इन पोस्ट पर आपको बिहार बोर्ड (BSEB) के कक्षा 10 के संस्कृत पाठ्य पुस्तक का समाधान देखने को मिलेगा । इस पेज में आप 10th संस्कृत पीयूषम भाग -2 के दशम: पाठः (Chapter-10) मन्दाकिनीवर्णनम् (मन्दाकिनी नदी का वर्णन) का सभी प्रश्न-उत्तर तथा परीक्षा के दृष्टिकोण तैयार किए गए अन्य कई महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ एवं गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न पढ़ने को मिलेंगे ।
कहानी का अर्थ
प्रस्तुतः पाठः ………………………… यथार्थ चित्रणं करोति ।
अर्थ:- (प्रस्तुत पाठ वाल्मिकी रामायण के अयोध्या काण्ड के पंचानवें (95) सर्ग से संकलित किया गया है। वनवास प्रसंग में राम-सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकुट पहुँचते हैं। वहाँ स्थित मन्दाकिनी नदी का वर्णन करते हुए सीता को कहते हैं। यह नदी प्राकृतिक सम्पदाओं से घिरी होने के कारण मन को आकर्षित करती है। इसका वर्णन कालिदास ने रघुवंश काव्य में भी (तेरहवें सर्ग में) किया है। अनुष्टुप छन्द में महर्षि वाल्मिकी मन्दाकिनी वर्णन में प्रकृति का यथार्थ चित्रण करते हैं।)
विचित्रपुलिनां रम्यां ……………………. मन्दाकिनी नदीम् ॥ 1॥
अन्वयः- (हे सीते) कुसमैः उपसम्पन्नां हंससारससेवितां विचित्रपालिनां च रम्यां मन्दाकिनी नदी पश्या ।
अर्थ:- (हे सीते) फूलो से परिपूर्ण हंस-सारस से सेवित और विचित्र (रंगविरंगवाली) तटों वाली रमणीय मन्दाकिनी नदी को देखो।
नानाविधैस्तीररूहैर्वृतां …………. नलिनीमिव सर्वतः ॥2॥
अन्वयः- (हे सीते!) नानाविधैः तीररूहै: पुष्पफलद्रुमैः सर्वत: वृतां राजन्ती (च) (मन्दाकिनीम्) राजराजस्य नलिनीम् इव पश्य।
अर्थ:- (हे सीते!) नानाप्रकार से आकर्षित करते हुए फूलों, फलों और वृक्षों से घिरी और शोभित होती हुई, कुबेर की सरोवर की भाँति शोभा वाली मन्दाकिनी नदी को देखो।
मृगयूथनिपीतानि कलुषाम्भांसि साम्प्रतम्। तीर्थानि ……………………… संजनयन्ति में ॥ 3 ॥
अन्वयः– (हे सीते!) साम्प्रतम् मृगयूथानि पीतानि कलुष अम्भांसि (युक्तानि) इमानि तीर्थानि रमणीयानि रतिं च मे संजनयन्ति।
अर्थ:- हे सीते! आजकल मृग समूहों के द्वारा पीये गये गन्दे जल से युक्त ये तीर्थे रमणीय और आनन्ददायक मुझको लग रहे हैं।
जटाजिनधराः काले ……………………… मन्दाकिनी प्रिये ॥4॥
अन्वयः- हे प्रिये काले जटाजिनधराः वत्कलोत्तरवासवः ऋषयः तु मन्दाकिनी नदी अवगाहन्ते
अर्थ:- हे प्रिये इस समय जटा और मृगचर्म धारण करने वाले, पेड़ की छाल वाला वस्त्र धारण करने वाले ऋषि लोग भी मंदाकिनी नदी की सेवा करते हैं।
आदिग्यमुपतिष्ठन्ते ……………………. मुनयः संशितव्रताः ।।5।।
अन्वयः- हे विशालाक्षि ! एते परे संशितव्रताः मनुयः उर्ध्वबाहवः नियमात् आदित्य उपतिष्ठन्ते।
अर्थ:- हे बड़ी-बड़ी आखों वाली ! ये श्रेष्ठ तथा प्रशंसनीय व्रत रखने वाले मुनीलोग अपनी बाँहों को ऊपर किये हुए सूर्य की उपासना में लगे हैं।
मारूतोद्धृतशिखरैः ……………………. सुजभिरभितो नदीम् ॥6॥
अन्वयः- (हे सीते!) नदीम् अभितः पुष्प पत्राणि सृजद्भिः पादपैः मारूतोद् धूत शिखरैः पर्वतः प्रनृत इव (दृश्यते)
अर्थ:- हे सीते! नदी के चारों ओर फूल एवं पत्तों से युक्त पौधे एवं हवा से चलायमान शिखर से पर्वत झुमते हुए जैसे लग रहे हैं।
क्वचिन्मणिनिकाशोदा क्वचित्पुलिनशलिनीम्। क्वचित्सिद्धजनाकीर्णां पश्य मन्दाकिनी नदीम् ।7।।
अन्वयः- (हे सीते) क्वचित् मणिनिकाश उदाम क्वचित् पुलिनशालिनीम् क्वचित् सिद्धजनाकीणां मन्दाकिनी नदी पश्य।
अर्थ:- हे सीते! कहीं पर मणि सादृश जल वाली कहीं पर सुन्दर तटवाली, कहीं पर सिद्ध ऋषि-मुनियों से सेवित मन्दाकिनी नदी को देखो।
निर्धूतान् वायुना पश्य ………………………….।
…………………… पश्यत्वं जलमध्यगान् ॥8॥
अन्वयः- हे सीते! त्वं पश्य, वायुना निर्धूतान् विततान् पुष्पसंचयान् अपरान (च) पोप्लूयमानान् जलमध्यगान् (नदी) पश्य।
अर्थ:- हे सीते ! तुम देखो, वायु द्वारा उड़ाये गये (पसरे) फूल समूहों को देखो और दूसरी तरफ जल के बीच में तैरते हुए फूल के ढेरों को देखो।
तांश्चातिवल्गुवचसो रथाङ्गाहवयना द्विजाः।
अधिरोहन्ति कल्याणि निष्कूजन्तः शुभा गिरः ॥9॥
अन्वयः- हे कल्याणि। अति वल्गुवचसः रथाङ्गहवयना द्विजाः (पश्य) च शुभा गिरः निश्कूजन्तः ताम् (मन्दाकिनी) अधिरोहन्ति
अर्थ:- हे कल्याणि ! अत्यन्त मीठी वाणी वाला चक्रवाक (चकवा-चकई) पक्षी को देखो जो श्रवण मधुर आवाज से मन्दाकिनी की शोभा को बढ़ा रहे हैं।
दर्शनं चित्रकूटस्य ………………………………. ।
…………………… मन्ये तव च दर्शनात् ॥ 10 ॥
अन्वयः- हे शोभने। अत्र चित्रकूटस्य मंदाकिन्याः च (यत्) दर्शनं भवति। (तत्) तव दर्शनां अन्ये पुरवासात् अधिकं मन्ये।
अर्थ:- हे शोभने! यहाँ चित्रकुट और मंदाकिनी के दृश्यों का दर्शन जो हो रहा है। यह दृश्य तुम्हारे द्वारा किया गया अन्य दृश्यों के दर्शन से अधिक सुन्दर माना जायगा।
व्याकरणम्
शब्दार्थाः
- विचित्र पुलिनां – रंग-विरंगे तटों वाली,
- रम्या-सुन्दर को,
- कुसुमैः – फूलों से,
- द्रुमैः वृक्षों से,
- राजन्ती – सुशोभित होती हुयी,
- नलिनीम् – पोखर, तालाब को,
- मृगयूथनिपीतानि- पशु समूह द्वारा पीये गये,
- कलुषाम्भासि – गन्दे जल,
- रमणीयानि – मन को मोहित करने वाले,
- जटाजिनधराः – जटा और मृगचर्मधारण करने वाले,
- वल्कलोत्तरवाससः – वृक्ष की छाल को वस्त्र के रूप में धारण करनेवाले,
- ऊर्ध्ववाहवः – जिन्होंने अपनी भुजा को ऊपर किया है,
- विशालाक्षि – बड़ी-बड़ी आँखों वाली,
- संशितव्रताः -प्रशंसनीय व्रत वाले,
- मारूतोद्धृतशिखरैः – हवा के द्वारा चोटियों को उड़ाते हुए,
- निर्धूतान् – उड़ाए गये,
- विततान् – विस्तार किये गये,
- द्विजाः – पक्षी,
- रथाङ्गह्वयनाः – चकवे,
- वल्गुवचसः – मीठी बोली वाले,
- पोप्लूयमानान् – तैरते हुए,
- राजराजस्य – कुबेर का,
सन्धि-विच्छेदः
- कुसुमैरूपसम्पन्नाम् – कुसुमैः + उपसम्पन्नाम्,
- नानाविधैस्तीररूहैवृता – नानाविधैः + तीररूहै: + वृता,
- नलिनीमिव – नलिनीम् + इव,
- कलुषाम्भांसि – कलुष + अम्भासि,
- ऋषयस्त्ववगाहन्ते – ऋषयः + तु + अवगाहन्ते,
- आदित्यमुपतिष्ठन्ते – आदित्यम् + उपतिष्ठन्ते,
- नियमादूर्ध्वबाहवः – नियमात् + ऊर्ध्वबाहवः,
- विशालाक्षि – विशाल + अक्षि,
- सृजद्भिरभितः – सृजद्भिः + अभितः,
- क्वचिन्मणिनिकाशोदाम् – क्वचित् + मणिनिकाश + उदाम्,
- सिद्धजनाकीर्णाम् – सिद्धजन + आकीर्णाम्,
- तांश्चातिवल्गुवचसः – ताम् + च + अतिवल्गुवचसः,
- मन्दाकिन्याश्च – मन्दाकिन्याः + च,
- पुरवासाच्य – पुरवासात् + च।
अभ्यासः
1. एकपदेन उत्तरं वदत – (एक शब्द में उत्तर बोलें)
(क) अस्मिन् पाठे का नदी वर्णिता अस्ति?
उत्तर:- मन्दाकिनी।
(ख) मन्दाकिनी कस्य नलिनी इव सर्वतः राजते?
उत्तर:- कुबेरस्य।
(ग) मन्दाकिनी नदी के अवगाहन्ते?
उत्तर:- ऋषयः।
(घ) रामः मन्दाकिनीम् नदी कां दर्शयति?
उत्तर:- सीताम्।
(ङ) मन्दाकिनी वर्णनं कुतः सङ्गहीतम् अस्ति?
उत्तर:- रामायणात्।
(च) मुनयः कम् उपतिष्ठन्ते?
उत्तर:- आदित्यम्।
(छ) कीदृशानि तीर्थनि रतिं सञ्जानयति?
उत्तर:- रमणीयानि।
2. श्लोकांशं योजयित्वा पूर्ण श्लोकं वदत –
(श्लोक के अंश को जोड़कर पूरा श्लोक बोलें)
(क) जटाजिनधराः काले ………….। ऋषयस्त्ववगाहन्ते ……………….. ।।
उत्तर:- जटाजिनधरा काले वल्कालीत्तरवाससः । ऋषयस्त्ववगाहन्ते नदी मन्दाकिनी प्रिये।
(ख) दर्शनं चित्रकूटस्य ………………. । …………………. मन्ये तव च दर्शनात्।।
उत्तर:- दर्शनं चित्रकूटस्य मंदाकिन्याश्च शोभने। अधिकं पुरवासाच्च मन्ये तव च दर्शनात् ।
लिखितः
1. एकपदेन उत्तरं लिखत – (एक शब्दो में उत्तर लिखें)
(क) मन्दाकिनी नदी कस्य पर्वतस्य निकटे प्रवहति?
उत्तर:- चित्रकूटस्य।
(ख) नृत्यति इव कः प्रतिभाति?
उत्तर:- पर्वतः।
(ग) साम्प्रतं कैः पीतानि जलानि कलुषितानि?
उत्तर:- मृगैः।
(घ) ऊर्ध्वववाहवः के सन्ति?
उत्तर:- मुनयः।
(ङ) विशालाक्षि इति कस्याः कृते सम्बोधनम्?
उत्तर:- सीतायाः।
2. पूर्णवाक्येन उत्तरं वदत – (पूरे वाक्य में उत्तर बोलें)
(क) हंस सारससेविता विचित्रपुलिना च का?
उत्तर:- हंस सारससेविता विचित्र पुलिना च मन्दाकिनी।
(ख) संशितव्रताः मुनयः किं कुर्वन्ति?
उत्तर:- संशितव्रताः मुनयः ऊर्ध्ववाहवः आदित्यं उपतिष्ठन्ते।
(ग) श्रीरामः मन्दाकिन्या पोप्लूयमानान् कान् दर्शयति?
उत्तर:- श्रीरामः मन्दाकिन्यां पोप्लूयमानान् पुष्पसंचयान् दर्शयति।
(घ) सिद्धाकिर्णाम् मन्दाकिनीम् का पश्यति?
उत्तर:- सिद्धाकिर्णाम् मन्दाकिनीम् सीता पश्यति।
(ङ) ‘मन्दाकिनी वर्णनस्य’ रचयिता कः
उत्तर:- ‘मन्दाकिनी वर्णनस्य’ रचयिता वाल्मीकिः।
(च) ‘मन्दाकिनी वर्णनम्’ रामायणस्य कस्मिन् काण्डे अस्ति?
उत्तर:- ‘मन्दाकिनी वर्णनम्’ रामायणस्य अयोध्याकाण्डे अस्ति?
(छ) शुभगिरः के निष्कूजन्ति?
उत्तर:- शुभागिरः चक्रवाकाः निष्कूजन्ति?
3. रिक्त स्थानानि पूरयत-
(क) विचित्रपुलिना रम्या …………….। ……………..पश्य मन्दाकिनी नदीम्।।
उत्तर:- विचित्रपुलिना रम्यां हंससारससेविताम्। कुसुमैरूपसंपन्नां पश्य मन्दाकिनी नदीम्।।
(ख) क्वचिन्मणिनिकाशोदां क्वचिद् …………….। …………… क्वचित् ………… पश्य ………..।।
उत्तर:- क्वचिन्मणिनिकाशोदा क्वचिद् पुलिनशालिनीम्। क्वचित् जनाकीर्णां पश्य मन्दाकिनी नदीम्।।
4. उदाहरणमनुसृत्य कोष्ठगत पदानां समुचितं प्रयोगं कृत्वा वाक्यानि योजयतः (उदाहरण का अनुसरण कर कोष्ठक में दिये गये उचित शब्दों का प्रयोग कर वाक्य निर्माण करें)
प्रश्ना: – उत्तर
(क) सीता रामचन्द्रस्य प्रिया।
(ख) जटाजिनधराः ऋषयः मन्दाकिनीम् अवगाहन्ते।
(ग) संशितव्रताः मुनयः आदित्यं उपत्तिष्ठन्ते।
(घ) नदीम् अभितः पर्वतः प्रनृत इव।
(ङ) पुरवासात् चित्रकूटस्य दर्शनम् अधिक महत्त्वपूर्णम्।
(च) पक्षिणः पर्यायवाची द्विजः अस्ति
(छ) अस्मिन् पाठे रथाङ्गाहवयना चक्रवाकस्य खगस्य पर्यायवाची अस्ति।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Question & Answer)
- मन्दाकिनीवर्णनम् पाठ किस ग्रन्थ से संकलित है ?- रामायण से
- रामायण ग्रन्थ के रचयिता कौन है ?- वाल्मिकी
- यह पाठ रामायण के किस पाठ से संकलित है ?- अयोध्याकाण्ड से
- यह पाठ अयोध्याकाण्ड के कितने सर्ग से संकलित है ?- पंचानवें (95)
- वनवास प्रसंग में राम किसके-किसके साथ चित्रकूट पहुँचते है ?- लक्ष्मण और सीता के साथ
- रघुवंश काव्य किसकी रचना है ?- कालिदास की
- कालिदास रघुवंश काव्य में मंदाकिनी नदी का वर्णन कितने सर्ग में किया है ?- तेरहवें (13)
- राम मंदाकिनी नदी का वर्णन किसे कहता है ? – सीता को
- मंदाकिनीवर्णनम् पाठ में वाल्मिकी किसका यथार्थ चित्रण करते हैं ?- प्रकृति का
- फूलों से परिपूर्ण, हंस-सारस से सेवित और विचित्र तटों वाली कौन नदी है ?- मंदाकिनी
- किसके सरोवर की तरह शोभावाली मंदाकिनी नदी है ?- कुबेर के
- आजकल किन समूहों द्वारा नदी-जल पीये गये हैं या गन्दा किये गए हैं ?- पशुओं
- पीये गये गंदे जल से युक्त ये तीर्थ मुझे कैसे लग रहे हैं ?- रमणीय
- जटा और मृगचर्म धारण करने वाले कौन है ?- ऋषि लोग
- प्रशंसनीय व्रत धारण करने वाले कौन हैं ?- मुनि लोग
- मुनि लोग अपने बाँहें को ऊपर किये किसकी उपासना में लगे हैं ?- सूर्य
- कौन नृत्य करते हुए प्रतीत हो रहे हैं ?- पर्वत
- जल के बीचो-बीच क्या तैर रहें है ?- फुल
- ये अत्यंत मीठी बोली वाले कौन पक्षी है ?- चक्रवाक (चकवा-चकई)
- मंदाकिनी नदी किस पर्वत के निकट बहती है ?- चित्रकूट पर्वत के
- किसके द्वारा फूल और पत्ते उड़ाये गये है अथवा विस्तार किये गये हैं ?- हवा के द्वारा
- अपनी दोनों भुजाएँ ऊपर करने वाले कौन है ?- मुनि लोग
- पेड़ की छाल को वस्त्र के रूप में धारण करने वाले कौन है ?- मुनि लोग
- मंदाकिनी-नदी में चारों ओर जलों के बीचों-बीच तैरते हुए फूलों के समूह को कौन देखती है ?- सीता
Conclusion
इस पोस्ट में आपने बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के संस्कृत पाठ्य पुस्तक के पाठ (Chapter-9) Mandakinivarnanm/मन्दाकिनीवर्णनम् (मन्दाकिनी नदी का वर्णन) के लगभग सभी प्रश्न-उत्तर पढ़ा तथा परीक्षा के दृष्टिकोण अन्य कई वस्तुनिष्ठ (Objective) एवं गैर-वस्तुनिष्ठ (Subjective) पढ़ा है | यह पोस्ट आपको कैसा लगा कृपया अपनी राय कमेंट (Comment) में अवश्य दे |
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