अंतः स्त्रावी ग्रंथियाँ – प्रकार, कार्य एवं अन्य जानकारी | Endocrine Glands in hindi – Types and work | Sarkaricity

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अंतः स्त्रावी ग्रंथियाँ – प्रकार, कार्य एवं अन्य जानकारी | Endocrine Glands in hindi | Types and work of Endocrine Glands in hindi| Sarkaricity

हॉर्मोनों की रासायनिक संरचनाएँ काफी भिन्न होती हैं। कुछ हॉर्मोनों टेस्टोस्टेरॉन, एस्ट्रोजेन) स्टेरॉइड (steroid) होते हैं, तो कुछ (ऐड्रीनेलिन, थाइरॉइड हॉर्मोन) ऐमीनो अम्ल टाइरोसिन से बना है तथा कुछ प्रोटीन (ऑक्सीटोसिन, इंसुलिन) होते हैं। इनमें अभी तक बहुतों का संश्लेषण (synthesis) प्रयोगशाला में हो पाया है। 

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मुख्य अंत:स्रावी ग्रंथियाँ(Endocrine glands)निम्नलिखित हैं 

  1. पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary gland)
  2. पीनियल ग्रंथि (Pineal gland)
  3. थाइरॉइड ग्रंथि (Thyroid gland)
  4. पैराथाइरॉइड ग्रंथि (Parathyroid gland)
  5. थाइमस ग्रंथि (Thymus gland)
  6. ऐड्रीनल ग्रंथि या सुप्रारीनल ग्रंथि (Adrenal or suprarenal gland)
  7. अग्न्याशय की लैंगरहँस द्वीप (Islets of Langerhans of pancreas)

👉 इसके अलावा निम्नलिखित ग्रंथियाँ भी हॉर्मोन स्रावित करती हैं।

9. जनन-ग्रंथि (Gonads)
10. हृदय, वृक्क, ननऐंडोक्रिन ऊतक एवं आहारनाल के विभिन्न भागों में स्रावित हॉर्मोन (Heart, kidney, nonendocrine tissue and hormones secreted by different parts of the alimentary canal)


                           1. पिट्यूटरी ग्रंथि क्या है ?
             (Pituitary Gland or Hypophysis)

यह कपाल की स्फेनॉइड (sphenoid) हड्डी में एक गड्ढे में उपस्थित रहती है जिसको सेला टुरसिका (sella turcica) कहते हैं। यह तालु (palate) एवं मस्तिष्क के अधरतल के मध्य हाइपोथैलेमस के साथ एक वृत (stalk) के द्वारा संबद्ध रहती है। यह 1 cm लंबी तथा 1.5 cm चौड़ी होती है। इसका भार लगभग 0.5 ग्राम होता है। पिट्यूटरी ग्रंथि के दो भाग होते हैं—(i) अग्रपिंडक (anterior lobe) एवं (ii) पश्चपिंडक (posterior lobe)। सूक्ष्म रचना के आधार पर इसे निम्नांकित छह भागों में बाँटा गया है। 

  1. पार्स डिस्टालिस या अग्रभाग (Pars distalis or pars anterior)
  2. पार्स ट्यूबरेलिस (Pars tuberalis)
  3. पार्स इंटरमीडिया (Pars intermedia)
  4. पार्स नरवोसा या पार्स पश्च (Pars nervosa or pars posterior)
  5. मिडियन एमिनेंस (Median eminence)
  6. इंफंडीबुलम या पिट्यूटरी वृंत (Infundibulum or pituitary stalk)

किंतु भ्रूणीय उत्पत्ति के आधार पर इनके निम्नांकित दो भाग होते हैं।

(a) एडीनोहाइपोफाइसिस (Adenohypophysis)- इसकी उत्पत्ति मुखगुहा के पृष्ठतल पर एक आशय (vescicle) के रूप में होती है। यह पिट्यूटरी ग्रंथि का अतंत्रिकीय भाग होता है। इस भाग के अंतर्गत अग्रपिंडक (anterior lobe) तथा पार्स इंटरमीडिया (Pars intermedia) सम्मिलित हैं।

(b) न्यूरोहाइपोफाइसिस (Neurohypophysis)- इसकी उत्पत्ति मस्तिष्क के डाएनसेफलॉन (diencephalon) भाग के अधरतल से एक उभार के रूप में होती है तथा उससे यह एक वृंत के द्वारा संबद्ध रहता है जिसको इन्फंडीबुलम (infundibulum) कहते हैं। यह पिट्यूटरी ग्रंथि की तंत्रकीय भाग होता है। इसके अंतर्गत इंफंडीबुलर वृंत (infundibular stalk) एवं पार्स नरवोसा (pars nervosa) आते हैं। दोनों मिलकर पश्चपिंडक (posterior lobe) होता है।

पिट्यूटरी का अग्रपिंडक पोर्टल रुधिर वाहिनियों द्वारा हाइपोथैलेमस से जुड़े है। हाइपोथैलेमस में संश्लेषित कुछ हॉर्मोन इन वाहिनियों द्वारा अग्रपिंडक में पहुँचकर अग्रपिंडक को विशेष हॉर्मोन मोचन (release) या दमन (supress) करने को उत्तेजित करते हैं।


हाइपोथैलेमस द्वारा स्रावित हॉर्मोन एवं उनके कार्य (Hormones Secreted by Hypothalamus and their Functions)

  •  वृद्धि हॉर्मोन रिलीजिंग हॉर्मोन (GHRH))-  यह वृद्धि हॉर्मोन मोचन के लिए उद्दीपित करता है।
  •  वृद्धि हॉर्मोन निरोधीकारक हॉर्मोन (GHIH)- वृद्धि हॉर्मोन मोचन के निरोधक है।
  • थाइरोट्रॉपिन रिलीजिंग हॉर्मोन (TRH) — कोशिकाओं को थाइरोट्रॉपिन उद्दीपित हॉर्मोन के मोचन के लिए उद्दीपित करता है।
  • ऐड्रीनोकोर्टिकोट्रॉपिक हॉर्मोन रिलीजिंग हॉर्मोन- ऐड्रीनोकोर्टिकोट्रॉपिक हॉर्मोन को उद्दीपित करता है।
  • गोनैडोट्रॉपिन रिलीजिंग हॉर्मोन (GnRH). – फॉलिकिल उत्तेजक (stimulating) हॉर्मोन एवं ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन के मोचन के लिए उत्तेजित करता है।
  • मेलानोसाइट स्टिम्युलेटिंग (उत्तेजक) हॉर्मोन (MSH) – मेलानोसाइट स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन के मोचन के लिए उत्तेजित करता है।
  • मेलानोसाइट स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन निरोधीकारक हॉर्मोन (MIH) — मेलानोसाइट स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन के मोचन को निरोधीकरण (inhibiting) के लिए उत्तेजित करता है।
  • प्रोलैक्टिन रिलीजिंग हॉर्मोन (PRH)- प्रोलैक्टिन मोचन के लिए उत्तेजित (stimulate) करता है।
  • प्रोलैक्टिन निरोधीकारक हॉर्मोन (RIH)- प्रोलैक्टिन मोचन को निरोधीकरण के लिए उत्तेजित करता है।


पिट्यूटरी का अग्रपिंडक (Anterior Lobe of Pituitary Glands) इसके निम्नलिखित दो भाग होते हैं।

1. पार्स एंटेरियर या पार्स डिस्टैलिस (Pars anterior or pars distalis)—पूरी ग्रंथि का यह 3/4 भाग बनाता है। इस भाग की मृदूतक कोशिकाएँ (parenchyma cells) स्तंभों या समूहों में व्यवस्थित रहती हैं। स्तंभों के बीच-बीच का स्थान विवरिका केशिकाओं (sinusoid capillaries) और संयोजी ऊतक से भरा रहता है। कोशिका रज्जुओं के भीतर कलिल (colloid) देखा गया है। कोशिकाएँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं—क्रोमोफोब्स (chromophobes) और क्रोमोफिलस (chromophiles)। क्रोमोफिलस कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं— एसिडोफिलस (acidophiles) और बेसोफिलस (basophiles)|

क्रोमोफोब कोशिकाएँ एसिड-रंजक या बेसिक-रंजक द्वारा रंजित नहीं होतीं एवं ये कोशिकाएँ क्रोमोफिल कोशिकाओं में परिवर्तित हो जाती हैं। एसिडोफिल कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं सोमैटोट्रॉपिक एवं लैक्टोट्रॉपिक। सोमैटोट्रॉपिक से वृद्धि हॉर्मोन तथा लैक्टोट्रॉपिक से लैक्टोजेनिक हॉर्मोन स्रावित होता है। बेसोफिल कोशिकाएँ भी विभिन्न प्रकार की होती हैं जिनसे विभिन्न प्रकार के ट्रॉपिक हॉर्मोन (ACTH, TSH, FSH एवं LH) स्रावित होते हैं।

2. पार्स ट्यूबरेलिस (Pars tuberalis)- इसकी रचना एपिथीलियल कोशिकाओं के समूहों एवं जालवत (reticular) संयोजी ऊतकों से मिलकर होती है। इसके मध्य मे बड़े-बड़े शिरानालाभ (sinusoids) उपस्थित रहते हैं। ये संवहिनी प्रकृति के होते हैं।


पिट्यूटरी ग्लैंड का पश्चपिंडक (Posterior Lobe of Pituitary Gland) इसके निम्नलिखित दो भाग होते हैं।

1. पार्स इंटरमीडिया (Pars intermedia)- वयस्क मनुष्य में पिट्यूटरी का यह भाग बहुत छोटा होता है तथा इसकी सीमा अस्पष्ट होती है। यह ग्रैनुलर एपिथीलियल (granular epithelial) कोशिकाओं की बनी होती है। ये कोशिकाएँ पार्स डिस्टैलिस से कुछ छोटी होती हैं एवं उससे मिश्रित रहती हैं।

2. पार्स नरवोसा (Pars nervosa) –  यह तर्कुरूप (fusiform) तथा अनिश्चित आकार वाली कोशिकाओं द्वारा निर्मित होता है। इन कोशिकाओं से पतले-पतले प्रवर्धक निकले रहते हैं जिनको पिट्यूसाइट (pituicytes) कहते हैं। यह भाग कम संवाही होता है।


पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा स्रावित विभिन्न हॉर्मोन (Hormones secreted by Pituitary Gland)

1. एडीनोहाइपोफाइसिस में मौजूद विभिन्न कोशिकाएँ साधारणतः  निम्नांकित सात प्रकार के हॉर्मोन स्रावित करती हैं।

(i) सोमैटोट्रॉपिक हॉर्मोन या मानव- वृद्धि हॉर्मोन (Somatotropic hormone, STH or Growth hormone, hGH)

(ii) थाइरॉइड उत्तेजक हॉर्मोन या थाइरोट्रॉपिन (Thyroid stimulating hormone, TSH or Thyrotropin)

(iii) ऐड्रीनोकोर्टिकोट्रॉपिक हॉर्मोन (Adrenocorticotropic hormone, ACTH)

(iv) फॉलिकिल उत्तेजक हॉर्मोन (Follicle stimulating hormone, FSH)

(v) ल्यूटीनाइजिंग हॉर्मोन या अंतरालकोशिका उत्तेजक हॉर्मोन (Luteinizing hormone, LH or Interstitial cell stimulating hormone, ICSH)

(vi) ल्यूटिओट्रॉपिक हॉर्मोन या लैक्टोजेनिक हॉर्मोन (Luteotropic hormone, LTH or Lactogenic hormone)

(vii) मेलानोसाइट स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (Melanocyte stimulating hormone, MSH) जब पिट्यूटरी हाइपोथैलेमस से हॉर्मोन प्राप्त करता है तब कोशिकाओं को पिट्यूटरी हॉर्मोन स्रावित करने उद्दीपित करता है।


2. न्यूरोहाइपोफाइसिस से दो प्रकार के हॉर्मोन मुक्त किया जाता है जो हाइपोथैलेमस में संश्लेषित होता है।
(i) एंटीडाइयूरेटिक या पिट्रेसिन या वेसोप्रेसिन हॉर्मोन (Antidiuretic or Pitressin or Vasopressin, ADH)
(ii) ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) या पिटोसिन (Pitocin) हॉर्मोन।

अग्रपिंडक द्वारा स्रावित हॉर्मोन (Horman Secreted by Anterior Lobe)
जब पिट्यूटरी हाइपोथैलेमस से हॉर्मोन प्राप्त करता है तब कोशिकाओं को पिट्यूटरी हॉर्मोन स्रावित करने उद्यीपित करता है।


पिट्यूटरी के अग्रपिंडक में पाँच प्रकार विशेष कोशिकाएँ मौजूद हैं जिनसे 7 निम्नांकित विभिन्न प्रकार के हॉर्मोन स्रावित होते हैं। 

1. सोमैटोट्रॉफ (Somatotroph)  – मानव-वृद्धि हॉर्मोन (hGH)
2. थाइरोट्रॉफ (Thyrotroph)  – थाइरॉइड उद्दीपक हॉर्मोन (TSH)
3. कॉर्टिकाट्रॉफ (Corticotroph)  –  ऐड्रीनोकॉर्टिकोट्रॉपिक हॉर्मोन (ACTH)
 — मेलानोसाइट स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (MSH
4. लैक्टोट्रॉफ (Lactotroph)  –    प्रोलैक्टीन हॉर्मोन (PRL)
5. –गोनाडोट्रॉफ (Gonadotroph)  –  फॉलिकिल उत्तेजक हॉर्मोन (FSH)
—  अंतरालकोसिका उत्तेजक हॉर्मोन (ICSH)
—  ल्यूटीनाइजिंग हॉर्मोन (LH)

                 

                   👉  2.पीनियल ग्रंथि (Pineal Gland) क्या है? और कितने प्रकार के होते हैं?

                पीनियल काय या ग्रंथि मस्तिष्क के तृतीय निलय की छत पर और आधारीय वृंत से जुटा रहता है। यह मृदुतानिका (pia mater) से ढंका होता है जो एक संपुट बनाती है। संपुट से अनेक भित्तियाँ (septa or trabecular) केंद्रीय भाग की ओर निकलती हैं जिनके कारण इस ग्रंथि से कई पालियाँ बन जाती हैं। प्रत्येक पालि में दो प्रकार की कोशिकाएँ पाई जाती हैं- (i) मृदूतक कोशिकाएँ (parenchymal cells) जो अनियमित आकृति की होती हैं और जिनमें सूक्ष्म प्रवर्ध लगे होते हैं और (ii) तंत्रिबंध कोशिकाएँ (neurelgia) जिनमें छोटे और गाढ़े रंग के केंद्रक होते हैं; ये आलंबक होती हैं। संपुट या इस अंग के किसी भाग में विभिन्न आकारों के कई बीजाणु पात्र (acervuli) पाए जाते हैं। इनमें एककेंद्रीय क्षेत्र पाए जाते हैं। स्तनियों और पक्षियों के पीनियल में ऐमीनो अम्लों, सीरेटोनिन (seretonin) और फॉस्फेट का बाहुल्य होता है।

                👉 पीनियल ग्रंथि (Pineal Gland) के प्रकार ।
                    यह ध्यान देने योग्य है कि स्तनियों और पक्षियों का पीनियल निम्न वर्गों के कशेरुकी प्राणियों के पीनियल की ही तरह होता है। इन निम्न कशेरुकी प्राणियों में पीनियल के दो भाग होते हैं- (i) पैरापीनियल अंग या तृतीय नेत्र (parapineal organ or third eye) जो खोपड़ी की छत पर खुलता है और  (ii) अंतर्वर्थी (epiphysis)|
                👉 पीनियल ग्रंथि (Pineal Gland) के कार्य :
                इस अंग के कार्य के बारे में कुछ भी स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है, परंतु हाल के शोधकार्यों से मालूम हुआ है कि यह कोई स्राव उत्पन्न करता है। कदाचित इसमें तथा जनन अंगों में एक प्रकार का संबंध होता है, किंतु यह तथ्य अभी ठीक से सिद्ध नहीं हो पाया है।
                            गत वर्षों में चूहों पर किए प्रयोगों के आधार पर यह विदित हुआ है कि पीनियल ग्रंथि द्वारा एक हॉर्मोन का स्राव होता है जो मिलेटोनिन (melatonin) है एवं सिरोटिनिन (serotinin) इसका पूर्वगामी (precursor) है।

                👉 मिलेटोनिन (Melatonin) क्या है?
                 यह महिलाओं के मासिक चक्र (menstruous cycle) को धीमा करता है। जिसके कारण अंडाशय का भाग कम होने लगता है। इससे त्वचा में स्थित क्रोमैटोफोर पिगमेंट केंद्र में इकट्ठा हो जाते हैं जिससे त्वचा का रंग हलका (light) हो जाता है। 

                👉 मिलेटोनिन का स्रवण प्रकाश पर निर्भर करता है (अधिक प्रकाश में कम प्रवण होता है)।
                 ऐसा प्रतीत होता है कि स्तनियों के जनन-चक्र एवं वर्ष की विभिन्न ऋतुओं में जो संबंध है, उसका नियंत्रण इसी ग्रंथि के स्राव के द्वारा होता है। इसको नष्ट कर देने से या इसे हटा देने से पिट्यूटरी ग्रंथि का वजन (weight) बढ़ जाता है एवं LH, FSH की मात्रा भी बढ़ जाती है तथा अंडाणुक्षरण (ovulation) समय के पहले होता है। नर में भी विभिन्न ग्रंथियों का वजन बढ़ जाता है तथा टेस्टोस्टेरॉन की मात्रा बढ़ जाती है। अतः, हम यह कह सकते हैं कि मिलेटोनिन ऐण्टिगोनैडल (antigonadal) है।


                👉 3. थाइरॉइड ग्रंथि (Thyroid Glands) क्या है?

                        मनुष्य में यह ग्रंथि द्विपिंडक रचना होती है। ये दोनों पिंडक ऊतक की एक पतली पट्टी से संबद्ध है जिसको इस्थमस (isthmus) कहते हैं।

                👉 थाइरॉइड ग्रंथि का सूक्ष्मदर्शीय संरचना (Microscopic Structure) :
                इसमें अनेक थाइरॉइड पुटक (follicles) होते हैं। प्रत्येक पुटक में क्यूबॉयडल एपिथीलियम का एक स्तर होता है। इन कोशिकाओं की ऊँचाई स्रवण के समय बढ़ जाती है तथा निष्क्रिय अवस्था में घट जाती है। पुटक के आकार भी विभिन्न प्रकार के होते हैं।
                    पुटक-गुहा में एक जेल-जैसा पदार्थ होता है। यह पदार्थ एक कलिल (colloid) है जिसमें आयोडीन होता है। यह आयोडीन, आयोडीनयुक्त ऐमीनो अम्लों के रूप में होता है। इस द्रव को आइडोथाइरोग्लोब्यूलिन (iodothyroglobulin) कहते हैं जो अत्यधिक आणविक भार वाले प्रोटीन हैं एवं यह पुटक की कोशिकाओं द्वारा स्रावित होता है। पुटक एक-दूसरे से संयोजी ऊतक द्वारा अलग रहते हैं। इस संयोजी ऊतक में जगह-जगह पर रुधिर कोशिकाएँ पाई जाती हैं।
                👉 थाइरॉक्सिन का संश्लेषण (Synthesis of Thyroxine) कहा से होता है?
                इस ग्रंथि के स्राव को थाइरॉक्सिन (thyroxine, C15H11 O4NI4) कहते हैं जिसमें आयोडीन होता है। भोजन से अवशोषित आयोडीन थाइरॉइड ग्रंथि द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। इस ग्रंथि की कोशिकाओं में स्थित टाइरोसिन (tyrosine) नामक ऐमीनो अम्ल से मिलकर सर्वप्रथम मोनोआयोडोटाइरोसिन (monoiodotyrosine) बनता है। इसमें पुनः एक परमाणु आयोडीनयुक्त होकर डाइआयोडोटाइरोसिन (diiodotyrosine) का निर्माण करता है। तब दो अणु डाइआयोडोटाइरोसिन मिलकर एक परमाणु (molecule) टेट्राआयोडोथाइरोनिन (tetraiodothyronine) या थाइरॉक्सिन (thyroxine) बनाता है।
                👉 थाइरॉइड ग्रंथि द्वारा स्रावित थाइरॉक्सिन के कार्य (Functions of Thyroxine Secreted by Thyroid Gland)
                (i) थाइरॉक्सिन कोशिकीय श्वसन की गति को तीव्र करता है।
                (ii) यह शरीर की सामान्य वृद्धि, विशेषतया हड्डियों, बाल इत्यादि के लिए अनिवार्य है।
                (iii) यह ऊतकों में अंतरकोशिकीय पदार्थों की मात्रा का नियंत्रण करता है।
                (iv) टोड एवं मेढ़क के टैडपोल लार्वा के रूपांतरण (metamorphosis) में यह अनिवार्य है।
                (v) यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की सक्रियता (activity) बढ़ाता है।
                (vi) यह रक्त में कीटोन (ketone) का बनना कम कर देता है।
                (vii) यह ऑक्सीकृत क्रियाओं (oxidative reactions) पर नियंत्रण करके उपापचयन की साधारण दर बनाए रखता है
                (viii) यह दूसरी अंतःस्रावी ग्रंथियों को भी इस प्रकार प्रभावित करता है- (a) यह ऐड्रीनल कॉर्टेक्स (adrenal cortex) को हॉर्मोन नावित करने लिए उद्दीपित करता है। (b) जनन अंगों के सामान्य कार्य इसी पर आधारित रहते हैं। (c) यह पिट्यूटरी के अग्रपिंडक के द्वारा स्रावित हॉर्मोन के साथ सहयोग कर शरीर में जल-संतुलन का नियंत्रण करता है। (d) यह पिट्यूटरी के अग्रपिंडक द्वारा स्रावित थाइरोट्रॉपिक हॉर्मोन (thyrotropic hormone) के स्राव का नियंत्रण करता है।
                (ix) कुछ विटामिनों को भी थाइरॉक्सिन की जरूरत होती है। अधिक स्रवण होने से विटामिन A, D एवं E की कमी हो जाती है।

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