Bihar Board Class 12th Hindi पद्य Solution chapter 11 ‘प्यारे नन्हें बेटे को’ | BSEB 12th Hindi padya Solution |pyare nanhe bete ko bhavarth and question-answer | BSEB 12 hindi padya adhyay 11 |Class 12 ka Hindi ka Objective | class 12th hindi book solution| Dingat bhag 2 pdf download| 12th hindi book solution pdf | chapter 11 ‘प्यारे नन्हें बेटे को’
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कवि परिचय
जीवनी – विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी, 1937 ई० में राजनाँद गांव, छत्तीसगढ़ में हुआ था । इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्य किया । निराला सृजन पीठ में जून 1994 से जून 1996 तक अतिथि साहित्यकार रहे ।
सम्मान – 1992 ई० में रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार से सम्मानित हुए । उन्हें 1997 ई० में दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान प्राप्त हुआ । पुनः 1999 ई० में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
साहित्यिक रचनाएँ- उनका पहला कविता संग्रह, “लगभग जयहिंद” पहचान सीरीज के अन्तर्गत 1971 ई० में प्रकाशित हुआ । ‘वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया विचार की तरह’ सन् 1981 ई० में प्रकाशित हुआ। 1992 ई० में “ सब कुछ होना बचा रहेगा ” काव्य रचना प्रकाशित हुई। 2001 ई० में उनके काव्य संग्रह “अतिरिक्त नहीं” का प्रकाशन हुआ। उनकी अन्य रचनाएँ “नौकर की कमीज”, “खिलेगा तो देखेंगे” ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी ।’ पेड़ पर कमरा महाविद्यालय आदि हैं। उनके उपन्यासों का कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ।
साहित्यिक विशेषताएँ – विनोद कुमार शुक्ल कवि और कलाकार हैं। उनके तीन उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं जिनका हिन्दी उपन्यास लेखन पर निर्णायक प्रभाव पड़ा। उनके कथा साहित्य में मध्य निम्नवर्ग के कुछ पात्रों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया, जिनमें अद्भुत जीवनानुराग, संबंध-बोध और सौंदर्य-चेतना है ।
विनोद कुमार शुक्ल खूब पढ़े जाते हुए किन्तु सबसे कम विवेचित लेखक है। उनकी संपृक्ति पुराने महान कवियों-लेखकों सरीखी है। आज के समय में वे भारतीय साहित्य का अंग बन चुके हैं। निश्चय ही यह भी उनकी अद्वितीयता और मौलिकता का एक सबूत है । “प्यारे नन्हें बेटे को ” कविता उनके कविता संकलन “वह आदमी नया गरम कोट पहन कर चला गया “विचार की तरह” कविता संग्रह से उद्धृत है ।
कविता का सारांश
प्रश्न – “प्यारे नन्हें बेटे को” शीर्षक कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर – “प्यारे नन्हें बेटे को” शीर्षक कविता का नायक भिलाई, छत्तीसगढ़ का रहने वाला है । वह अपने प्यारे नन्हें बेटे को कंधे पर बैठाए अपनी नन्हीं बिटिया से, जो घर के भीतर बैठी हुई है, पूछता है कि “बतलाओ आसपास कहाँ-कहाँ लोहा है ।” वह अनुमान करता है कि उसकी नन्हीं बिटिया उसके प्रश्न का उत्तर अवश्य देगी । वह बतलाएगी कि चिमटा, कलछुल, कढ़ाई तथा जंजीर में लोहा है । वह यह भी कहेगी कि दरवाजे के साँकल (कुंडी) कब्जे, सिटकिनी, तथा दरवाजे में धँसे हुए पेंच (स्क्रू) के अन्दर भी लोहा है। उक्त बातें वह पूछने पर तत्काल कहेगी । उसे यह भी याद आएगा कि लकड़ी के दो खंभों पर बँधा हुआ तार भी लोहे से निर्मित है, जिसपर उसके बड़े भाई की गीली चड्डी है । वह यह कहना भी नहीं भूलेगी कि साइकिल और सेफ्टीपिन में भी लोहा है ।
उस दुबली-पतली किन्तु चतुर (बुद्धिमती) नन्हीं बिटिया को कवि शीघ्रातिशीघ्र बतला देना चाहता है कि इसके अतिरिक्त अन्य किन-किन सामग्रियों में लोहा है जिससे उसे इसकी पूरी जानकारी मिल जाए ।
कवि उसे समझाना चाहता है कि फावड़ा, कुदाली, टॅगिया, बसुला, खुरपी, बैलगाड़ी के चक्कों का पट्टा तथा बैलों के गले में काँसे की घंटी के अन्दर की गोली में लोहा है । कवि की पत्नी उसे विस्तार से बतलाएगी कि बाल्टी, कुएँ में लगी लोहे की घिरनी, हँसियाँ चाकू में भी लोहा है । भिलाई के लोहे की खानों में जगह-जगह लोहे के टीले है |
और इस प्रकार कवि का विचार है कि वह समस्त परिवार के साथ मिलकर तथा सोच-विचार कर लोहा की खोज करेगा। संपूर्ण घटनाक्रम की तह तक जाकर वह पता लगा पाएगा कि हर मेहनतकश आदमी लोहा है ।
कवि यह मानता है कि प्रत्येक दबी – सतायो, बोझ उठाने वाली औरत लोहा है। लोहा कदम-कदम पर और हर एक गृहस्थी में सर्वव्याप्त है।
कवि इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि हर मेहनतकश व्यक्ति लोहा है तथा हर दबी कुचली, सतायी हुई तथा बोझ उठाने वाली औरत लोहा है ।
Bihar Board Class 12th Hindi Book Solution पद्य chapter 11 ‘प्यारे नन्हें बेटे को’
व्याख्या
- “हर वो औरत दबी सतायी
बोझ उठानेवाली लोहा ।
जल्दी-जल्दी मेरे कंधे से ऊँचा हो लड़का लड़की का हो दूल्हा, प्यारा’
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक दिगंत – भाग 2 के “प्यारे नन्हें बेटे को ” शीर्षक कविता से उद्धृत हैं। इसके रचयिता विनोद कुमार शुक्ल है । लेखक ने इन पंक्तियों में मेहनतकश, दबी – दबायी बोझा ढोने वाली औरत के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है तथा उसके सुन्दर भविष्य की कामना की है ।
इन पंक्तियों में कवि का कहना है कि प्रत्येक वह औरत जो दबी, दबी तथा बोझा उठाने वाली है, अर्थात् परिश्रमी है, कठिन कार्यों में लगी हुई है, वह लोहा है । बिटिया का बाप प्यारे नन्हें बेटे को कंधे पर बैठा कर यह कल्पना कर रहा है – कुछ दिनों के बाद उससे भी अधिक ऊँचा और लंबा हो जाएगा । बिटिया के लिए प्यारा दूल्हा मिल जाएगा ।
कवि का कहने का आशय यह है कि हरेक औरत जो दबी – कुचली तथा बोझा ढोनेवाली है, कठिन परिश्रम करती है वह लोहा के समान कठोर, उपयोगी तथा सबको प्रिय होती है । कविता में बिटिया का पिता कल्पना करता है कि कुछ दिनों बाद उसका नन्हा बेटा बड़ा हो जाएगा उससे अधिक ऊँचा और लंबा हो जाएगा । वह ( नन्हा बेटा) अपने पिता से भी अधिक ऊँचे पद पर होगा | उसकी प्यारी बिटिया भी सयानी हो जाएगी तथा उसके लिए योग्य तथा सुन्दर दूल्हा मिल जाएगा । वह मधुर कल्पना में निमग्न है ।
लघु उत्तटीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. विनोद कुमार शुक्ल कवि और कथाकार हैं। इनके बारें में लिखें:
उत्तर – विनोद कुमार शुक्ल कवि और कथाकार दोनों रूप में हिन्दी जगत में समादृत हैं। कथा भाषा, तकनीक, रचनात्मकता एवं कथा के आधार पर इन्होंने नया प्रयोग किया। हिंदी उपन्यास की जड़ता और सुस्ती तोड़कर गतिशीलता प्रदान की। इनके निम्नवर्गीय पात्रों में अद्भुत जीवन, जीवानुराग, संबंध बोध और सौंदर्य चेतना है। पर्यावरण, प्रकृति, समाज और समय के साथ जुड़कर इनकी कविताएँ भारतीय साहित्य का अंग बन चुकी हैं।
प्रश्न 2. विनोद कुमार शुक्ल की कविताओं के आधार पर उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें ।
उत्तर – विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के अद्वितीय कवि हैं। इनकी कविताओं में निम्नवर्गीय चरित्रों का अंकन हुआ है । इनकी कविता सहज, सरल एवं बोधगम्य है। कवि के व्यक्तित्व की छाया उनकी कविताओं पर स्पष्ट दीखती है । वे एक संवेदनशील प्रकृति पर्यावरण से जुड़े कवि हैं। इनके पात्रों में जीवंतता संबंध बोध, जीवनानुराग, सौंदर्य चेतना सब कुछ है। वे हिन्दी के मान्य कवि बन चुके हैं ।
प्रश्न 3. इनकी कविताओं में कैसे शब्द प्रयुक्त हुए हैं प्रकाश डालें ।
उत्तर – विनोद कुमार शुक्ल की कविताओं में निम्नवर्गीय पात्रों के चित्रण के साथ सरल, बोधगम्य शब्दों का प्रयोग हुआ है। इनकी कविताओं के पढ़ने के वक्त शब्दकोश की जरूरत नहीं पड़ती । भाषा में सहजता एवं प्रवाह है। अभिव्यक्ति में स्पष्टता है। मानवीय मूल्यों की बकालत है। प्रकृति, पर्यावरण, समाज और समय के साथ चलकर कवि प्रसिद्धि को प्राप्तकर चुका है।
पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. बिटिया से क्या सवाल किया गया है ?
उत्तर – कवि द्वारा बिटिया से सवाल किया जाता है – कहाँ, कहाँ लोहा है ? अर्थात् वह जानना चाहता है कि लोहा कहाँ-कहाँ वर्त्तमान है ।
प्रश्न 2. बिटिया कहाँ-कहाँ लोहा पहचान पाती है ?
उत्तर- बिटिया की समझ (जानकारी) में चिमटा, कलछुल, कढ़ाई, सड़सी, दरवाजे की साँकल (सिकरी), कब्जा, पेंच तथा सिटकिनी आदि में लोहा है। इसके अतिरिक्त सेफ्टी पिन, साईकिल तथा अरगनी के तार में भी वह लोहा पाती है ।
प्रश्न 3. कवि लोहे की पहचान किस रूप में कराते हैं ? वही पहचान उनकी पत्नी किस रूप में कराती हैं ?
उत्तर – कवि तथा उसकी पत्नी ने अलग-अलग रूप में लोहे की पहचान की है। दोनों ने उनके स्वयं के उपयोग में आनेवाली सामग्रियों के आधार पर लोहा को पहचाना है । पुरूषों के उपयोग की वस्तुओं को आधार बनाकर कवि उनका ही विवरण प्रस्तुत करता है । उसके अनुसार फावड़ा, कुदाली, टॅगिया, वसुला, खुरपी, बैलगाड़ी के पहियों का पट्टा, , बैलों के गले में बँधी घंटी के भीतर की गोली आदि लोहा है अर्थात् उक्त वस्तुएँ लोहे से निर्मित हैं । उसी प्रकार महिलाओं के उपयोग तथा गृहस्थी में प्रयुक्त होने वाली सामग्रियों के रूप में लोहे की पहचान उनकी पत्नी द्वारा की गई है। बाल्टी, कुएँ में लगी घिरनी, हँसिया, चाकू आदि को इन्होंने लोहा माना है।
प्रश्न 4. लोहा क्या है ? इसकी खोज क्यों की जा रही है ?
उत्तर- हर मेहनतकश आदमी लोहा है। हर बोझ उठाने वाली, अथक परिश्रम करने वाली औरत लोहा है। लोहा शक्ति का प्रतीक है। वह स्वयं भी शक्तिशाली होता है बजनदार होता है तथा मेहनतकश लोगों को भी शक्ति प्रदान करता है। लोहा शक्ति तथा ऊर्जा का प्रतीक है। इसका निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है। यह निर्माण पारिवारिक, सामाजिक तथा राष्ट्रीय सभी क्षेत्रों में समान रूप से अनवरत् चल रहा है ।
अतः लोहा की उपयोगिता जो उसकी अपार शक्ति में निहित है, को देखते हुए उसकी खोज की जा रही है ।
प्रश्न 5. ” इस घटना से उस घटना तक” – यहाँ किन घटनाओं की चर्चा है ?
उत्तर- “प्यारे नन्हें बेटे को” शीर्षक कविता में “इस घटना से उस घटना तक” उक्ति का प्रयोग दो बार किया गया है ।
पिता अपनी नन्हीं बिटिया से पूछता है कि आसपास लोहा कहाँ-कहाँ है । पुनः वह उसे लोहा के विषय में जानकारी देता है, उसकी माँ भी उसे समझाती है। फिर वह सपरिवार लोहा को ढूँढ़ने का विचार करता है । अतः बेटी को सिखलाने से लेकर ढूँढ़ने तक का अन्तराल – “इस घटना से उस घटना तक ” है । यह सब वह कल्पना के संसार में कर रहा है। पुनः जब उसकी बिटिया बड़ी हो जाती है, तो वह उसके विवाह के विषय में, उसके लिए एक प्यारा सा दूल्हा के लिए सोंचता है। यहाँ पर पुनः कवि – “इस घटना से उस घटना तक” उक्ति की पुनरोक्ति करता है ।
प्रश्न 6. अर्थ स्पष्ट करें
कि हर वो आदमी जो मेहनतकश लोहा है
हर वो औरत
दबी सतायी
बोझ उठाने वाली, लोहा ।
उत्तर – हर व्यक्ति, जो मेहनतकश है, वह लोहा है। वैसी हरेक औरत, जो दबी तथा सतायी हुई है, लोहा है ।
उपरोक्त पंक्तियों का विशेषार्थ यह है कि प्रत्येक व्यक्ति जो श्रम – साध्य कार्य करता है, कठोर परिश्रम जिसके जीवन का लक्ष्य है वह लोहे के समान शक्तिशाली तथा ऊर्जावान होता है । उसी प्रकार बोझ उठाने वाली दमन तथा शोषण की शिकार महिला भी लोहे के समान शक्ति तथा ऊर्जा से सम्पन्न होती है ।
प्रश्न 7. कविता में लोहे की पहचान अपने आस-पास में की गई है । बिटिया, कवि और उनकी पत्नी जिन रूपों में इसकी पहचान करते हैं, ये आपके मन में क्या प्रभाव उत्पन्न करते हैं ? बताइए ।
उत्तर – प्रस्तुत कविता में लोहे की पहचान अपने आस-पास में की गई है अर्थात् अपने आसपास बिखरी वस्तुओं में ही लोहे की पड़ताल की गयी है। पहचान की परिधि में जो वस्तुएँ आई हैं वह तीन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं। लड़की द्वारा पहचान की गई वस्तुएँ पारिवारिक उपयोग की हैं। जैसे- चिमटा, कलछुल आदि । कवि द्वारा जिन वस्तुओं का चयन किया गया है उनका व्यवहार अधिकतर पुरुषों द्वारा किया जाता है तथा उनका उपयोग सामाजिक तथा राष्ट्रीय-हित में किया जाता है, जैसे- फावड़ा, कुदाली आदि । कवि की पत्नी ने उन वस्तुओं की ओर संकेत किया है जिसका व्यवहार प्रायः महिलाओं द्वारा किया जाता तथा जिसे वे घर से बाहर धनोपार्जन अथवा पारिवारिक आवश्यकता की पूर्ति हेतु करती है, जैसे- पानी की बाल्टी, हँसिया, चाकू आदि ।
इस प्रकार कवि, उनकी पत्नी तथा बिटिया द्वारा तीन विविध रूपों में लोहे की पहचान की गई है। ये तीनों रूप पारिवारिक, क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय मूल्यों तथा आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही मेहनतकश पुरूषों तथा दबी, सतायी मेहनती महिलाओं के प्रयासों को भी निरूपित करता है ।
प्रश्न 8 मेहनतकश आदमी और दवी – सतायी बोझ उठाने वाली औरत में कवि द्वारा लोहे की खोज का क्या आशय है ?
उत्तर – लोहा कठोर धातु है । यह शक्ति का प्रतीक भी है। इससे निर्मित असंख्य सामग्रियाँ, मनुष्य के दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं। लोहा राष्ट्र की जीवनधारा है । धरती के गर्भ में दबे लोहे को अनेक यातनाएँ सहनी होती हैं। बाहर आकर भी उसे कठिन संघर्ष का सामना करना पड़ता है ।
कवि मेहनतकश आदमी और दबी – सतायी, बोझ उठाने वाली औरत के जीवन में लोहा के संघर्षमय जीवन की झलक पाता है। उसे एक अपूर्व साम्य का बोध होता है। लोहे के समान ही मेहनकश आदमी और दबी – सतायी, बोझ डठाने वाली औरत का जीवन भी कठोर एवं संघर्षमय है। लोहे के समान ही वे अपने कठोर श्रम तथा संघर्षमय जीवन द्वारा सृजन तथा निर्माण का कार्य कर रहे हैं तथा विविध रूपों में ढाल रहे हैं ।
प्रश्न 9. यह कविता एक आत्मीय संसार की सृष्टि करती है पर यह संसार वाह्य निरपेक्ष नहीं है । इसमें दृष्टि और संवेदना, जिजीविषा और आत्मविश्वास सम्मिलित है । इस कथन की पुष्टि कीजिए ।
उत्तर – यह कविता एक परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें उस परिवार के सदस्यों के जीवन के यथार्थ को चित्रित किया गया है ।
परिवार का मुखिया बिटिया का पिता लोहा के महत्व को रेखांकित करते हुए अपनी बेटी (बिटिया) से पूछ रहा है कि उसके आस-पास लोहा कहाँ-कहाँ है । लड़की प्रत्युत्तर में अपने बाल सुलभ भोलापन के बीच चिमटा, कल्छुल, सड़सी आदि का नाम लेती है । पुनः वह उसे सिखलाते हुए स्वयं फावड़ा, कुदाली आदि वस्तुओं के नाम से परिचित कराते हुए बतलाता है कि उन वस्तुओं में भी लोहा है । माँ द्वारा भी बिटिया को इसी आशय की जानकारी दी जाती है। कुछ अन्य वस्तुओं के विषय में वह समझाती है जिसमें लोहा है । इस प्रकार यह कविता एक आत्मीय संसार की सृष्टि करती है। किन्तु वहीं तक सीमित नहीं है ।
यह आत्मीय संसार वाह्य निरपेक्ष नहीं है, बाहरी समस्याओं से जुड़ा हुआ है । वाह्य-संसार की घटनाओं का इसपर पूरा प्रभाव पड़ता है। लोहे की खोज के माध्यम से कवि ने जीवनमूल्यों के यथार्थ को रेखांकित किया है। इसमें दृष्टि, संवेदना जिजीविषा और आत्म विश्वास का अपूर्व संगम है। संसार में संघर्षरत् पुरुषों तथा महिलाओं की संवेदना यहाँ मूर्त हो उठी है । जिजीविषा एवं आत्मविश्वास की अभिव्यक्ति भी युक्तियुक्त ढंग से हुई है । लोहा कदम-कदम पर और एक गृहस्थी में सर्वव्याप्त है। ठोस होकर भी यह हमारी जिन्दगी और संबंधों में घुला – मिला हुआ और प्रवाहित है ।
प्रश्न 10. बिटिया को पिता सिखलाते हैं तो माँ समझाती है, ऐसा क्यों ?
उत्तर- इस कविता में बिटिया को उसके पिता लोहा के विषय में सिखलाते हैं, वे उसकी को परीक्षा लेते हुए उससे पूछते हैं कि उसके आसपास लोहा कहाँ-कहाँ है । नन्ही बिटिया आत्मविश्वास के साथ उनके प्रश्नों का उत्तर सहज भाव से देती है । पुनः माँ उससे वही प्रश्न पूछते हुए लोहे के विषय में समझाती है तथा कुछ अन्य जानकारी देती है।
इस प्रसंग में पिता उसे सिखलाते हैं जबकि माँ उसे इस विषय में समझाती है। दोनो की भूमिका में स्पष्ट अन्तर है इसका कारण यह है कि यह प्रायः देखा जाता है कि पिता द्वारा अपने बच्चो को सिखलाया जाता है, किसी कार्य को करने की सीख दी जाती है, अभ्यास कराया जाता है। माँ द्वारा उन्हें स्नेह भाव से किसी कार्य के लिए समझाया जाता है ।
भाषा की बात
प्रश्न 1. इस कविता की भाषा पर आलोचनात्मक टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – “प्यारे नन्हें बेटे को” शीर्षक कविता धारा से बिल्कुल अलग, देखने में सरल किन्तु बनावट में जटिल, अपने न्यारेपन के कारण पाठकों का ध्यान आकृष्ट करती है। अपनी रचनाओं में वे मौलिक, न्यारे और अद्वितीय हैं। इनकी कविता की जड़ संवेदना और अनुभूति में गुँथी हैं और यह भीतर से पैदा हुई है। अद्वितीय मौलिकता कविता में उजागर होती आई है।
प्रश्न 2. व्युत्पत्ति की दृष्टि से निम्नलिखित शब्दों की प्रकृति बताएँ
औरत, लड़की, बेटा, बिटिया, आदमी, लोहा, कंधा, छत्ते, दूल्हा, बाल्टी, कुँआ, पिन,
साइकिल, दादा ।
उत्तर-
Bihar Board Class 12th Hindi Book Solution पद्य chapter 11 ‘प्यारे नन्हें बेटे को’
इस आर्टिकल में आपने Bihar Board Class 12th hindi Book के काव्य खंड के Chapter 11 ‘प्यारे नन्हें बेटे को’ में के भावार्थ एवं प्रश्न- उत्तर (Question-Answer) पढ़ा | अगर कोई सुझाव या परेशानी हो तो नीचे कमेंट में अपनी राय अवश्य दें | धन्यवाद |
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