाज सेवा एवं राजनीति में सदैव सक्रिय रहकर अपने त्याग एवं कर्त्तव्यनिष्ठा का उन्होंने परिचय दिया था | वे मध्यप्रदेश में काँग्रेस पार्टी की एम० एल० ए० भी बनी थीं ।

पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. कवयित्री का खिलौना क्या है ?

उत्तर – कवयित्री का खिलौना उसका बेटा है। बच्चों को खिलौना प्रिय होता है, वह उनकी सर्वोत्तम प्रिय वस्तु होती है । उसी प्रकार कवयित्री के लिए उसका बेटा उसके जीवन का सर्वोत्तम उपहार है । इसलिए वह कवयित्री का खिलौना है ।

प्रश्न 2. कवयित्री स्वयं को असहाय और विवश क्यों कहती है ?

उत्तर – कवयित्री स्वयं को असहाय तथा विवश इसलिए कहती है कि उसने अपने बेटे की देख-भाल तथा उसके लालन-पालन पर अपना पूरा ध्यान केन्द्रित कर दिया। अपनी सुविधा असुविधा का कभी विचार नहीं किया। बेटा को ठंढ न लग जाए, बीमार न पड़ जाए इसके लिए सदैव गोदी में रखा। इन सारी सावधानियों तथा मंदिर में पूजा-अर्चना से भी वह अपने बेटे की असमय मृत्यु नहीं टाल सकी। नियति के आगे किसी का वश नहीं चलता । अतः, वह स्वयं को असहाय तथा बेबस कहती है

प्रश्न 3. पुत्र के लिए माँ क्या-क्या करती है ?

उत्तर – पुत्र के लिए माँ निजी सुख-दुख भूल जाती है। उसे अपनी सुख-सुविधा के विषय में सोचने का अवकाश नहीं रहता। वह उसके स्वास्थ्य एवं सुरक्षा का पूरा ध्यान रखती है। बेटा को ठंड न लग जाए अथवा बीमार न पड़ जाए, इसके लिए उसे सदैव गोद में लेकर उसका मनोरंजन करती रहती है। उसे लोरी गीत सुनाकर सुलाती है। उसके लिए मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करती है तथा मन्नतें माँगती है ।

प्रश्न 4. अर्थ स्पष्ट करेंआज दिशाएँ भी हँसती हैं है उल्लास विश्व पर छाया मेरा खोया हुआ खिलौना अब तक मेरे पास न आया ।

उत्तर – आज सभी दिशाएँ पुलकित हैं, सर्वत्र प्रसन्नता छाई हुई है। सारे विश्व में उल्लास का वातावरण है। किन्तु मेरा (कवयित्री) खोया हुआ खिलौना अब तक मुझे प्राप्त नहीं हुआ । अर्थात् कवयित्री के पुत्र का निधन हो गया है। इस प्रकार वह उससे (कवयित्री) छिन गया है । यह उसकी व्यक्तिगत क्षति है। विश्व के अन्य लोग हर्षित हैं। सभी दिशाएँ भी उल्लसित (प्रमुदित) ‘दीख रही हैं। किन्तु कवयित्री ने अपना बेटा खो दिया है। उसकी मृत्यु हो चुकी । वह उद्विग्न है, शोक विह्वल है। अपनी असंयमित मनोदशा में वह बेटा के वापस आने की प्रतीक्षा करती है और नहीं लौटकर आने पर निराश हो जाती है ।

प्रश्न 5. माँ के लिए अपना मन समझाना कब कठिन है और क्यों ?

उत्तर- माँ के लिए अपने मन को समझाना तब कठिन हो जाता है, जब वह अपना बेटा खो देती है। बेटा माँ की अमूल्य धरोहर होता है। माँ की आँखों का तारा होता है। माँ का सर्वस्व यदि क्रूर नियति द्वारा उससे छीन लिया जाता है, उसके बेटे की मृत्यु हो जाती है तो माँ के लिए अपने मन को समझाना कठिन होता है ।

प्रश्न 6. पुत्र को ‘छौना’ कहने से क्या भाव छुपा है, उसे उद्घाटित करें ।

उत्तर- ‘छौना’ का अर्थ होता है हिरण आदि पशुओं का बच्चा । ‘पुत्र वियोग’ शीर्षक कविता में कवयित्री ने ‘छौना’ शब्द का प्रयोग अपने बेटा के लिए किया है । हिरण अथवा बाघ का बच्चा बड़ा भोला तथा सुन्दर दीखता है । इसके अतिरिक्त चंचल तथा तेज भी होता है । अतः, कवयित्री द्वारा अपने बेटा को छौना कहने के पीछे यह विशेष अर्थ भी हो सकता है ।

प्रश्न 7. मर्म उद्घाटित करें ।

भाई-बहिन भूल सकते हैं पिता भले ही तुम्हें भुलावे किन्तु रात-दिन की साथिन माँ कैसे अपना मन समझावे ।

उत्तर –

प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग – 2 की ‘पुत्र वियोग’ शीर्षक कविता से उद्धृत अंश है। इसकी रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान हैं । इन व्याख्येय पंक्तियों में. कवयित्री ने माँ के हृदय की गहराई में अवस्थित ममता की व्यापकता का चित्रण किया है । अपने बच्चों के प्रति माँ से अधिक अन्य किसी व्यक्ति का लगाव नहीं होता ।

कवयित्री का कथन है कि उसके भाई तथा बहन उसे (उसके पुत्र) भूल जा सकते हैं । उसके पिता भी उसे भुला दे सकते हैं । किन्तु माँ ( कवयित्री) अपने बेटे को कभी नहीं भूल सकती । वह तो सब समय उसके साथ रहनेवाली है । वह उसकी सर्वोतम सहयोगी है । वह रात दिन उसके सुख-दुख का ख्याल रखनेवाली ममतामयी माँ है ।

इस प्रकार कवयित्री – संताप से ग्रसित होकर कहती है कि अपने बेटे को वह कभी नहीं भूल सकती । उसको अपनी नजरों से दूर देखना नहीं चाहती। उसका कहना है कि भाई-बहन भले ही उसको ( बेटा) भुला दें, पिता भी संभव है अपने बेटे को भूल जाएँ किन्तु उसकी ममतामयी माँ का हृदय उसे कभी नहीं भूल सकता। वह ऐसा स्वप्न में भी नहीं कर सकती । उसकी भावुकता मुखरित हो जाती है, “रात दिन की साथिन माँ कैसे अपना मन समझावे ।”

प्रश्न 8. कविता का भावार्थ संक्षेप में लिखिए।

उत्तर- ‘पुत्र वियोग’ शीर्षक कविता में अपने बेटे की मौत के बाद शोकाकुल माँ के मन में उठनेवाले अनेक निराशाजनक तथा असंयमित विचार तथा उससे उपजी विषादपूर्ण मनःस्थिति को उद्घाटित किया गया है। कवयित्री अपने बेटे के आकस्मिक तथा अप्रत्याशित निधन से मानसिक तौर पर अशान्त है। वह अपनी विगत स्मृतियों को याद कर उद्विग्न है। एक माँ के हृदय में उठनेवाले झंझावात की वह स्वयं भुक्तभोगी है। कविता में कवयित्री द्वारा नितांत मनोवैज्ञानिक तथा स्वाभाविक चित्रण किया गया है ।

वस्तुतः कवयित्री ने अपने बेटे की मौत से उपजे दुःखिया माँ के शोकपूर्ण उद्गारों का स्वाभाविक एवं मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है। ऐसी युक्तियुक्तपूर्ण एवं मार्मिक प्रस्तुति अन्यत्र दुर्लभ है। महादेवी वर्मा की एक मार्मिक कविता इस प्रकार है, जो माँ की ममता को प्रतिबिंबित करती है, “आँचल में है दूध और आँखों में पानी । “

प्रश्न 9. इस कविता को पढ़ने पर आपके मन पर क्या प्रभाव पड़ा, उसे लिखिए ।

उत्तर- ‘पुत्र वियोग’ कविता में कवयित्री ने अपने बेटा की मृत्यु तथा उससे उपजे विषाद की अभिव्यक्ति की है।

मेरे मन में भी कुछ इसी प्रकार के मनोभावों का आना स्वाभाविक है। किसका ‘हृदय संवेदना से नहीं भर उठेगा ? कौन कवयित्री के शोकोद्गारों की गहराई में गए बिना रहेगा। एक माँ का अपने बेटे की दिन रात देखभाल करना, बीमारी, ठंड आदि से रक्षा के लिए उसे गोदी में खिलाते रहना, स्वयं रात में जागकर उसे लोरी गीत सुनाकर सुलाना, अपने दाम्पत्य जीवन की खुशी को संतान पर केन्द्रित करना, अंत में नियति के क्रूर-चक्र की चपेट में बेटा की मौत ! इन सारे घटनाक्रमों से मैं मानसिक रूप से अशांत हो गया। मुझे ऐसा अहसास हुआ जैसे यह त्रासदी मेरे साथ हुई। कविता में कवयित्री ने अपनी सम्पूर्ण संवेदना को उड़ेल दिया है, मन में करुणा उमड़ पड़ी तथा असह्य दर्द की अनुभूति होती है । प्रश्न 10. “पुत्र वियोग” शीर्षक कविता का सारांश लिखें। उत्तर- उत्तर के लिए कवि तथा कविता का सारांश देखें ।

Read Also-

भाषा की बात

प्रश्न 1. सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्य-भाषा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।

उत्तर – सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्य-भाषा यथार्थनिष्ठा युक्त एक राष्ट्रीय भावधारा है। वे अपनी समकालीन छायावादी काव्यधारा के समानांतर स्वतंत्र रूप से काव्य रचना करनेवाली राष्ट्रीय भावधारा की प्रमुख और विशिष्ट कवयित्री थी । उनकी इस भावधारा के मूल में सामाजिक, राजनीतिक यथार्थ की प्रेरणाएँ और आग्रह थे ।

प्रश्न 2. कविता से सर्वनाम पदों को चुनें |

उत्तर – मेरा मेरे वह इसमें उसको जिस कहीं इस जिसे कोई कुछ तुम्हें कैसे

प्रश्न 3. ‘मलिनता’ में ‘ता’ प्रत्यय है । ‘ता’ प्रत्यय के योग से पाँच अन्य शब्द बनाएँ ।

उत्तर – (१ .) मानवता – मानव

(ii) आवश्यक – आवश्यकता

(iii) दानवता – दानव

(iv) मनुष्य – मनुष्यता

(v) सरल – सरलता

प्रश्न 4. इनके विपरीतार्थक शब्द लिखें

मलिनता, देव, असहाय, जटिल, नीरस, कठिन, विकल ।

उत्तर-

मलिनता – स्वच्छता

असहाय – समर्थ

जटिल – सरल

नीरस – सरस

विकल – अविकल

देव – दानव

कठिन – सरल

प्रश्न 5. वाक्य प्रयोग द्वारा इन मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करें

(क) आँखों में रात बिताना (ख) शीश नवाना

उत्तर- (क) आँखों में रात बिताना (रात्रि जगारण, रात में जागते रहना)

माताएँ अपने शिशुओं (बच्चों) के लिए आँखों में रात बिता देती हैं।

(ख) शीश नवाना- (आदर करना, प्रणाम करना) अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए भक्तजन मंदिरों में भगवान के समझ शीश नवाते हैं ।

प्रश्न 7. ‘उल्लास’ शब्द का संधिविच्छेद करें

उत्तर-उल्लास = उत् + लास ।

इस आर्टिकल में आपने Bihar Board Class 12th hindi Book के काव्य खंड के Chapter 7 पुत्र वियोग में के भावार्थ एवं प्रश्न- उत्तर (Question-Answer) पढ़ा | अगर कोई सुझाव या परेशानी हो तो नीचे कमेंट में अपनी राय अवश्य दें | धन्यवाद |

इसे भी पढ़ें –  

Chapter :- 1 कड़बक
Chapter :- 2 सूरदास के पद
Chapter :- 3 तुलसीदास के पद
Chapter :- 4 छप्पय
Chapter :- 5 कवित्त
Chapter :- 6 तुमुल कोलाहल कलह में
Chapter :- 7 पुत्र वियोग
Chapter :- 8 उषा
Chapter :- 9 जन-जन का चेहरा एक
Chapter :- 10 अधिनायक
Chapter :- 11 प्यारे नन्हें बेटे को
Chapter :- 12 हार-जीत
Chapter :- 13 गाँव का घर

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