Bihar Board Classs 10th Sanskrit Solution Chapter 8 कर्मवीर कथा (कर्म वीर की कहानी) | 10th Sanskrit NCERT Solution | by SarkariCity

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Bihar Board Classs 10th Sanskrit Solution Chapter 8 कर्मवीर कथा (कर्म वीर की कहानी)| 10th Sanskrit NCERT Solution | BSEB 10 Solution | Karmvir katha|BSEB 10 Chapter 8 sanskrit 

इन पोस्ट पर आपको बिहार बोर्ड (BSEB) के कक्षा 10 के संस्कृत पाठ्य पुस्तक का समाधान देखने को मिलेगा | इस पेज में आप 10th संस्कृत पीयूषम भाग -2 के अष्टम पाठः (Chapter-8) कर्मवीर कथा (कर्म वीर की कहानी) का सभी प्रश्न-उत्तर तथा परीक्षा के दृष्टिकोण तैयार किए गए अन्य कई महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ एवं गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न पढ़ने को मिलेंगे |

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कहानी का अर्थ 

पाठेऽमिन् समाजे ……………….. कर्तु प्रभवेत्।

अर्थ- इस पाठ में दलित ग्रामवासी पुरुष की कहानी है। कर्मवीर लोग अपने उत्साह से विद्या को पाकर बहुत बड़ा पद को प्राप्त करते हैं। समाज में सब जगह उनका सत्कार होता है। कथा की वास्तविकता है कि मनुष्य को निराश नहीं होना चाहिए। उत्साह से सभी कामों में लगना चाहिए। 

अस्ति बिहारराज्यस्य दुर्गमप्राये प्रान्तरे ‘भीखनटोला’ नामक ग्रामः। निवसन्ति स्म……………. दुहिता चे त्यासन्।

अर्थ- बिहार राज्य के दुर्गम प्रदेश में “भीखनटोला” नामक गाँव है। वहाँ बहुत गरीब शिक्षाविहीन, कठनाई से जीने वाले लोग निवास करते थे। उन सबों में से एक व्यक्ति का परिवार गाँव से बाहर स्थित कुटियों में निवास करता था। झोपड़ी टूटी जैसी थी जो परिवार वालों को केवल धूप से बचाती थी, वर्षा से नहीं । परिवार में स्वयं घर का मालिक उसकी पत्नी, उसका एक पुत्र और छोटी बेटी थी।

 

तस्माद् ग्रामात् कोशमात्र दूर प्रथमिको ………………. धनेन च नगरगते महाविद्यालय प्रवेशभलभत।

अर्थ- उस गाँव से एक कोस मात्र दूरी पर प्राथमिक विद्यालय सरकार द्वारा स्थापित है। वहाँ एक नई दृष्टिकोण सम्पन्न सामाजिक -समता-प्रिय शिक्षक आये। भीखन टोला को देखने आये वह शिक्षक ने कभी खेल में लगे दलित बालक को देखकर उसके सहज आकर्षण स्वभाव से प्रभावित हो गये। शिक्षक ने उस बालक को अपने विद्यालय में लाकर स्वयं पढ़ना आरम्भ कर दिये। बालक भी उनके शिक्षण-शैली से आकृष्ट होकर पढ़ाई जीवन की उत्तम गति होती है, ऐसा मानकर निरन्तर अपने परिश्रम से विद्या-प्राप्ति में लग गया। क्रमशः उच्च विद्यालय में नामांकन कराया। वहाँ के शिक्षक के अध्यापन से और स्वाध्याय के प्रभाव से प्रथम स्थान को प्राप्त किया। “छात्रों का अध्ययन ही तप है” यह बार-बार अपने गुरु से उपदेश पाकर वह बालक पिता के धनाभाव में भी छात्रवृत्ति पाकर और छोटे बच्चों को शिक्षा देकर प्राप्त धन से शहर जाकर कॉलेज में प्रवेश पाया।

 

तत्रापि गुरुणं प्रियः सन् ……………… विद्याजन्यां प्रतिष्ठाम् । 

अर्थ- वहाँ भी गुरुओं का प्रिय वह बालक सदैव पुस्तकालय में और अपने वर्ग में सावधानी पूर्वक मन से बिना समय नष्ट किये हुए पढ़ाई में लग गया। कॉलेज के पुस्तकालय में स्थित अनेक विषयों के पुस्तकों को हृदयस्थ कर लिया। वहाँ स्नातक परीक्षा में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान पाकर अपने कॉलेज के यश को बढ़ाया। सब जगह शहर में विश्वविद्यालय परिसर में रामप्रवेश राम शब्द सुनाई पड़ता था। उसके माता-पिता विद्या से प्राप्त प्रतिष्ठा को नहीं जान सके।

 

वर्षाभरेऽ सौ केन्द्रीयलोकसेवापरीक्षायामपि……………………. प्रीताः अभूवन्। 

अर्थ- एक वर्ष के अन्दर ही वह बालक केन्द्रीय लोकसेवा की परीक्षा में भी स्वाध्याय और व्यापक विषय ज्ञान के कारण ऊँचा स्थान प्राप्त किया। साक्षात्कार में समिति के सदस्यगण उसके व्यापक ज्ञान से तथा उस प्रकार के पारिवारिक परिवेश में रहकर भी उसके द्वारा किये गये परिश्रम और अभ्यास से बहुत प्रसन्न हुए।

 

अद्य रामप्रवेशरामस्य प्रतिष्ठा…………………… सत्यमुक्तम् – उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मीः। 

अर्थ- आज रामप्रवेश राम की प्रतिष्ठा अपने राज्य में और केन्द्र सरकार में बहुत है। उसका प्रशासनिक क्षमता और संकटकाल में निर्णय की क्षमता सबों के लिए आकर्षक है। अवश्य यह कर्मवीर बाधाओं को पार कर प्रशासन क्षेत्र में लोकप्रिय हो गया है। सत्य कहा गया है- परिश्रमी पुरुष श्रेष्ठ को ही लक्ष्मी वरण करती है।

 

व्याकरणम्

पदच्छेदाः पदार्थाः च पदच्छेदाः

  • पाठेऽस्मिन् – पाठे + अस्मिन्, 
  • निजोत्साहेन – निज + उत्साहेन, 
  • तत्रातिनिर्धनाः – तत्र + अतिनिर् + धनाः, 
  • तेष्वेवान्यतमस्य – तेषु + एव + अन्यतमस्य, 
  • नयवसत् – नि + अवसत्, 
  • तयोरेकः – तयोः + एकः, 
  • चेत्यासन् – च + इति + आसन्, 
  • तत्रैकः तत्र + एकः, 
  • तस्यापातरमणीयेन – तस्य + आपातरमणीयेन, 
  • स्वभावेनाभिभूतः – स्वभावेन + अभिभूतः, 
  • स्वविद्यालयमानीय – स्वविद्यालयम् आनीय, 
  • बालकमेनम् – बालकम् + एनम्, 
  • शिक्षितुमारभत – शिक्षितुम् + आरभत, 
  • बालकोऽपि – बालकः + अपि, 
  • शिक्षणशैल्याकृष्टः – शिक्षणशैल्या + आकृष्टः, 
  • गतिरिति – गतिः + इति, 
  • निरन्तरमध्यवसायेन – निरन्तरम् + अधि + अवसायेन, 
  • विद्याधिगमाय – विद्या + अधिगमाय, 
  • गतस्तस्यैव – गतः + तस्य + एव, 
  • निरतोऽभवेत – निरतः + अभवत्, 
  • शिक्षकस्याध्यापनेन – शिक्षकस्य + अध्यापनेन, 
  • स्वविद्यागुरुणोपदिष्टोऽसौ – स्वविद्यागुरुणा + उपदिष्ट + असौ, 
  • पित्रोरर्थाभावेऽपि – पित्रोः + अर्थ + अभावे + अपि, 
  • कनीयश्छात्राणाम् – कनीयस् + छात्राणाम्, 
  • प्रवेशमलभत – प्रवेशम् + अलभत, 
  • पुस्तकालये – पुस्तक + आलये, 
  • सदावहितचेतसा – सदा + अवहितचेतसा, 
  • स्वध्यायनिरतोऽभूत –  स्व + अधि + आयनिरतः + अभूत्, 
  • पुस्तकागारे – पुस्तक + आगारे, 
  • आत्मसादसौ – आत्मसात् + असौ, 
  • विश्वविद्यालये – विश्वविद्या + आलये, 
  • प्रथमस्थानमवाप्य – प्रथमस्थानम् + अव + आप्य, 
  • ख्यातिमवर्धयत् – ख्यातिम् + अवर्धयत्, 
  • नाजानताम् – न + आजानताम्, 
  • पितरावस्य – पितरौ + अस्य, 
  • वर्षान्तरेऽसौ – वर्ष + अन्तरे + असौ, 
  • स्थानमवाप – स्थानम् + अव + आप, 
  • समितिसदस्यास्तस्य – समितिसदस्याः + तस्य, 
  • व्यापकेन  – वि + आपकेन, 
  • श्रमेणाभ्यासेन – श्रमेण + अभ्यासेन,
  • सर्वेषामावर्जकम् – सवेषाम् + आवर्जकम्, 
  • नूनमसौ – नूनम् + असौ, 
  • व्यतीत्य – वि + अति + इत्य, 
  • सत्यमुक्तम् – सत्यम् + उक्तम्, 
  • पुरुषसिंहमुपैति – पुरुषसिंहम् + उप + एति।

पदार्था:

  • क्लिष्टजीवनाः – कठिनाई से जीवन जीनेवाले, 
  • आतपमात्रात् – धूम मात्रा से,
  • जीर्णप्रायत्वात् – लगभग जर्जर होने से, 
  • कनीयसी – छोटी,
  • सामाजिकसामरस्यरसिकः – सामाजिक समरसता के पक्षपाती, 
  • नवीनदृष्टिसम्पन्नः – नवीन दृष्टिकोण से युक्त, 
  • समागतः – आया, 
  • खेलनरतम् – खेलने में मग्न, 
  • विलोक्य – देखकर, 
  • आपातरमणीयेन – तत्क्षण रमणीय सहज आकर्षक, 
  • अभिभूतः – प्रभावित, 
  • शिक्षितुमारभत – पढ़ाने लगा, 
  • स्वाध्यवसायेन – अपने परिश्रम से, 
  • विद्याधिगमाय – विद्यालाभ के लिए, 
  • निरतः – तत्पर, 
  • प्राथम्यम् – प्रथम स्थान को, 
  • प्राप-प्राप्त किया, 
  • भूयो भूयः – बार-बार, 
  • उपादिष्टः – उपदेश प्राप्त, 
  • अर्थाभावे – धन के अभाव में, 
  • सावहितचेतसा – सावधान मन से, 
  • अकृतकालक्षेपः – समय न गंवानेवाला, 
  • साक्षात्कारे – साक्षात्कार में, 
  • अभूवन – हुए, 
  • प्रीताः – प्रसन्न, 
  • प्रभूता – बहुत अधिक, 
  • आवर्जकम् – आकर्षक, 
  • नूनम् – निश्चय ही, 
  • व्यतीव्य – पार करके,  
  • सञ्जातः – हो गया, 
  • उक्तम् – कहा गया है, 
  • उपैति – प्राप्त करती है।

प्रकृतिप्रत्ययविभाग : 

निरतः – नि + रम् + क्त, 

अध्यापनम् – अधि + इङ् + णिच् ल्युट्, 

लब्धम् – लभ् + क्त, 

ख्यातिम् – ख्यै + क्तिन् (द्वि. ए.व.), 

कृतवान् – कृ + क्तवतु, 

गतः – गम् + क्त, 

उपदिष्टः – उप + दिश् + क्त, 

अभिभूत – अभि + भू + क्त, 

आकृष्टः – आङ् + कृष् + क्त,

ज्ञानेन – ज्ञा + ल्युट् (तृ.ए.व.),

प्रीता: – प्रीज + क्त (प्र.ब.व.), 

सञ्जातः-सम + जन् + क्त, 

व्यतीत्य – वि + अति + इण् + ल्युप् ।

 

अभ्यासः

मौखिकः

1. एकपदेन उत्तरं वदत (एक शब्द में उत्तर बोलें) 

(क) कर्मवीरः कः अस्ति? 

उत्तर:- रामप्रवेशरामः।

(ख) विहारप्रान्तस्य दुर्गमप्राये प्रान्तरे कः ग्रामः अस्ति ?

उत्तर:-“भीखनटोला”

(ग) ‘भीखनटोला’ ग्रामे शिक्षकः कं दृष्टवान्?

उत्तर:- दलितबालकम्। 

(घ) कर्मवीरः रामप्रवेशः कुत्र उन्नतं स्थानां प्राप्तवान्? 

उत्तर:- केन्द्रीयलोक सेवा परीक्षायाम्। 

() कस्य विषयस्य विशिष्टाः कर्मवीरः उन्नतं स्थानमवाप? 

उत्तर:- प्रशासनस्य।

 

लिखितः

1. एकपदेन उत्तरं लिखत – (एक शब्द में उत्तर लिखें) 

(क) रामप्रवेशस्य ग्रामस्य नाम किम् अस्ति? 

उत्तर:- भीखनटोला। 

(ख) भीखनटोला दष्टुं कः आगतः? 

उत्तर:- शिक्षकः। 

(ग) बालकः कस्य शिक्षणशैल्याकृष्टः? 

उत्तर:- शिक्षकस्य। 

(घ) स्नातक परीक्षायां प्रथमस्थानां प्राप्त कस्य ख्यातिमवर्धयत्? 

उत्तर:- स्वमहाविद्यालयस्य। 

(ङ) उद्योगिनं पुरुषसिंहम् का उपैति? 

उत्तर:- लक्ष्मीः। 

 

2. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत – 

(क) ‘भीखनटोला’ ग्रामः कृत्र अस्ति? 

उत्तर:- बिहारराज्यस्य दुर्गम स्थाने अस्ति। 

(ख) प्राथमिक विद्यालये कीदृशः शिक्षकः समागतः? 

उत्तर:- प्राथमिक विद्यालये नवीनदृष्टि सम्पन्नः सामाजिक समता शिक्षकः समागतः। 

(ग) शिक्षकः कं शिक्षितुमारभत्? 

उत्तर:- शिक्षक: दलितबालकं शिक्षितुम आरभत्। 

(घ) रामप्रवेशः कस्यां परीक्षायाम् उन्नतं स्थानमवाप? 

उत्तर:- रामप्रवेशः केन्द्रीयलोक सेवा परीक्षायां उन्नतं स्थानमवाप।

(ङ) कयोः अर्थाभावेऽपि रामप्रवेशः महाविद्यालये प्रवेशमलभत? 

उत्तर:- पित्रोः अर्थाभावेऽपि राम प्रवेशः महाविद्यालये प्रवेशमलभत्। 

(च) साक्षात्कारे समितिसदस्याः किमर्थं प्रीताः अभवन्? 

उत्तर:- साक्षात्कारे समितिसदस्याः तस्य व्यपकज्ञानेन तादृश परिवार परिवेशे कृत श्रमेण अभ्यासेन च प्रीताः अभवन्। 

(छ) रामप्रवेशस्य प्रतिष्ठा कुत्र-कुत्र दृश्यते?

उत्तर:- रामप्रवेशस्य प्रतिष्ठा स्वप्रान्ते केन्द्र प्रशासने च दृश्यते। 

(ज) लक्ष्मीः कीदृशंजनम् उपैति?

उत्तर:- लक्ष्मी: उद्योगिनं पुरुषसिंहम् जनं उपैति। 

 

3. उदाहरणम् अनुसृत्य रक्षति/त्रायते क्रियापदस्य प्रयोगं कृत्वा मञ्जूषातः पदानि चित्वा, तत्र समुचितविभक्तिं संयोग्य सप्तवाक्यानि रचयतः (उदाहरण का अनुसरण करते हुए रक्षति/त्रायते क्रियापद के प्रयोग करके मंजूषा से शब्द चुनकर उसमें उचित विभक्ति लगाकर सात वाक्यों की रचना करें)

उदाहरणम् – 

(क) गृहं सूर्यस्य आतापात् मेघस्य वर्षणात् च त्रायते। 

(ख) पिता पुत्रं विघ्नात् रक्षति। 

पद्मजा, देवदत्तः, रमेशः, करीमः, शैलेशः, दिव्येशः, शत्रुः, पवनः, वेगः, रोगः, वैद्यः, चौरः, प्रहरी, सैनिकः, देशः, आतङ्कवादी, लुण्ठकः, धर्मात्मा, पापम्, सज्जनः, दोषः 

उत्तर:- 1. पद्मजा देवदत्तं पापात् रक्षति। 

2. धर्मात्मा सज्जनानां दोषात् त्रायते। 

3. प्रहरी रमेशं लुण्ठकात् रक्षति । 

4. सैनिकः देशं रात्रोः रक्षति। 

5. वैद्यः देवदत्त रमेशं च रोगात् त्रायते। 

6. करीमः पद्मजां चौरात् रक्षति। 

7. रमेशः दिव्येशं शैलेशं च पवनस्य वेगात् त्रायते। 

 

4. निम्नाङ्कितानां समस्तपदानां विग्रहं कृत्वा समासनामानि लिखत। 

(क) अकृतकालक्षेपः = न कृतः कालस्य क्षेपः येन सः (बहुब्रीहि समास) 

(ख) विद्यालयः = विद्यायाः आलयः (षष्ठी तत्पुरुष)

(ग) पुस्तकागारम् = पुस्तकस्य आगरम् (षष्ठी तत्पुरुष) 

(घ) स्नातकपरीक्षायाम् – स्नातकस्य परीक्षायाम् (षष्ठी तत्पुरुष) 

(ङ) दलितबालकम् = दलितः चासौ बालकः तम् (कर्मधारय) 

(च) क्लिष्टजीवनाः = क्लिष्टं जीवनं यस्य ते (बहुब्रीहि) 

(छ) नवीनदृष्टिसम्पन्न = नवीनदृष्टिः तया सम्पन्नः (तृतीया तत्पुरुष) 

(ज) सामाजिकसामरस्यसम्पन्न: = सामाजिके समारस्ये सम्पन्नः (सप्तमी तत्पुरुष) 

(झ) स्वाध्यायनिरतः = स्वाध्याये निरतः (सप्तमी तत्पुरुष) 

(ब) पितरौ = माता च पिता च (द्वन्द्व समास)

 

5. पठितपाठम् अनुसृत्य निम्नलिखितपदानां पर्यायरूपाणि लिखतः

(पठित पाठ के आधार पर निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें) 

(उदाहरणम् – पुस्तकालय: – पुस्तकारागारम्)

(क) कठिनजीविता: = क्लिष्टजीवनाः 

(ख) अकृतसमयनाशः = अकृतकालक्षेपः 

(ग) क्षमता = योग्यता 

(घ) जनप्रियः = लोकप्रियः 

(ङ) आकर्षकम् = आवर्जकम् 

(च) संलग्नः = संलिप्तः 

(छ) परिश्रमः = उद्योगः 

(ज) धनाभाव: = अर्थाभावः 

(झ) सावधानमनसा = सावहित चेतसा 

(अ) सद्यः आकर्षकेण = आपात रमणीयेक

 

योग्यताविस्तारः

1. प्रस्तुतपाठः कर्मणः परिश्रमस्य महत्त्वं चित्रयति। विद्या अभ्यासानुसारिणी। कस्यापि उन्नतवंशस्य सुरक्षितनिधिः नास्तीयं विद्या। अतः सत्यनिष्ठया मनोयोगेन रजस्तमोभावान् व्यक्त्वा अध्यवसायेन अर्जिता विद्या सफला यशस्करी च भवति। अयं पाठः उपदिशति यत् निर्धनः दलितः, शोषितः, वञ्चितः अपि बालः आचार्यस्य सम्यग् निर्देशनेन पठित्वा लिखित्वा विज्ञो भूत्वा देशस्य विश्वस्य शीर्षस्थः जनः संजाते। सामाजिकविज्ञानस्य शिक्षकाणां सहयोगेन अमेरिकादेशेषु कर्मवीराणां दलित-शोषित-वर्गाणां राजनायकानां चरितानि संगृहणीयात्। “

अर्थ- प्रस्तुत पाठ कर्म में परिश्रम के महत्व को चित्रित करता है। विद्या अभ्यास का अनुसरण करती है। किसी भी उँचे खानदान का सुरक्षित धन यह विद्या नहीं है। अतः सत्यनिष्ठा से, मनोयोग से रज और तमो भावों त्याग कर मन लगाकर अर्जित विद्या सफल और यश प्रदान करने वाली होती है। यह पाठ उपदेश देता है कि निर्धन, दलित, शोषित और बंचित भी बच्चा आचार्य के सम्यग् निर्देशन से पढ़-लिखकर विद्वान होकर देश के विश्व के ऊँचे लोगों में गिना जाता है। सामाजिक विज्ञान के शिक्षकों के सहयोग से अमेरिकादि देशों में कर्मवीर दलित-शोषित वर्ग के राजनीतिज्ञों का चरित्र संग्रह करना चाहिए।

 

2. स्वदेशस्य बाबासाहेबभीमराव अम्बेदकरस्य जगजीवनरामस्य, कर्पूरीठाकुरस्य चादीनाम् उपेक्षितवर्गाणां कर्मवीराणां राजनीतिज्ञानां ज्ञानं प्राप्नुयात्।

अर्थ:- अपने देश के बाबा साहेब भीमराव अम्बेदकर, जगजीवन राम और कर्पूरी ठाकुर आदि उपेक्षित वर्गों के कर्मवीर राजनीतिज्ञों का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। 

 

3. दलितवसितिषु अभियानं चालयित्वा सामाजिकसमरसतायाः वैदिकः सन्देशः श्रावणीयः यथायोग्य व्यावहारिकः कार्यक्रमः यथा- प्रीतिभोजः, सामूहिकः उत्सव: यादयः आयोजनीयाः। 

अर्थ:- दलित वस्तियों में अभियान चलाकर सामाजिक समता का वैदिक सन्देश सुनाना चाहिए। जहाँ तक हो सके व्यावहारिक कार्यक्रम जैसे -प्रीतिभोज और सामूहिक उत्सव आदि का आयोजन करना चाहिए। “

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Question)

  1. कर्मवीर कथा पाठ में किसकी कहानी है ?- ग्रामवासी दलित पुरुष 
  2. कौन उत्साह पूर्वक विद्या को पाकर महान पद प्राप्त करते है ?- कर्मवीर 
  3. समाज में सब जगह किसका सत्कार होता है ?- कर्मवीर 
  4. बिहार राज्य के दुर्गम राज्य में कौन गाँव है ?- भीखनटोला 
  5. कहाँ गरीब, शिक्षाहीन, कष्टमय जीवन जीने वाले लोग रहते थे ?- भीखनटोला गाँव में
  6. झोपड़ी कैसी थी ?- टूटी-सी
  7. उस गाँव के कितने दुरी पर प्राथमिक विद्यालय था ?- एक कोस
  8. प्राथमिक विद्यालय किसके द्वारा स्थापित है ?- प्रशासन द्वारा 
  9. कौन बालक को विद्यालय में लाकर पढाना आरम्भ किया ?- शिक्षक
  10. कर्मवीर कौन है ?- रामप्रवेश 
  11. रामप्रवेश उच्च विद्यालय में किस प्रकार का स्थान पाया ?- प्रथम 
  12. छात्रों का अध्ययन क्या है ?- तप
  13. महाविद्यालय के पुस्तकालय में स्थित अनेक विषयों के पुस्तकों को कौन हृदयस्थ कर लिया ?- रामप्रवेश 
  14. स्नातक परीक्षा में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान लाकर रामप्रवेश किसके नाम को विख्यात किया ?- महाविद्यालय के
  15. सब जगह शहर,  विश्वविद्यालय परिसर में कौन नाम सुनाई पड़ता था ?- रामप्रवेश राम 
  16. किस परीक्षा में रामप्रवेश उन्नत स्थान पाया ?- केंद्रीय लोक सेवा 
  17. किसके माता-पिता विद्या से प्राप्त प्रतिष्ठा को नहीं जान सके ?- रामप्रवेश के 
  18. आज रामप्रवेश की प्रतिष्ठा कहाँ-कहाँ है ?- राज्य व केंद्र सरकार में 
  19. किसका प्रशासनिक क्षमता और संकट काल में निर्णय की क्षमता सबों के लिए आकर्षक है ?- रामप्रवेश
  20. कौन अनेक बाधाओं को पार कर प्रशासन क्षेत्र में लोकप्रिय हो गया है ?- रामप्रवेश राम 
  21. परिश्रम करने वाले पुरुष को ही कौन वरण करती है ?- लक्ष्मी
  22. रामप्रवेश के गाँव का नाम क्या है ?- भीखनटोला 
  23. भीखनटोला गाँव में शिक्षक किसको देखा ?- दलित बालक को 
  24. बालक किसके शिक्षण के तरफ आकृष्ट हुआ ?- शिक्षक के 
  25. किसके अर्थाभाव में भी बालक महाविद्यालय में प्रवेश किया ?- पिता के  

 

गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Subjective Question)

1. कर्मवीर कथा पाठ में किसकी कहानी है तथा इस कथा की वास्तविकता क्या है ?

उत्तर:- कर्णवीर कथा पाठ में दलित ग्रामवासी पुरुष की कहानी है | एवं इस कथा की वास्तविकता है कि मनुष्य को कभी निराश नहीं होते हुए उत्साह पूर्वक सभी कार्यों को करना चाहिए |

2. कर्मवीर कथा से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?

उत्तर:- कर्णवीर कथा पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें जीवन में आने वाले बाधाएँ, परेशानियाँ आदि से निराश नहीं होने चाहिए | बल्कि हर्ष पूर्वक अपने कार्य को निरंतर करते रहने चाहिए | क्योंकि उत्साहपूर्वक किये गए कार्य ही पूर्णत: सफल होता है |

3. कर्मवीर कौन है तथा उन्होंने किस प्रकार यश अर्जित की ?

उत्तर:- कर्मवीर रामप्रवेश राम है | तथा उन्होंने अपने जीवन में आने वाले हर समस्या से निराश न होकर उसका उत्साह पूर्वक डटकर सामना करते हुए आगे बढ़ा | और वह विद्या अर्जित कर बड़ा पद को प्राप्त किया |

4. भीखनटोला गाँव कैसा गाँव है ?

उत्तर:- भिखानटोलागाँव अत्यंत दुर्गतनीय हैं | यहाँ अनेकों गरीब, शिक्षाविहीन व कष्टमय जीवन यापन करने वाले लोग निवास करते हैं | इस गाँव से एक कोस की दूरी पर एक प्राथमिक विद्यालय सरकार द्वारा स्थापित है |

5. कर्मवीर ऊँचा स्थान कहाँ और किस कारण प्राप्त किया ?

उत्तर:- कर्मवीर ऊँचा स्थान केंद्रीय लोक सेवा परीक्षा में स्वाध्याय और व्यापक विषय ज्ञान के कारण प्राप्त किया | साक्षात्कार में समिती के सदस्यगण उसके व्यापक ज्ञान से तथा परिवारिक परिवेश में रहकर भी उसके द्वारा किये गये परिश्रम व अभ्यास से बहुत प्रसन्न हुए |

 

Conclusion

इस पोस्ट में आपने बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के संस्कृत पाठ्य पुस्तक के पाठ (Chapter) – 8, Karmvir Katha/कर्मवीर कथा (कर्म वीर की कहानी) के लगभग सभी प्रश्न-उत्तर पढ़ा तथा परीक्षा के दृष्टिकोण अन्य कई वस्तुनिष्ठ (Objective) एवं गैर-वस्तुनिष्ठ (Subjective) पढ़ा है | यह पोस्ट आपको कैसा लगा कृपया अपनी राय कमेंट (Comment) में अवश्य दे |

 

अन्य अध्याय (Other Chapters)

  1. Chapter 1 मंगलम
  2. Chapter 2 पाटलिपुत्रवैभवम
  3. Chapter 3 अलसकथा 
  4. Chapter 4 संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः 
  5. Chapter 5 भारतमहिमा (भारत की महिमा)
  6. Chapter 6 भारतीयसंस्काराः (भारतीय संस्कार)
  7. Chapter 7 नीतिश्लोकाः (नीति के श्लोक)
  8. Chapter 8 कर्मवीर कथा 
  9. Chapter 9 स्वामी दयानन्दः
  10. Chapter 10 मन्दाकिनीवर्णनम् 
  11. Chapter 11 व्याघ्रपथिककथा
  12. Chapter 12 कर्णस्य दानवीरता 
  13. Chapter 13 विश्वशान्तिः
  14. Chapter 14 शास्त्रकाराः

BSEB Class 10th Hindi काव्य-खंड (पद्य) Solutions

Chapter :- 1 राम बिनु बिरथे जगि जनमा, जो नर दुख में दुख नहिं मानै
Chapter :- 2 प्रेम अयनि श्री राधिका, करील के कुंजन ऊपर वारौं
Chapter :- 3 अति सूधो सनेह को मारग है, मो अंसुवानिहिं लै बरसौ
Chapter :- 4 स्वदेशी
Chapter :- 5 भारतमाता
Chapter :- 6 जनतंत्र का जन्म
Chapter :- 7 हिरोशिमा
Chapter :- 8 एक वृक्ष की हत्या
Chapter :- 9 हमारी नींद
Chapter :- 10 अक्षर-ज्ञान
Chapter :- 11 लौटकर आऊँग फिर
Chapter :- 12 मेरे बिना तुम प्रभु

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