Bihar Board Class 12th Hindi Book Solution पद्य chapter 10 ‘अधिनायक’

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Bihar Board Class 12th Hindi Book Solution पद्य chapter 10 'अधिनायक'

Hello, इस वेबसाइट के इस पेज पर आपको Bihar Board Class 12th Hindi Book के काव्य खंड के Chapter 10 के सभी पद्य के भावार्थ एवं प्रश्न- उत्तर (Question-Answer) पढने को मिलेंगे साथ ही साथ कवि परिचय एवं आपके परीक्षा के दृष्टिकोण से ओर भी महत्वपूर्ण जानकारियां पढने को मिलेंगे | इस पूरे पेज में क्या-क्या है उसका हेडिंग (Heading) नीचे दिया हुआ है अगर आप चाहे तो अपने जरूरत के अनुसार उस पर क्लिक करके सीधा (Direct) वही पहुंच सकते है |Bihar Board Class 12th Hindi पद्य Solution chapter 10 अधिनायक

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कवि परिचय

जीवनी – रघुबीर सहाय (कवि) का जन्म 9 दिसम्बर, 1929 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ । इनकी शिक्षा लखनऊ में ही अंग्रेजी में एम० ए० तक हुई । ये पेशे से पत्रकार थे । ‘प्रतीक’ में सहायक सम्पादक के रूप में पहले काम आरंभ किया। फिर आकाशवणी के समाचार विभाग में रहे । कुछ समय तक कल्पना का सम्पादन कार्य किया और अनेक वर्षों तक दिनमान का सम्पादन कार्य करते रहे ।

कवि रघुवीर सहाय ने कविता के अलावे रचनात्मक गद्य भी लिखे हैं। उनके काव्य संसार में आत्मपरक अनुभवों की जगह जनजीवन के अनुभवों की रचनात्मक अभिव्यक्ति अधिक है । इनका निधन 1990 ई० में हुआ ।

रचनाएँ – लेखक रघुवीर सहाय पेशे से पत्रकार होते हुये भी कविता को उन्होंने एक कहानीपन और नाटकीय वैभव दिया है। इनकी प्रथम समर्थ रचना ‘सीढ़ियों पर धूप में’; इसके पश्चात् ‘आत्महत्या के विरूद्ध’, ‘हँसो हँसो जल्दी हँसो’, ‘लोग भूल गये हैं ‘ आदि रचनाएँ हैं। ‘लोग उन्हें भूल गए हैं’ रचना पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है। रघुवीर सहाय को नई कविता’ के समर्थ कवियों में गिना जाता

साहित्यक विशेषताएँ : कवि (रघुवीर सहायजी) की अपनी काव्य-शैली है। इनकी भाषा सरल, साफ-सुथरी एवं सधी हुई है। ये ‘नई कविता’ के समर्थ कवियों में से एक हैं जो रोजमर्रा के प्रसंगों को उठाकर उसे अपनी कविता में विशिष्ट शैली में प्रस्तुत करने में सिद्धहस्त हैं। जातीय या वैयक्तिक स्मृतियाँ उनके यहाँ नहीं के बराबर है । मार्मिक उजाश और व्यंग्य बुझी खुरदुरी मुस्कानों से उनकी कविता पटी पड़ी हैं। छंदानुशासन के लिहाज से भी वे अनुपम हैं। ज्यादातर बातचीत को सहज शैली में ही उन्होंने लिखा और खूब लिखा ।

रघुबीर सहाय की कविताओं की दूसरी विशेषता है छोटे या लघु की महत्ता को स्वीकार करना । वे मात्र बड़े कहे जाने वाले विषय या समस्याओं पर ही दृष्टि नहीं डालते, बल्कि जिनको समाज में हाशिए पर रखा जाता है उनके अनुभवों को भी अपनी रचनाओं का विषय बनाते हैं। इन्होंने भारतीय समाज में शक्तिशालियों की बढ़ती हैसियत और सत्ता के खिलाफ भी साहित्य और पत्रकारिता के द्वारा पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है । ‘रामदास’ नामक कविता आधुनिक हिन्दी कविता की प्रमुख रचना मानी जाती है ।

रघुबीर सहाय के काव्य संसार में आत्मपरक अनुभवों की जगह जनजीवन के अनुभवों की रचनात्मक अभिव्यक्ति है । वे आधुनिक काव्य भाषा के मुहावरे को पकड़ने में भी अत्यंत कुशल हैं ?

कविता का सारांश

प्रश्न- ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें ।

उत्तर- ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता रघुवीर सहाय द्वारा लिखित एक व्यंग्य कविता है । इसमें आजादी के बाद के सत्ताधारी वर्ग के प्रति रोषपूर्ण कटाक्ष है। राष्ट्रीय गीत में निहित ‘अधिनायक’ शब्द को लेकर यह व्यंग्यात्मक कटाक्ष है। आजादी मिलने के इतने वर्षों के बाद भी आम आदमी की हालत में कोई बदलाव नहीं आया। कविता में ‘हरचरना’ इसी आम आदमी का प्रतिनिधि है।

हरचरना स्कूल जाने वाला एक बदहाल गरीब लड़का है । कवि प्रश्न करता है कि राष्ट्रगीत में वह कौन भारत भाग्य विधाता है जिसका गुणगान पुराने ढंग की ढीली-ढाली हाफ पैंट पहने हुए गरीब हरचरना गाता है । कवि का कहना है कि राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने के जलसे में वह ‘फटा-सुथन्ना’ पहने वही राष्ट्रगान दुहराता है जिसमें इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी न जाने किस ‘अधिनायक’ का गुणगान किया गया है।

कवि प्रश्न करता है कि वह कौन है जो मखमल, टमटम, वल्लभ, तुरही के साथ माथे पर पगड़ी एवं चँवर के साथ तोपों की सलामी लेकर ढोल बजाकर अपना जय-जयकार करवाता है। अर्थात् सत्ताधारी वर्ग बदले हुए जनतांत्रिक संविधान से चलती इस व्यवस्था में भी राजसी ठाठ-बाट वाले भड़कीले रोब-दाब के साथ इस जलसे में शिरकत कर अपना गुणगान अधिनायक के रूप में करवाये जा रहा है |

कवि प्रश्न करता है कि कौन है वह जो सिंहासन (मंच) पर बैठा है और दूर-दूर से नंगे पैर एवं नरकंकाल की भाँति दुबले-पतले लोग आकर उसे (अधिनायक) तमगा एवं माला पहनाते हैं । कौन है वह जन-गण-मन अधिनायक महावली जिससे डरे हुए लोग रोज जिसका गुणगान बाजा बजाकर करते हैं ।

इस प्रकार इस कविता में रघुवीर सहाय ने वर्तमान जनप्रतिनिधियों पर व्यंग्य किया है। कविता का निहितार्थ प्रतीत होता है कि इस सत्ताधारी वर्ग की प्रच्छन्न लालसा ही सचमुच अधि नायक अर्थात् तानाशाह बनने की है।

सप्रसंग व्याख्या

  1. पूरब- पश्चिम से आते हैं नंगे बचे नरकंकाल सिंहासन पर बैठा, उनके तमगे कौन लगाता है ।

व्याख्या – प्रस्तुत पद्यांश रघुवीर सहाय द्वारा विरचित ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता से लिया गया है । इसमें कवि ने सत्तावर्ग के द्वारा जनता के शोषण का जिक्र किया है। यह एक व्यंग्य – कविता है ।

कवि के अनुसार राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर सभी दिशाओं से जो जनता आती है वह नंगे पांव है । वह इतनी गरीब है कि केवल नरकंकाल का रूप हो गयी है। उसकी गाढ़ी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा सिंहासन परठा जनप्रतिनिधि हड़प लेता है। गरीब जनता के पैसे से ही वह मेडल पहनता है। मंच पर फूलों की माला पहनता है । वह राज- सत्ता का भोग करता है। शेष जनता गरीबी की मार से परेशान है ।

कवि रघुवीर सहाय ने उक्त पंक्तिनों में सत्ता-वर्ग के तानाशाहों का व्यंग्यात्मक चित्रण बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है। स्वतंत्र देश की यह दुर्दशा राजनेताओं की ही देन हैं । वे स्वयं राज-योग में लिप्त हैं और जनता गरीबी और लाचारी की मार झेल रही है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ‘अधिनायक’ कविता का केन्द्रीय भाव क्या है ?

उत्तर-‘अधिनायक’ कविता का केन्द्रीय कथ्य भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। यह ऐसी व्यवस्था पर व्यंग्य करता है जो सत्ताधारी वर्ग के राजसी ठाट-बाट, भड़कीले रोब-दाब के साथ अपना गुणगान करवा अपने को ‘अधिनायक’ ( तानाशाह) सिद्ध कराना चाहती है ।

प्रश्न 2. रघुवीर सहाय ने हिन्दी के विकास में क्या योगदान किया, प्रकाश डालें ।

उत्तर – वीसवीं सदी के उत्तरार्ध के प्रमुख एवं महत्वपूर्ण कवि पत्रकार के रूप में रघुवीर सहाय जी हिन्दी जगत में स्थापित हैं। इन्होंने अनेक काव्य कृतियों, नाट्य कृतियों, निबंध एवं आलोचनात्मक ग्रंथों का सृजन कर हिन्दी साहित्य के विकास में अमूल्य योगदान किया । विश्व साहित्य के नाटकों कहानियों का हिन्दी में अनुवाद कर समृद्ध किया । इनके साहित्यिक एवं पत्रकार व्यक्तित्व से नयीपीढ़ी अधिक प्रभावित हुई है ।

प्रश्न 3. ‘दूसरा सप्तक’ में किस रूप में रघुवीर सहाय समादृत हुए ? प्रकाश डालें ।

उत्तर- छठे दशक के प्रारंभ में ‘अज्ञेय’ द्वारा संपादित प्रयोगवादी संकलन ‘दूसरा सप्तक’ में रघुवीर सहाय जी एक कवि के रूप में समादृत हुए । ‘दूसरा सप्तक’ के सात कवियों में रघुवीर जी अपनी कविता की संवेदना, सरोकार, विषय वस्तु, अनुभाव, भाषा, शिल्प आदि विशिष्टताओं के कारण अलग महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। अपनी क्षमता और ईमानदारी के साथ वे कवि कर्म में लगे रहे हैं। नई भाषा, मुहावरा, शब्द योजना, नई रचनाभूमि के कारण भी ये विशिष्ट कवि के रूप में ख्यात है।

प्रश्न 4. रघुवीर सहाय राजनीति और संस्कृति को लेकर सतत सजग और सचेत कवि के रूप में दीखते हैं, प्रकाश डालें ।

उत्तर – हिन्दी की प्रयोगवादी धारा के कवियों में रघुवीर सहाय का अन्यतम स्थान है इन्होंने अपनी कविता द्वारा सच्चाई एवं साहस के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उसके औचित्य और सार्थकता का परिचय दिया है। कई बार यह प्रतिक्रिया निर्भय तीखी एवं दाहक भी हो उठती है । उन्होंने अपनी कविता में जातिवादी, ऊँच-नीच, अमीर-गरीब आदि विभाजन पर टिकी हुई समाज संरचना, स्वार्थ दोहन, ठगी और पाखंड पर टिकी हुई राजनीति और संस्कृति पर व्यंग्यात्मक प्रकाश डाला है। वे सौंदर्य से ज्यादा सत्य की अभिव्यक्ति पर बल देते हैं ।

प्रश्न 5. ‘अधिनायक’ कविता कवि के किस काव्य कृति से संकलित है ? इस कविता की संक्षिप्त टिप्पणी करें ।

उत्तर – रघुवीर सहाय की ‘अधिनायक’ कविता ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ काव्य कृति से लेकर पाठ्यपुस्तक दिगन्त भाग- II में संकलित की गयी है। यह एक व्यंग्य कविता है । आजादी के बाद के सत्ताधारी वर्ग के प्रति रोषपूर्ण एवं तिक्त कटाक्ष है। ‘राष्ट्रीय गान’ में निहित ‘अधिनायक’ शब्द को लेकर यह व्यंग्यात्मक कटाक्ष है। आजादी हासिल होने के इतने वर्षों के बाद भी आम आदमी के हालत में कोई बदलाव नहीं आया । कविता में ‘हरचरना’ इसी आम आदमी का प्रतिनिधि है ।

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solution पद्य chapter 10 ‘अधिनायक’

पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. हरचरना कौन है ? उसकी क्या पहचान है ?

उत्तर – हरचरना ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता में एक आम आदमी का प्रतिनिधित्व करता है। वह एक स्कूल जानेवाला बदहाल गरीब लड़का है। राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने के जलसे में राष्ट्रगान दुहराता है । हरचरना की पहचान ‘फटा सुथन्ना’ पहने एक गरीब छात्र के रूप में है ।

प्रश्न 2. हरचरना ‘हरिचरण’ का तद्भव रूप है। कवि ने कविता में ‘हरचरना’ को रखा है, हरिचरण’ को नहीं; क्यों ?

उत्तर- ‘हरचरना’ हरिचरण का तद्भव रूप है। कवि रघुवीर सहाय ने अपनी कविता ‘अधिनायक’ में ‘हरचरना’ शब्द का प्रयोग किया है, ‘हरिचरण’ नहीं । यहाँ कवि ने लोक संस्कृति की पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए ठेस तद्भव शब्द का प्रयोग किया है। इससे कविता की लोकप्रियता बढ़ती है। कविता में लोच एवं उसे सरल बनाने हेतु ठेठ तद्भव शब्दों का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त हरचरना उपेक्षित गरीब बालक का प्रतीक है ।

प्रश्न 3. अधिनायक कौन है ? उसकी क्या पहचान है ?

उत्तर – कवि के अनुसार ‘अधिनायक’ आज बदले हुए तानाशाह हैं। वे राजसी ठाट-बाट में रहते हैं। उनका रोब-दाब एवं तामझाम भड़कीला है। वे ही अपना गुणगान आम जनता से करवाते हैं। आज उनकी पहचान जनप्रतिनिधि की जगह ‘अधिनायक’ अर्थात् तानाशाह की पहचान बन गई है।

प्रश्न 4. “जय जय कराना” का क्या अर्थ है ?

उत्तर – कवि के अनुसार सत्ता पक्ष के जन प्रतिनिधियों ने आज अधिनायक का रूप ले लिया हैं। वे ही आज राष्ट्रीय गान के समय आम आदमी को जुटाकर अपनी जय-जयकार मनवाते हैं । माला पहनते हैं और जन-जन के प्रतिनिधि होकर अपने को जनता का भाग्य विधाता मानते हैं ।

प्रश्न 5. ‘डरा हुआ मन बेमन जिसका / बाजा रोज बजाता है । यहाँ ‘बेमन’ का क्या अर्थ है ?

उत्तर – कविता की इस पंक्ति में ‘बेमन’ का अर्थ बिना रूचि’ से है । आज राष्ट्रीय गान गाने में आम जनता की कोई रूचि नहीं है । वे बिना मन से एक चली आती हुई परम्परा का निर्वहन करते हैं ।

प्रश्न 6. हरचरना अधिनायक के गुण क्यों गाता है ? उसके डर के क्या कारण हैं ?

उत्तर- ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता में ‘हरचरना’ एक गरीब विद्यार्थी है। राष्ट्रीय गान वह गाता है, लेकिन उसे यह पता नहीं कि वह राष्ट्रीय गान क्यों गा रहा है । इस गान को वह एक सामान्य प्रक्रिया मानकर गाता है। एक गरीब व्यक्ति के लिए राष्ट्रीय गान का क्या महत्व ! देशभक्ति, आजादी आदि का अर्थ वह नहीं समझ पाता । उसकी आजादी और देशभक्ति का दुश्मन तो वे व्यक्ति हैं जो गरीबों की कमाई पर आज शासक बने हुए हैं । वे तानाशाह बन गये हैं। आम जनता उनसे डरती है। कोई उनके खिलाफ मुँह नहीं खोलता । हरचरना के डरने का कारण हैं । मुँह खोलेगा तो उसे दंड भोगना होगा । । ।

प्रश्न 7. ‘बाजा बजाना’ का क्या अर्थ है ?

उत्तर – कविता ‘अधिनायक’ में कवि रघुवीर सहाय ने ‘बाजा बजाना’ शब्द का प्रयोग गुणगान’ करने के अर्थ में किया है। आम जनता जो गरीब एवं लाचार है, बाहुबली राजनेताओं के भय से उनके गुणगान में बेमन से लगी रहती है । कवि ने आधुनिक राजनेताओं पर कठोर व्यंग्य किया है । –

प्रश्न 8. “कौन-कौन है वह जन-गण-मन अधिनायक वह महाबली” कवि यहाँ किसकी पहचान कराना चाहता है ?

उत्तर – कवि रघुवीर सहाय अपनी कविता ‘अधिनायक’ में प्रस्तुत पंक्ति की रचना कर उस सत्ताधारी वर्ग के जन प्रतिनिधियों की पहचान कराना चाहता है जो राजसी ठाट-बाट में जी रहे हैं। गरीबों पर, आम आदमी पर उनका रोब-दाब है। वे ही अपने को जनता का अधिनायक मानते हैं। वे बाहुबली हैं। लोग उनसे डरे-सहमे रहते हैं। कवि उन्हीं की पहचान उक्त पंक्तियों में कराना चाहता है।

प्रश्न 9. “कौन-कौन’ में पुनरुक्ति है। कवि ने यह प्रयोग किसलिए किया है।

उत्तर – कवि रघुवीर सहाय ने अपनी कविता ‘अधिनायक’ के अंतिम पद में कौन-कौन का प्रयोग किया है। यहाँ कवि यह बताना चाहता है कि आज देश में अधिनायकों एवं तानाशाहों की संख्या अनेक है। अनेक बाहुबली आज जनता के भाग्यविधाता बने हुए । इसीलिए कविता के अंतिम भाग में ‘कौन-कौन’ पुनरुक्ति अलंकार का प्रयोग किया गया ।

प्रश्न 10. भारत के राष्ट्रगीत ‘जन-गण-मन-अधिनायक जय हे’ से इस कविता का क्या संबंध है ? वर्णन करें ।

उत्तर – रघुवीर सहाय द्वारा रचित “अधिनायक” शीर्षक कविता एक व्यंग्यात्मक कविता है। इस कविता में कवि ने सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधियों को आधुनिक भारत के अधिनायक अर्थात् मानाशाह के रूप में चित्रित किया है। आज राष्ट्रीय गान के समय इन्हीं सत्ताधारियों का गुणगान किया जाता है । जब भी राष्ट्रीय त्योहारों पर “जन-गण-मन-अधिनायक जय है” का राष्ट्रीय गान गाया जाता है तो आम आदमी जो गरीब और लाचार एवं फटेहाल जीवन बिता रहा है, इस राष्ट्रगीत का अर्थ नहीं समझता । वह उसी राजनेता को जनता का अधिनायक मानकर इस राष्ट्रगीत को गाता है । वह समझता है कि वह उन्हीं राजनेताओं का गुणगान कर रहा है ।

कवि का यह तर्क सही भी है। वास्तव में आज राष्ट्रगीत का महत्व राष्ट्रीयता से नहीं आंका जाता। कौन नेता कितना बड़ा बाहुबली है, कितना प्रभावशाली है उसी आधार पर उस राष्ट्रगीत के महत्व को आंका जाता है। कवि की यह सोच युक्तिसंगत और समसामयिक है । आज राष्ट्रगान की केवल खानापूरी होती है। देशभक्ति से इसका सम्बंध नहीं है ।

प्रश्न 11. कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें |

उत्तर – ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता रघुवीर सहाय द्वारा लिखित एक व्यंग्य कविता है । इसमें आजादी के बाद के सत्ताधारी वर्ग के प्रति रोषपूर्ण कटाक्ष है। राष्ट्रीय गीत में निहित ‘अधिनायक’ शब्द को लेकर यह व्यंग्यात्मक कटाक्ष है। आजादी मिलने के इतने वर्षों के बाद भी आम आदमी की हालत में कोई बदलाव नहीं आया। कविता में ‘हरचरना’ इसी आम आदमी का प्रतिनिधि है।

हरचरना स्कूल जाने वाला एक बदहाल गरीब लड़का है । कवि प्रश्न करता है कि राष्ट्रगीत में वह कौन भारत भाग्य विधाता है जिसका गुणगान पुराने ढंग की ढीली-ढाली हाफ पैंट पहने हुए गरीब हरचरना गाता है । कवि का कहना है कि राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने के जलसे में वह ‘फटा-सुथन्ना’ पहने वही राष्ट्रगान दुहराता है जिसमें इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी न जाने किस ‘अधिनायक’ का गुणगान किया गया है।

कवि प्रश्न करता है कि वह कौन है जो मखमल, टमटम, वल्लभ, तुरही के साथ माथे पर पगड़ी एवं चँवर के साथ तोपों की सलामी लेकर ढोल बजाकर अपना जय-जयकार करवाता है। अर्थात् सत्ताधारी वर्ग बदले हुए जनतांत्रिक संविधान से चलती इस व्यवस्था में भी राजसी ठाठ-बाट वाले भड़कीले रोब-दाब के साथ इस जलसे में शिरकत कर अपना गुणगान अधिनायक के रूप में करवाये जा रहा है |

कवि प्रश्न करता है कि कौन है वह जो सिंहासन (मंच) पर बैठा है और दूर-दूर से नंगे पैर एवं नरकंकाल की भाँति दुबले-पतले लोग आकर उसे (अधिनायक) तमगा एवं माला पहनाते हैं । कौन है वह जन-गण-मन अधिनायक महावली जिससे डरे हुए लोग रोज जिसका गुणगान बाजा बजाकर करते हैं ।

इस प्रकार इस कविता में रघुवीर सहाय ने वर्तमान जनप्रतिनिधियों पर व्यंग्य किया है। कविता का निहितार्थ प्रतीत होता है कि इस सत्ताधारी वर्ग की प्रच्छन्न लालसा ही सचमुच अधि नायक अर्थात् तानाशाह बनने की है।

प्रश्न 12. व्याख्या करें

पूरब पश्चिम से आते हैं नंगे – बूचे नर कंकाल, सिंहासन पर बैठा, उनके तमगे कौन लगाता है

उत्तर- व्याख्या – प्रस्तुत पद्यांश रघुवीर सहाय द्वारा विरचित ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता से लिया गया है । इसमें कवि ने सत्तावर्ग के द्वारा जनता के शोषण का जिक्र किया है। यह एक व्यंग्य – कविता है ।

कवि के अनुसार राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर सभी दिशाओं से जो जनता आती है वह नंगे पांव है । वह इतनी गरीब है कि केवल नरकंकाल का रूप हो गयी है। उसकी गाढ़ी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा सिंहासन परठा जनप्रतिनिधि हड़प लेता है। गरीब जनता के पैसे से ही वह मेडल पहनता है। मंच पर फूलों की माला पहनता है । वह राज- सत्ता का भोग करता है। शेष जनता गरीबी की मार से परेशान है ।

कवि रघुवीर सहाय ने उक्त पंक्तिनों में सत्ता-वर्ग के तानाशाहों का व्यंग्यात्मक चित्रण बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है। स्वतंत्र देश की यह दुर्दशा राजनेताओं की ही देन हैं । वे स्वयं राज-योग में लिप्त हैं और जनता गरीबी और लाचारी की मार झेल रही है।

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solution पद्य chapter 10 ‘अधिनायक’ [भाषा की बात]

प्रश्न 1. अधिनायक में ‘अधि’ उपसर्ग से पाँच अन्य शब्द बनाएँ ।

उत्तर-‘अधि’-अधिग्रहण, अधिकार, अधिपति, अधिराज, अधिभार ।

प्रश्न 2. निम्नलिखित पदों का विग्रह करें और समास बताएँ- राष्ट्रगीत, बेमन, पूरब- पश्चिम, महाबली, नरकंकाल ।

उत्तर-

प्रश्न 3. कवि ने ‘गुन’ और ‘पच्छिम’ जैसे प्रयोग क्यों किये हैं, जबकि इनका शुद्ध रूप क्रमशः ‘गुण’ और ‘पश्चिम’ हैं ।

। उत्तर- ‘गुन’ और ‘पच्छिम’ शब्द क्रमशः ‘गुण’ एवं ‘पश्चिम’ का तद्भव रूप है । लोक संस्कृति का प्रयोग कर कवि अपनी कविता को लोकप्रिय एवं सुगम बनाने का प्रयास करता है। इसलिए कवि ने अपनी कविता में तद्भव शब्दों का प्रयोग किया है।

प्रश्न 4. तमगे, रोज, बेमन के समानार्थी शब्द क्या होंगे।

उतार –

प्रश्न 5. ‘कौन-कौन है वह जन-गण-मन’- अर्थ की दृष्टि से यह किस प्रकार का वाक्य है ?

उत्तर – प्रश्नबोधक वाक्य |

प्रश्न 6. कवि की काव्य-भाषा पर अपनी टिप्पणी लिखें ।

उत्तर – कवि रघुवीर सहाय की अपनी काव्य-शैली है। इनकी भाषा सरल, साफ-सुथरी एवं सधी हुई है । ये ‘नई कविता’ के समर्थ कवियों में से एक है जो रोजमर्रा के प्रसंगों को उठाकर उसे अपनी कविता में विशिष्ट शैली में प्रस्तुत करने में सिद्धहस्त हैं। ज्यादातर बातचीत की सहजशैली में उन्होंने लिखा और खूब लिखा। उनकी कविता की व्यंगात्मक शैली लेखन साहित्य की विशेषता है । वे आधुनिक काव्य भाषा मुहावरे को पकड़ने में भी अधिक कुशल हैं ।

इस आर्टिकल में आपने Bihar Board Class 12th hindi Book के काव्य खंड के Chapter 10 ‘अधिनायक’ में के भावार्थ एवं प्रश्न- उत्तर (Question-Answer) पढ़ा | अगर कोई सुझाव या परेशानी हो तो नीचे कमेंट में अपनी राय अवश्य दें | धन्यवाद |

इसे भी पढ़ें –  

Chapter :- 1 कड़बक
Chapter :- 2 सूरदास के पद
Chapter :- 3 तुलसीदास के पद
Chapter :- 4 छप्पय
Chapter :- 5 कवित्त
Chapter :- 6 तुमुल कोलाहल कलह में
Chapter :- 7 पुत्र वियोग
Chapter :- 8 उषा
Chapter :- 9 जन-जन का चेहरा एक
Chapter :- 10 अधिनायक
Chapter :- 11 प्यारे नन्हें बेटे को
Chapter :- 12 हार-जीत
Chapter :- 13 गाँव का घर

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