Bihar Board Classs 10th Sanskrit Solution Chapter 6 भारतीयसंस्कारा (भारतीय संस्करा) | 10th Sanskrit NCERT Solution – SarkariCity

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Bihar board class 10 sanskrit | Ncert Solution | 10 sanskrit chapter 6 Bharatiyasanskara | षष्ठ: पाठ: भारतीयसंस्कारा | BSEB Solution

  इस पेज पर आपको Bihar Board Class 10 Sanskrit Chapter 6 Solution देखने को मिलेंगे । यहां आपको पियूषम् पुस्तक के षष्ठ: पाठ: भारतीयसंस्कारा: (भारतीय संस्कार) के कहानी का अर्थ , सभी प्रश्न उत्तर तथा परीक्षा के दृष्टि से तैयार किये गए महत्वपूर्ण वसस्तुनिष्ठ तथा गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न पढ़ने को मिलेंगे ।

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Class10 Sanskrit Solution

 

कहानी का अर्थ 

भारतीयसंस्कृते: अन्यतमम् ……………….. संक्षिप्तः परिचयो महत्वञ्च निरूपितम् 

अर्थ:- भारतीय संस्कृति का अत्यधिक विशिष्टता है कि इस जीवन में समय-समय पर संस्कारों के अनुष्ठान होते हैं। आज संस्कार शब्द सीमित होकर व्यंग्य रूप में प्रयोग किये जाते हैं किन्तु संस्कृति के रूप में यह भारत के व्यक्त्वि की रचना करता है। विदेश में बसे भारतीय लोग संस्कारों के प्रति उन्मुख जिज्ञासु हैं। इस पाठ में उन संस्कारों का संक्षिप्त परिचय और महत्व निरूपित किये गये हैं ।

 

भारतीयजीवने प्राचीनकालतः संस्काराः……………….योगदानं कुर्वन्ति।

अर्थ:- भारतीय जीवन में प्राचीन काल से ही संस्कारों के महत्व को धारण किये हैं। प्राचीन संस्कृति का ज्ञान संस्कार से होता है। यहाँ ऋषियों की कल्पना थी कि जीवन के सभी मुख्य अवसरों पर वेदमंत्रों का पाठ बड़े लोगों का आशीर्वाद, हवन और परिवार के सदस्यों का सम्मेलन होना चाहिए। ऐसा सभी संस्कार के अवसर पर ही सम्भव है। इस प्रकार संस्कार के महत्व को धारण करता है। किन्तु संस्कार का मौलिक अर्थ शुद्ध होना और गुणों को ग्रहण करना, रूप को नहीं भूलना चाहिए। इसलिए सभी संस्कार मानव के क्रम से शुद्ध करने में दोषों को दूर करने में और गुणों को ग्रहण करने में योगदान करता है।

संस्काराः प्रायेण पञ्चविद्याः सन्ति…………………. चूडाकर्म, कर्णवेधश्चेति क्रमशो भवन्ति। 

अर्थ:- संस्कार प्रायः पाँच प्रकार के हैं- जन्म से पूर्व तीन, बचपन में छः, शिक्षा काल में पाँच, गृहस्थ जीवन में संस्कार विवाह रूप एक और मरने के बाद एक संस्कार है। इस प्रकार सोलह संस्कार होते हैं। जन्म से पूर्व के संस्कारों में गर्भाधान, पुंसवन और सीमांत ये तीन होते हैं। यहाँ गर्भ-रक्षा गर्भस्थ शिशु में संस्कार को जगाना और गर्भवती स्त्री की प्रसन्नता के लिए ये सब आयोजन किये जाते हैं। बचपन के संस्कारों में जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूडाकर्म और कर्णवेध-ये सब क्रम से होते हैं।

 

शिक्षासंस्कारेषु अक्षरारम्भः, उपनयनम्, …………………… यथा सत्यं वद, धर्म चर, स्वाध्यायान्मा प्रमदः इत्यादि।

अर्थ:- शिक्षा संस्कारों में अक्षराम्भ, उपनयन, वेदारम्भ, केशान्त और समावर्तन संस्कार होते हैं। अक्षराम्भ में असर-लेखन और अंकलेखन बच्चा आरम्भ करता है! उपनयन संस्कार का अर्थ गुरु के द्वारा शिष्य को अपने घर में लाना होता है। वहाँ शिष्य शिक्षा-नियमों का पालन करते हुए अध्ययन करते थे। वे सब नियमों ब्रह्मचर्य व्रत में समाहित हैं। प्राचीन काल में शिष्य ब्रह्मचारी कहे जाते थे। गुरु-गृह में ही शिष्य वेदारम्भ करते थे। वेदों का महत्व प्राचीन शिक्षा में श्रेष्ठ माना जाता था। केशान्त संस्कार में गुरु गृह में ही शिष्य का प्रथम क्षौर कर्म (मुण्डन) होता था। इसमें गोदान मुख्य कर्म होता था। अत: साहित्य ग्रन्थों में इसका दूसरा नाम गोदान संस्कार भी मिलता है। समावर्तन संस्कार का उद्देश्य शिष्य का गुरु के घर से अलग होकर गृहस्थ जीवन में प्रवेश करना होता था। शिक्षा की समाप्ति पर गुरु शिष्यों को उपदेश देकर घर भेजते थे। उपदेशों में प्रायः जीवन के धर्मों (कर्तव्यों) को बताया जाता था। जैसे सत्य बोलो, धर्माचरण करो, अपने-आप पढ़ने से प्रमाद मत करो इत्यादि।

 

विवाहसंस्कारपूर्वकमेव मनुष्यः वस्तुतो गृहस्थजीवनं……………….. भारतीयजीवनदर्शनस्य महत्वपूर्णमुपादानं संस्कारः इति।

अर्थ:- विवाह संस्कार से ही मनुष्य वस्तुतः गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है। विवाह पवित्र संस्कार माना जाता है जिसमें अनेक प्रकार के कर्मकाण्ड होते हैं। उनमें वाग्दान, मण्डप-निर्माण लड़की के घर पर वरपक्ष (बाराती) का स्वागत, वर-वधू का परस्पर निरक्षण, कन्यादान, अग्नि स्थापन, पाणिग्रहण, लाजाहोम, सप्तपदी सिन्दुरदान इत्यादि हैं। सभी जगह समान रूप में विवाह संस्कार का आयोजन होता है। उसके बाद गर्भाधान आदि संस्कार की पुनरावृति करते हुए जीवन चक्र घूमता है। मरने के बाद अन्तयेष्ठि संस्कार (दाह संस्कार) किया जाता है। इस प्रकार भारतीय जीवन दर्शन का महत्वपूर्ण स्रोत (माध्यम) संस्कार है।

 

पदच्छेदाः ( सन्धि विच्छेद) : 

  • महत्वमधारयन् – महत्वम् + आधारयन्, 
  • प्राचीनसंस्कृतेरभिज्ञानम् – प्राचीनसंस्कृतेः + अभिज्ञानम्, 
  • कल्पनासीत् – कल्पना + आसीत्, 
  • मुख्यावसरेषु – मुख्य + अवसरेषु, 
  • संस्काराणामनुष्ठाने – संस्काराणाम् + अनुष्ठाने, 
  • गुणाधानरूपश्च – गुण + आधानरूप + च, 
  • दोषापनयने – दोष + अपनयने, 
  • गुणाधाने – गुण + आधाने, 
  • जन्मपूर्वास्त्रयः – जन्मपूर्वाः + त्रयः, 
  • मरणोत्तरसंस्कारश्चैक – मरण + उत्तर संस्कारः + च + एकः, 
  • सीमन्तोन्नयनम् – सीमन्त + उत् + नयनम्, 
  • चेति – च + इति, 
  • संस्कारारोपणम् – सम् + कार + आरोपणम्,
  • गर्भवत्याश्च – गर्भवत्याः + य, 
  • निष्क्रमणम् – निः + क्रमणम्, 
  • कर्णवेधश्चेति – कर्णवेधः + च + इति, 
  • अक्षरारम्भ – अक्षर + आरम्भः, 
  • वेदारम्भ – वेद + आरम्भः, 
  • केशान्तः – केश + अन्त:, 
  • गोदानसंस्कारोऽपि – गोदानसंस्कारः + अपि, 
  • निरक्षणम् – निः + ईक्षणम्, 
  • तदनन्तरम् – तत् + अनन्तरम्, 
  • पुनरावर्तन्ते – पुनः + आवर्तन्ते, 
  • मरणादनन्तरम् – मरणात् + अननन्तरम्, 
  • अन्त्येष्टिसंस्कार – अन्त्य + इष्टिसंस्कारः।

 

पदार्थाः (शब्दार्थ) : 

  • संस्काराः – शुद्ध कर गुणों को आधान करना, 
  • अभिज्ञानम – पहचान, 
  • कल्पना- आवधारणा, 
  • दोषापनयने – दुर्गुणों को दूर करने में, 
  • गुणाधाने गुणों के ग्रहण में, 
  • निष्क्रमणम् – बाहर निकलना, 
  • अन्नप्रशासनम् अन्न का भोजन, 
  • उपनयनम् – गुरु के पास ले जाने वाला संस्कार, 
  • क्षौरकर्म – केशों को काटनेवाला कर्म, 
  • सप्तनदी – विवाह संस्कार में पति के साथ पत्नी का सात बार,
  • अल्पना – विशेष में पैर देना, 
  • लाजाहोमः – धान के लावे से किया जाने वाला हवन, 
  • अन्त्येष्टिसंस्कारः – अग्नि में जलाना, 
  • उपादानम् – स्रोत, स्वरूप।

 

व्याकरणम् : 

  • संस्कार – सम् + कृ + धञ्, 
  • संस्कृते – सम् + कृ + क्तिन्, 
  • अभिज्ञानम् – अभि + ज्ञा + ल्युट्, 
  • वरिष्ठानाम् वर + इष्ठन्, 
  • सम्मेलनम् – सम् + मिल् + ल्युट, 
  • निष्क्रमणम् – निस् + क्रम् + ल्युट्, 
  • उन्नयनम् – उत् + नी + ल्यूट्, 
  • आधानम् – आङ् + धा + ल्यूट, 
  • उपनयनन् – उप + नी + ल्यूट्, 
  • आरोपणम् – आङ् + रूप + णिच् + ल्यूट, 
  • निरीक्षणम् – निर + इक्ष् + ल्यूट, 
  • अध्ययनम् – अधि + इङ् + ल्यूट, 
  • लेखनम् – लिख् + ल्यूट, 
  • पालयन् – पाल् + णिच् + शतृ, 
  • प्रसन्नता – प्रसन्न + तल्, 
  • महत्वम् – महत् + त्वम्, 
  • समाविष्टाः सम् + आङ् + विश् + क्त, 
  • स्थापनम् – स्था + ल्यूट, 
  • ग्रहणम् – गृह् + ल्यूट, 
  • दानम् — दा + ल्यूट, 
  • प्रवेशः – प्र + विश् + धञ्, 
  • निर्माणम् – निर + मा + ल्यूट, 
  • आयोजनम् – आङ् + युज् + णिच् +ल्युट, 
  • उपदिश्य – उप + दिश् + ल्यम्, 
  • उत्कृष्टम् – उत् + कृष् + क्त, 
  • संक्षिप्त – सम् + क्षिप् + क्तः, 
  • निवसन्तः – नि + वस् + शतृ, 
  • मौलिक: – मूल + ठक्, 
  • शैक्षणिका: – शिक्षण + ठक्, 
  • पाठ: – पाठ् + धञ्, 
  • अनुष्ठाने – अनु + स्था + ल्युट ।

 

-:प्रश्न-उत्तर :-

मौखिकः

1. एकपदेन वदत 

(क) संस्काराः कति सन्ति? 

उत्तर—षोऽशः।

(ख) जन्मतः पूर्व कति संस्काराः भवन्ति? 

उत्तर-त्रयः 

(ग) शैशवे कति संस्काराः भवन्ति? 

उत्तर-षट्।

(घ) अक्षरारम्भः कीदृशः संस्कार? 

उत्तर-शिक्षा संस्कारः

(ङ) गृहस्थजीवनस्य एकः संस्कारः कः?

उत्तर-विवाहः।

 

लिखितः

2. एकपदेन उत्तराणि लिखत 

(क) भारतीयसंस्कृतेः परिचयः केश्यः जायते? 

उत्तर-संस्कारेभ्यः।

(ख) शैक्षणिकाः संस्काराः कति सन्ति? 

उत्तर-पञ्च।

(ग) “सत्पपदी’ क्रिया कस्मिन् संस्कारे विधीयते? 

उत्तर-विवाहे।

(घ) भारतीयदर्शनस्य महत्वपूर्णम् उपादानं कि? 

उत्तर-संस्काराः।

(ङ) सीमन्तोन्नयनं केषु संस्कारेषु गण्यते?

उत्तर–जन्मपूर्वेषु।

(च) अन्नप्रशानम् केषु संस्कारेषु गण्यते? 

उत्तर—शैशवेषु।

(छ) गुरुगृहे शिष्यः कान् पालयन् अध्ययनं करोति? 

उत्तर-शिक्षनियमान्। 

 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Questions)

  1. आज-कल क्या सीमित होकर व्यंग रूप में प्रयोग किये जाते है ?- संस्कार
  2. संस्कृति के रूप में क्या भारत के व्यक्तित्व की रचना करता है ?- संस्कार 
  3. आज-कल विदेश में बसे भारतीय किसके प्रति उन्मुख जिज्ञासु है ?- संस्कार 
  4. भारतीय जीवन में प्राचीन काल से क्या महत्त्व धारण किये हुए है ?- संस्कार  
  5. प्राचीन संस्कृति का ज्ञान भी किससे होता है ?- संस्कार से 
  6. संस्कार कितने प्रकार के है ?- पाँच (पञ्च)
  7. जन्म से पूर्व कितने संस्कार होते है ?- तीन (त्रय:)
  8. शैशव में कितने संस्कार होते ?- छ: (षड्) 
  9. शिक्षा काल में कितने संस्कार होते है ?- पाँच (पञ्च)
  10. गृहस्थ जीवन में एक कौन संस्कार होते है ?- विवाह 
  11. मरने के बाद एक कौन संस्कार होते है ?- अन्य्तेष्टि 
  12. गर्मधान, पुंसवन व सीमांत किस संस्कार में आते है ?- जन्मपूर्व में 
  13. अक्षरारंभ, उपनयन, वेदारम्भ, केशांत व समावर्त्तन किस प्रकार के संस्कार है ?- शैक्षणिक 
  14. किस संस्कार में बच्चा अक्षर-लेखन व अंक-लेखन आरम्भ करता है – अक्षरारंभ 
  15. किस संस्कार का अर्थ गुरु द्वारा शिष्य को अपने घर में लाना होता है ?- उपनयन का 
  16. कहाँ शिष्य शिक्षा-नियमों का पालन करते हुए अध्ययन करते थे ?- गुरुकुल में 
  17. प्राचीन काल में शिष्य क्या कहे जाते थे ?- ब्रह्मचारी 
  18. शिष्य कहाँ वेदारम्भ करते थे ?- गुरु-गृह में
  19. किनके महत्त्व को प्राचीन शिक्षा में श्रेष्ट मन जाता है ?- वेदों के 
  20. किस संस्कार में गुरु-गृह में ही शिष्य का प्रथम क्षोर कर्म होता था ?- केशान्त में
  21. किस संस्कार में गोदान मुख्य कर्म होता था ?- केशान्त संस्कार में 
  22. साहित्य-ग्रंथो में की संस्कार का अन्य नाम गोदान मिलता है ?- केशान्त का
  23. किस संस्कार में शिष्य का गुरुगृह से जाना होता है ?- समावर्तन में 
  24. विवाह संस्कार से ही मनुष्य किस जीवन में प्रवेश करता है ?- गृहस्थ में
  25. किस संस्कार को पवित्र माना गया है ?- विवाह को 
  26. सप्तपदी क्रिया किस संस्कार में होता है ?- विवाह 
  27. भारतीय जीवन दर्शन में कितने संस्कार है ?- सोलह (षोडश)
  28. भारतीय जीवन दर्शन का श्रोत क्या है ?- संस्कार 
  29. जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूडाकर्म और कर्णवेद किस प्रकार के संस्कार है ?- शैशव 

 

गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Subjective Questions)

पूर्णवाक्येन उत्तराणि लिखत (संस्कृत में)

(क) संस्काराः मानवस्य कुत्र-कुत्र योगदानं कुर्वन्ति? 

उत्तर—संस्काराः मानवस्य परिमार्जने, दोषापनयने गुणाधाने च योगदानां कुर्वन्ति। 

(ख) शैक्षणिकसंस्कारेषु के के संस्काराः प्रकल्पिताः? 

उत्तर-शैक्षणिक संस्कारेषु अक्षराम्भः उपनयनम्, वेदारम्भः केशान्तः समावर्त्तनम् पञ्च संस्काराः प्रकल्पिता:।

(ग) शैशवसंस्कारेषु के के संस्काराः सम्पद्यन्ते?

उत्तर–शैशव संस्कारेषु जातकर्म, नामकरणम्, निष्क्रमणम्, अन्नप्राशनम्, चूडाकर्म, कर्णवेधः च षड् संस्काराः सम्पद्यन्ते।

(घ) विवाहसंस्कारे कानि मुख्यानि कार्याणि भवन्ति?

उत्तर-विवाह संस्कारे वाग्दानम्, मण्डपनिर्माण, वधूगृहे वरपक्षस्य स्वागतम्, बरवध्वों: परस्परं निरीक्षणम्, कन्यादानम् अग्निस्थापनम्, पाणिग्रहणं लाजाहोमः, सप्तपदी, सिन्दुरदानम्, अनेकानि मुख्यानि कार्याणि भवन्ति।

(ङ) अन्त्येष्टिसंस्कारः कदा सम्पाद्यते? 

उत्तर–अन्त्येष्टि संस्कारः मरणोपरान्तं सम्पाद्यते। 

(च) पुंसवनसंस्कारः कदा क्रियते? 

उत्तर-पुंस संस्कारः जन्मतः पूर्वम् क्रियते। 

(छ) पुरा शिष्यः वेदारम्भं कुत्र करोति स्म?

उत्तर-गुरुगृहे एव शिष्यः वेदारम्भ करोति स्म। 

 

गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न (हिंदी में)

1. भारतीय जीवन में कितने संस्कार है, कौन-कौन से है ?

उत्तर:- भारतीय जीवन में पाँच प्रकार के कुल सोलह संस्कार हैं | जन्म से पहले तीन-गर्भाधान, पुंसवन व सीमांत | शैशव में छ: – जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूडाकर्म व कर्णवेध | शिक्षा संस्कार में पाँच – अक्षरारंभ, उपनयन, वेदारंभ, केशांत व समावर्तन | गृहस्थ में एक विवाह और मरने के बाद एक अन्त्येष्टि संस्कार होते है |

2. संस्कार हमें कहाँ-कहाँ योगदान करता है ?

उत्तर:- संस्कार हमें क्रम से शुद्ध करने में, दोषों को दूर करने में तथा गुणों को ग्रहण करने में योगदान करता है |

3. शिक्षा संस्कार कितने है और कौन-कौन से है? लिखें |

उत्तर:- शिक्षा संस्कार कुल पांच प्रकार के होते हैं | जिनके नाम हैं – अक्षरारंभ, उपनयन, वेदारंभ, केशांत व समावर्तन |

4. शैशव संस्कार कितने है ? उन सभी के नाम लिखें |

उत्तर:- शैशव संस्कार कुल छः हैं | उनके नाम हैं – जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूडाकर्म व कर्णवेध |

5. उपनयन संस्कार का अर्थ क्या है? पाठ के आधार पर बताएँ |

उत्तर:- उपनयन संस्कार अर्थ है – गुरुद्वारा शिष्य को अपने घर में लाना | वहाँ शिष्य शिक्षा-नियमों का पालन करते हुए अध्ययन करते थे | जो सब नियम ब्रहमचर्य व्रत में समाहित हैं |

6. केशांत संस्कार क्या है ? पाठ के आधार पर बताएँ |

उत्तर:- केशांत संस्कार में गुरुगृह में ही शिष्य का प्रथम क्षोरकर्म (मुंडन) होता था | इसमें गोदान मुख्य कर्म होता था | अतः कई साहित्य ग्रंथो में इसका नाम गोदान संस्कार भी मिलता है |

7. समावर्तन संस्कार का उद्येश्य क्या है ?

उत्तर:- समावर्तन संस्कार का उद्येश्य होता है – गुरुगृह से शिष्य का अपने घर जाना | इस संस्कार का उद्येश्य शिष्य का गुरुगृह से अलग होकर गृहस्थ जीवन में प्रवेश करना होता था |

8. विवाह संस्कार में कौन-कौन से प्रमुख कर्मकाण्ड होते हैं ?

उत्तर:- इसमें अनेकों कर्मकाण्ड होते हैं | जिनमें वाग्दान, मंडप-निर्माण, कन्यादान, अग्निस्थापना, पाणिग्रहण, लाजाहोम, सप्तपदी, सिंदूरदान इत्यादि कर्मकाण्ड प्रमुख हैं |

 

-:अन्य व्याकरण प्रश्न:-

अधोलिखितम् उदाहरणं ध्यानेन पठत। ततः प्रदत्तपदैः ……… कृत्वा ………… करोति/कुर्वन्ति प्रयोगपूर्वकंच एकैकं वाक्यं रचयत।

(अधोलिखित उदाहरण को ध्यान से पढ़ें इसके बाद दिये शब्दों में कृत्वा …………. करोति/कुर्वन्ति का प्रयोग कर के एक-एक वाक्य की रचना करें)

उदाहरणम् – (क) बालकः स्नानं कृत्वा अध्ययनं करोति। 

                 (ख) जनाः भोजनं कृत्वा शयनं कुर्वन्ति। 

प्रश्न: –

(क) अग्निस्थापनम् – जनाः अग्निस्थापनम् कृत्वा विवाहः कुर्वन्ति।

(ख) अक्षरलेखनम् – बालकः अक्षर लेखनम् कृत्वा अध्ययनं करोति। 

(ग) पाणिग्रहणम् – वरः पाणिग्रहणम् कृत्वा लाजाहोमः करोति। 

(घ) निरीक्षणम् – वरः-वधूं निरीक्षणं कृत्वा विवाहः करोति। 

(ङ) गोदानम् – ब्रह्मचारी गोदानं कृत्वा केशान्तं करोति। 

(च) उपनयनम् – शिष्यः उपननयनं कृत्वा अध्ययनं करोति। 

(छ) वाग्दानम् – जनाः वाग्दानं कृत्वा विवाहः कुर्वन्ति। 

 

निम्नाङ्कितप्रकृतिप्रत्ययानां योगं कृत्वा पदानि प्रदर्शयत।

(क) परि + मृज् + णिच् + ल्युट् = परिमर्जननम् 

(ख) शिशु + अण् = शैशवः

(ग) प्र + अश् + ल्युट् = प्रसन्नम्

(घ) लिख् + ल्युट् = लेखनम्

(ङ) क्रम : शस् = क्रमशः

-: मिलान करें :-

अधोलिखित स्तम्भद्वये प्रदत्तपदानां समुचित विलोम पदैः सह मेलनं कृत्वा लिखत। 

(निम्नलिखित दो स्तम्भों में दिये पदों का उचित विलोम पद के साथ मेल कर लिखें।)

प्रश्न :-

स्तम्भः (क)स्तम्भः (ख)
(अ) प्रयोजनम् (अ) अप्रसन्नता
(आ) प्रसन्नता(आ) निष्प्रयोजनम्
(इ) संस्काराः(इ) आनयनम्
(ई) अपनयनम् (ई) विस्मर्यते
(उ) स्मर्यते (उ) कुसंस्काराः
(ऊ) वरिष्ठानाम्(ऊ) गुणापनयनम्
(ऋ) गुणाधानम् (ऋ) कनिष्ठानाम्

उत्तर:- 

स्तम्भः (क)स्तम्भः (ख)                 संधि
(अ) प्रयोजनम्(आ) निष्प्रयोजनम्(अ + आ)
(आ) प्रसन्नता(अ) अप्रसन्नता(आ + अ)
(इ) संस्काराः (उ) कुसंस्काराः(इ + उ)
(ई) अपनयनम्(इ) आनयनम्(ई + इ)
(उ) स्मर्यते(ई) विस्मर्यते(उ + ई)
(ऊ) वरिष्ठानाम्(ऋ) कनिष्ठानाम्(ऊ + ऋ)
(ऋ) गुणाधानम् (ऊ) गुणापनयनम्(ऋ + ऊ)

योग्यताविस्तारः

प्रस्तुतपाठः वर्तमानसन्दर्भ …………….. उक्तवान् आसीत्- 

यूनानमिस्ररोमा सब मिट गये जहाँ से, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। 

अर्थ:- प्रस्तुत पाठ वर्तमान समय में भारतीय मूल्यों के प्रति जागरण उत्पन्न करता है। आज कल जैसे-जैसे भौतिक विकास हो रहा है वैसे-वैसे आध्यात्मिक ह्रस दिखाई पड़ रहा है। इस परिस्थिति में भारतीय संस्कार सार्वकालिक जीवन मूल्य को बढ़ाने में समर्थ है। अतः संस्कृत शिक्षक के अनुसंधान से और सम्बन्धित पत्र-पत्रिकाओं के सहयोग से संस्कारों की वैज्ञानिकता जानना चाहिए। यों तो हमारे संस्कारों के एक-एक पक्ष स्वस्थ विज्ञान के पारिस्थितिक तन्त्र के और समरस-सामाजिक -जीवन दर्शन के दृष्टिकोण से मजबूत और सूक्ष्म है। अतः यह निरादर और निन्दनीय नहीं है। से मौलाना एकबाल ने भारतीय संस्कारों को उद्देश्य कर गौरव से कहा है – यूनान-मिन-रोम सब मिट गये जहाँ से कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।

 

Conclusion

इस पोस्ट में आपने बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के संस्कृत पाठ्य पुस्तक के पाठ (Chapter) – 6, भारतीयसंस्कारा: (भारतीय संस्कार) के लगभग सभी प्रश्न-उत्तर पढ़ा तथा परीक्षा के दृष्टिकोण अन्य कई वस्तुनिष्ठ (Objective) एवं गैर-वस्तुनिष्ठ (Subjective) पढ़ा है | यह पोस्ट आपको कैसा लगा कृपया अपनी राय कमेंट (Comment) में अवश्य दे |

अन्य अध्याय (Other Chapters)

  1. Chapter 1 मंगलम
  2. Chapter 2 पाटलिपुत्रवैभवम
  3. Chapter 3 अलसकथा 
  4. Chapter 4 संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः 
  5. Chapter 5 भारतमहिमा (भारत की महिमा)
  6. Chapter 6 भारतीयसंस्काराः (भारतीय संस्कार)
  7. Chapter 7 नीतिश्लोकाः (नीति के श्लोक)
  8. Chapter 8 कर्मवीर कथा 
  9. Chapter 9 स्वामी दयानन्दः
  10. Chapter 10 मन्दाकिनीवर्णनम् 
  11. Chapter 11 व्याघ्रपथिककथा
  12. Chapter 12 कर्णस्य दानवीरता 
  13. Chapter 13 विश्वशान्तिः
  14. Chapter 14 शास्त्रकाराः

BSEB Class 10th Hindi काव्य-खंड (पद्य) Solutions

Chapter :- 1 राम बिनु बिरथे जगि जनमा, जो नर दुख में दुख नहिं मानै
Chapter :- 2 प्रेम अयनि श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारौं
Chapter :- 3 अति सूधो सनेह को मारग है, मो अंसुवानिहिं लै बरसौ
Chapter :- 4 स्वदेशी
Chapter :- 5 भारतमाता
Chapter :- 6 जनतंत्र का जन्म
Chapter :- 7 हिरोशिमा
Chapter :- 8 एक वृक्ष की हत्या
Chapter :- 9 हमारी नींद
Chapter :- 10 अक्षर-ज्ञान
Chapter :- 11 लौटकर आऊँग फिर
Chapter :- 12 मेरे बिना तुम प्रभु

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